Baloch Movement Long March Toward Pakistan Capital Islamabad Lead By Baloch Leader Mehrang Baloch

Baloch Movement In Pakistan: भारत और पाकिस्तान का बंटवारा साल 1947 में हुआ था. हालांकि, उस वक्त बलूचिस्तान एक अलग देश बनने की राह पर था, लेकिन पाकिस्तानी सेना के कुछ और ही इरादे थे. उन्होंने बलूचिस्तान पर हमला कर कब्जा कर लिया. उसके बाद ही बलूचिस्तान अपने हक के लिए और एक अलग मुल्क के लिए पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

हाल के कुछ दिनों में बलूचिस्तानीयों ने पाकिस्तानी हुक्मरानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह से 23 साल के बलूच युवक की हत्या. हाल ही में पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने मोला बख्स की हत्या कर दी थी. उसे 20 नवंबर को हिरासत में लिया गया था और 23 नवंबर को शूटआउट में मार दिया गया. इसके बाद से बलूच लोग लगातार पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

महरंग बलूच कर रहीं नेतृत्व

बलूच लोगों ने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में घेराव करना शुरू कर दिया. इस दौरान उन्होंने बलूचिस्तान से इस्लामाबाद तक 1600 किमी लंबा मार्च निकाला और राजधानी का घेराव करना शुरू कर दिया. इस दौरान बलूच के तरफ से किए जा रहे विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व विपक्षी नेता महरंग बलूच कर रही हैं. महरंग बलूच का पाकिस्तान के खिलाफ आरोप है कि ने लोग बलूचिस्तान प्रांत में पुरुषों को कथित तौर पर जबरन गायब कर रहे हैं.

वहीं गुरुवार (21 दिसंबर) को इस्लामाबाद में पुलिस ने हिला नेतृत्व वाले प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस छोड़ी और पानी की बौछारें की. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी में प्रवेश करते ही विपक्षी नेता महरंग बलूच सहित कम से कम 200 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया.

बलूचिस्तान राष्ट्रवादी आंदोलन का जन्म
बलूच प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने लाठीचार्ज किया और हेड गियर पहनकर रेड जोन में प्रवेश करने से रोका, जहां इस्लामाबाद में कार्यकारी, न्यायिक और विधायी भवन हैं. सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में अधिकारियों की तरफ से प्रदर्शनकारियों को पुलिस वाहनों में बिठाने का अराजक दृश्य दिखाया गया है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, कई लोगों को चीखते-चिल्लाते देखा जा सकता है, जबकि कई लोग जमीन पर बैठे हुए थे और उनके घाव दिखाई दे रहे थे.

पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान में पुरुषों को तथाकथित जबरन गायब किए जाने का आरोप खुफिया सेवाओं पर लगाया गया है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस तरह के आरोप दशकों से लगाए जाते रहे हैं, जिसका संबंध 2000 के दशक की शुरुआत में बलूचिस्तान राष्ट्रवादी आंदोलन के जन्म से है.

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