मनमोहन सेजू/बाड़मेर. कहते हैं अगर कुछ करना चाहों तो शुरुआत तो तानों से ही होती है और अगर ताने घरवालों से ही मिले तो फिर काम करने का जतन और भी गंभीर हो जाता है. ऐसा ही कुछ हुआ है बाड़मेर के छोटे से गांव इब्रे का तला के एक युवक के साथ जिसने घर के बाहर लोगों को योग सिखाना शुरू किया तो सबसे पहले घरवालों ने ही विरोध किया.
आज आलम यह है कि बाड़मेर जिले भर में ही नही हर तरफ इनके चर्चे हैं. अब तक 200 से ज्यादा जगहों पर यह योग की प्रस्तुतियां दे चुके है. हम बात कर रहे हैं बाड़मेर जिले के इब्रे का तला गांव के सवाई सिंह राजपुरोहित की. कोरोना काल मे सवाई सिंह की ऑनलाइन योगा क्लास की चर्चाएं देश भर में हुई थी. अब यह बतौर शिक्षक बाड़मेर जिला मुख्यालय में कार्यरत है और इनके निर्देशन में महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम उच्च माध्यमिक स्कूल के बच्चे कई राष्ट्रीय पुरस्कार योग प्रतियोगिता में जीत चुके हैं.
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दो बार नेशनल स्तर पर कर चुके प्रदर्शन
सवाई सिंह वर्तमान में महात्मा गांधी स्टेशन रोड बाड़मेर में लेवल प्रथम के शिक्षक पद पर पदस्थापित है. पाकिस्तान सीमा से 15 किलोमीटर दूर स्थित इब्रे का तला गांव के शिक्षक सवाई सिंह राजपुरोहित बताते हैं कि उनके पिता दीपसिंह किसान है और माता सुगनी देवी गृहणी है. बचपन से ही योग के प्रति रुझान बढ़ा और आज करीब 200 से अधिक स्कूलों में निःशुल्क जाकर बच्चों को योग सीखा चुके हैं. वह बताते हैं कि साल 2009 और 2012 में नेशनल स्तर पर योग का प्रदर्शन कर चुके हैं.
घरवाले अब कर करने लगे फक्र
सवाई सिंह बताते है कि उनकी टीम में धनवती चौधरी, जयवीर, रुद्रप्रताप सिंह, देवेंद्र, मनीषा,योगिता, सुनीता शामिल है जो हर योगा को आसानी से सीखा देते है. वह बताते है कि शुरुआती समय में घरवालों के खूब ताने मिले और अब जब योगा में अच्छा काम किया तो घरवाले भी फक्र करते है.
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FIRST PUBLISHED : January 24, 2024, 11:15 IST