Zarina Wahab:मेरे पति से अफेयर करने वाली लड़कियों की भी थी गलती

zarina wahab :70 और 80 के दशक की फिल्मों का लोकप्रिय चेहरा अभिनेत्री जरीना वहाब इन दिनों साउथ की फिल्मों में सक्रिय हैं. उनकी फिल्म राजा साहब जल्द ही सिनेमाघरों में दस्तक देगी. उनसे हुई हालिया मुलाकात में उन्होंने अपने अब तक के कैरियर, विवादित शादी सहित कई पहलुओं पर बेबाकी के साथ बात की है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश

साउथ की फिल्मों में मां और बहन की भूमिका अहम होती है

मैं इन दिनों हिंदी फिल्मों से ज्यादा साउथ की फिल्में कर रही हूं. ऐसा इसलिए नहीं कि हिंदी में मुझे रोल नहीं मिल रहे हैं. इसकी वजह यह है कि साउथ में आज भी मां, बहन और भाभी को बहुत महत्व दिया जाता है. मैंने माई नेम इज खान, अग्निपथ जैसी फिल्में की है, लेकिन अब मां के रोल बहुत कम लिखे जा रहे हैं. आजकल हिंदी फिल्मों में इन रिश्तों को लेकर बहुत ज्यादा भावनाएं नहीं हैं. साउथ में हर फिल्म में मां का रोल होता है, चाहे वह प्रभास की फिल्म हो या चिरंजीवी की. मैं अब चिरंजीवी की मां का रोल कर रही हूं. मैं उनसे छोटी हूं, लेकिन मुझे कोई अफसोस नहीं है. प्रभाष की फिल्म राजा साहेब में भी मैं हूं. उस फिल्म में मेरा लुक सभी को चौंकायेगा.

मैंने कभी नहीं सोचा था कि हीरोइन बनूंगी

मैं बताना चाहूंगी कि मुंबई कभी हीरोइन बनने के लिए नहीं आयी थी. बचपन से ही मुझे डांस का बहुत शौक था. मैं भरतनाट्यम सीख रही थी. मैं स्कूल से भागकर फिल्में देखती थी. मैंने तेलुगु फिल्में और कुछ हिंदी फिल्में भी देखीं थी. उसमें डांस देखा था. एक दिन मैंने पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट का विज्ञापन देखा. मैंने अपनी बहन से कहा, वह मम्मी और पापा को मनाये. उसने उन्हें मना लिया और मैं एफटीआइआइ का हिस्सा बन गयी. अफसोस की बात ये है कि फिल्मों में मुझे मेरी डांसिंग स्किल दिखाने का बहुत कम मौका मिला है.

राज कपूर ने इस वजह से भंगन कहा था 

राज कपूर ने मेरे लुक पर कमेंट किया था और फिल्म से निकाल दिया था, इस तरह की बातें मैं सुनती रहती हूं, जो गलत है. मैं एफटीआइआइ में पढ़ रही थी. उस संस्थान में वे आते रहते थे. वे ‘बॉबी’ बना रहे थे, उन्होंने शैलेंद्र सिंह को साइन किया था, तो फिल्म इंस्टिट्यूट आते रहते थे. वे सभी स्टूडेंट्स को लोनी में अपने फार्म हाउस पर बुलाते थे. एक दिन उन्होंने मुझे देखकर कहा कि तुम ‘भंगन’जैसी दिखती हो. बुरा लगा, लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा. जब हम निकलने लगे, तो उन्होंने कहा “मैं वहीदा रहमान को यही कहता हूं, तो वह शब्द मेरे लिए बहुत बड़ी तारीफ थी. (हंसते हुए ) मैं बताना चाहूंगी कि वहीदा जी से मैं मुंबई में मिली थी और मैंने उन्हें यह बताया था. वह मुझे देखती रही गयी थीं.”

देव आनंद ने दिया था पहला मौका

देव आनंद की फिल्म इश्क इश्क इश्क अभिनय की शुरुआत हुई . उस फिल्म में काम पाने के लिए मैं महबूब स्टूडियो अपने फोटोग्राफ लेकर गई गई थी . उनके असिस्टेंट विश्वनाथ ने कहा कि वह शूटिंग में बिजी हैं . मैंने इंतजार किया . कुछ घंटों में वह आए .उनको देखकर मैं बहुत खुशी  हुई थी . उनकी एनर्जी  कमाल की थी उन्होने बिना फोटो देखें कहा कि तुम फिल्म में काम रही हो . मैंने उन्हें फोटो देखने को कहा तो उन्होंने कहा कि तुम्हारा फेस फोटोजेनिक है . इसके लिए तस्वीर देखने की जरूरत नहीं है .फिल्म में जीनत अमान की बहन की भूमिका में थी . मैं बताना चाहूंगी  कि काठमांडू में फिल्म की शूटिंग हुई थी और वहाँ का फाइव स्टार होटल सोलती था . जिसमें ससिर्फ  जीनत अमान को ही नहीं हम सभी को ठहराया गया था .

बासु दा ने ‘चितचोर’में मेकअप नहीं करने दिया

देव आनंद की फिल्म ‘इश्क इश्क इश्क’से अभिनय की शुरुआत हुई. लीड भूमिका राजश्री की ‘चितचोर’ में मिली. फिल्म ‘चितचोर’की शूटिंग मुंबई के महाबहलेश्वर में हुई थी. बासु चटर्जी हमारे निर्देशक थे. उन्होंने मुझे कभी मेकअप करने की इजाजत नहीं दी थी. मैं थोड़ा लगा भी लेती थी, तो वह मुझसे पोंछने को कहते थे. फिर शूटिंग शुरू करते थे. उन्हें लिपस्टिक का एक टच भी पसंद नहीं था. बासु दा बहुत सख्त निर्देशक थे. फिल्म में मेरे भाई की भूमिका में नजर आये अभिनेता मास्टर राजू के साथ मेरी ऑफ स्क्रीन भी बॉन्डिंग बहुत अच्छी थी. हम ऑफ कैमरा खेलते रहते थे. एक दिन खेल-खेल में मैं उससे पूछ रही थी कि एक गूंगा लड़का पानी कैसे मांगता है और एक अंधा कैंची कैसे मांगता है. वह बासु दा ने देख लिया और फिल्म में भी उसका इस्तेमाल किया. वह एक बेहतरीन फिल्म थी. मुझे अमोल पालेकर के साथ काम करने का मौका मिला. आज भी मैं उनके संपर्क में हूं. अमोल बहुत मिलनसार थे.

हर युवा की तरह शशि कपूर मेरे क्रश थे

हर युवा की तरह मेरा भी क्रश था. मुझे शशि कपूर बहुत पसंद थे. स्कूल के दिनों में मैं अखबारों और मैगजीन से उनकी तस्वीरें काटकर अपनी सभी स्कूली किताबों के कवर पर चिपकाती थी. जब मैं मुंबई आयी, तो मैं शबाना आजमी से मिलने जाती थी, क्योंकि वह एफटीआइआइ में मेरी सीनियर थीं और शशि कपूर अक्सर उनके घर आते थे. एक दिन उन्होंने पानी मांगा और आधा गिलास पानी पीकर चले गये. उनके जाते ही मैंने जाकर बचा हुआ पानी पी लिया. मुझे उन पर कुछ ऐसा ही क्रश था. मैं बहुत देर तक उसी कुर्सी पर बैठी रही, जिस पर वह कुछ समय पहले बैठे थे. मेरी खुशनसीबी थी कि मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला. (हंसते हुए ) मुझे याद है कि फिल्म ‘एक और एक ग्यारह’ में हमारा एक सीन था, जिसमें मुझे अपनी साड़ी फाड़कर उनकी कलाई पर राखी बांधनी थी. (हंसते हुए ) शुरुआत में मैंने ऐसा करने से मना कर दिया था.

विनोद खन्ना जमीन से जुड़े इंसान थे

मेरे करियर में मैंने कई लीजेंड्स के साथ काम किया है . मुझे विनोद खन्ना जी बहुत पसंद थे. वह बहुत हैंडसम थे . माधुरी दीक्षित के सेक्रेटरी रिंकू राकेश नाथ ने अपने बेटे के लिए एक फिल्म बनाई थी .उसमें हम साथ थे .हम समुद्र के आसपास शूटिंग कर रहे थे .जहां मछुआरे भी थे. विनोद खन्ना  इतने जमीन से जुड़े थे कि वह उन मछुवारों के साथ उनकी मिट्टी के बर्तन में खाना खाते  थे .ऐसा कौन सुपरस्टार करेगा.वह बहुत जल्दी हमें छोड़कर चले गए . राजेश खन्ना भी खाने खिलाने के बहुत शौकीन थे .

मेरे पति से अफेयर करने वाली लड़कियों की भी गलती थी

मेरी शादी के बारे में बहुत कुछ कहा जाता रहा है. मैं मानती हूं कि शादियां स्वर्ग में नहीं बनती हैं. वे धरती पर बनती हैं और उन पर वर्क करना पड़ता है. मेरे पति आदित्य पंचोली और मेरे बारे में सब बहुत कुछ कहते हैं, लेकिन उन लड़कियों के बारे में कोई कुछ क्यों नहीं कहता है. वे शादीशुदा हैं, दो बच्चों के पिता हैं, लेकिन लड़कियां उनके पीछे टूटी पड़ी रहती थीं. आदित्य घर पर अच्छे पति और पिता थे, इसलिए मैंने कभी उनसे सवाल नहीं किया. मैंने कभी इस बारे में नहीं सोचा. मैं अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताती थी. ये सोचकर परेशान नहीं रहती थी

.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *