Youth Mental Health | आखिर क्यों युवाओं की मेंटल हेल्थ इतनी खराब होती है? जानें यहां…

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युवाओं की मेंटल हेल्थ (फाइल फोटो)

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लंदन: थिंक टैंक रेजोल्यूशन फाउंडेशन (Think Tank Resolution Foundation) की एक हालिया रिपोर्ट में पाया गया है कि ब्रिटेन में 18-24 आयु वर्ग के 34 प्रतिशत युवाओं में एक सामान्य मानसिक विकार (Mental Disorders) के लक्षण हैं – जो किसी भी आयु वर्ग की तुलना में सबसे अधिक है। युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य (Youth Mental Health) संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। रिपोर्ट का एक विशेष निष्कर्ष यह है कि 20 साल पहले, इस आयु वर्ग में सामान्य मानसिक विकार होने की संभावना सबसे कम थी। बड़ा सवाल यह है कि ऐसा क्यों हो रहा है। 

युवाओं के हालचाल पर शोध करने वाले एक मनोवैज्ञानिक के रूप में, मेरा मानना है कि आज युवाओं को शैक्षणिक, पेशेवर और सामाजिक रूप से उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए अभूतपूर्व दबाव का सामना करना पड़ता है। यह दबाव विभिन्न रूपों में प्रकट हो सकता है, जिसमें शैक्षणिक तनाव, बेहतर बनने की चिंता और असफलता का डर शामिल है। वर्तमान सामाजिक कठिनाइयाँ, जैसे कि जीवन यापन के लागत संकट, ने इन मुद्दों को और अधिक बढ़ा दिया होगा – जैसा कि महामारी के दौरान अलगाव और जीवन के मूल्यवान अनुभवों के नुकसान का स्थायी प्रभाव होगा। किंग्स कॉलेज लंदन और गैर-लाभकारी अनुसंधान समूह ओरीजेन इंस्टीट्यूट के एक नए सर्वेक्षण से पता चलता है कि ब्रिटेन की अधिकांश जनता सोचती है कि आज के युवाओं को नौकरी खोजने में और पिछली पीढ़ियों की तुलना में चीजों को खरीदने में अधिक कठिनाई हो रही है। 

सफलता के सूचक

वैश्वीकरण और तकनीकी प्रगति ने नौकरी बाजार को बदल दिया है, नौकरियों को अधिक स्पष्ट रूप से उच्च या निम्न-कुशल व्यवसायों में विभाजित कर दिया है। इससे विशिष्ट कौशल और उच्च शिक्षा पर अधिक जोर दिया गया है। शैक्षिक या कैरियर की सफलता – या विफलता – अब पहले से कहीं अधिक दिखाई दे रही है। सोशल मीडिया के उदय ने सफलता की एक आदर्श छवि प्रस्तुत करने की आवश्यकता को तीव्र कर दिया है। सोशल मीडिया अकाउंट में लॉग इन करने से हमेशा किसी के पदोन्नत होने, नई नौकरी शुरू करने या कोई रोमांचक अवसर मिलने की घोषणा होती है। 

यह संभावित रूप से नकारात्मक भावनाओं को ट्रिगर कर सकता है, खासकर यदि कोई युवक नौकरी पाने या यहां तक कि साक्षात्कार तक पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहा हो। किंग्स कॉलेज लंदन और ओरिजन इंस्टीट्यूट के सर्वेक्षण में पाया गया कि सोशल मीडिया को युवाओं के बीच मानसिक स्वास्थ्य को खराब करने में एक प्रमुख चालक के रूप में देखा जाता है। एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि ब्रिटेन की जनता सोशल मीडिया को युवाओं के खराब मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण कारक मानती है।  

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सोशल मीडिया फ़ीड की बनाई हुई दुनिया, सफलता और खुशी के अवास्तविक मानक बना सकती है, जिससे असुरक्षा और कम आत्मसम्मान की भावना पैदा हो सकती है। ऑनलाइन समय में वृद्धि और ऑनलाइन पहचान बनाए रखने का दबाव भी अपर्याप्तता और अलगाव की भावनाओं को बिगाड़ सकता है। महामारी ने सामाजिक अलगाव और अनिश्चितता की भावनाओं को तीव्र करके इन मुद्दों को बढ़ा दिया है। संगठनात्मक बंदी और शारीरिक दूरी की आवश्यकताओं ने सामाजिक संपर्क और समर्थन को कम कर दिया। 

 शोध अध्ययन कहते हैं कि कोविड नियंत्रण उपायों के परिणामस्वरूप बच्चों और किशोरों के बीच मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट आई है, विशेष रूप से उन लोगों में जो पहले से ही सामाजिक आर्थिक नुकसान, तंत्रिका विविधता या विकलांगता जैसी कमजोरियों से ग्रस्त हैं। ब्रिटेन में युवाओं का एक बड़ा हिस्सा मानता है कि जब उनके माता-पिता उनकी उम्र के थे, तब की तुलना में कई क्षेत्र उनके लिए बदतर हैं; 78% सोचते हैं कि वे चीज़ें ख़रीदने में कम सक्षम हैं और 76% सोचते हैं कि पहले के मुकाबले अब मानसिक स्वास्थ्य ख़राब हो गया है। इससे निराशा की भावना पैदा होने की संभावना है। यदि युवा लोग अपने भविष्य को अंधकारमय देखते हैं और महसूस करते हैं कि वे अपनी संभावनाओं को बदलने के लिए कुछ नहीं कर सकते हैं, तो उनके ऐसे कार्यों और गतिविधियों में संलग्न होने की संभावना कम है जो उनकी स्थिति में सुधार कर सकते हैं। 

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मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता

किंग्स कॉलेज और ओरिजन इंस्टीट्यूट के सर्वेक्षण में पाया गया कि 47% लोग सोचते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं अतीत में युवा लोगों में भी आम थीं; उनकी पहचान इस रूप में नहीं की गई थी। पिछले दो दशकों में, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता और स्वीकार्यता बढ़ी है, जिससे इसपर अधिक दृश्यता और चर्चा हुई है। इससे इसे एक कलंक समझने की धारणा को कम करने और संसाधनों तक पहुंच में सुधार करने में मदद मिली है। लेकिन इसने युवाओं के लिए अपने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर नई चुनौतियाँ भी पैदा की हैं। बढ़ती जागरूकता ने युवाओं को मदद मांगने और अपने संघर्षों के बारे में बोलने के लिए सशक्त बनाया है।

दूसरी ओर, जिस तरह से मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा की जाती है, उसने मानसिक रूप से स्वस्थ और लचीला होने के तरीके खोजने के लिए दबाव की भावना पैदा की है, जिससे व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से अपने मानसिक कल्याण के लिए जिम्मेदार हो।  यह दबाव उन युवाओं के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है जो कठिन परिस्थितियों और संबंधित मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिससे शर्म और आत्म-दोष की भावनाएं पैदा हो रही हैं। ये सभी कारक आपस में जुड़े हुए हैं और इन्हें अलग करना कठिन है, जिसका अर्थ है कि कोई सरल समाधान नहीं है। लेकिन केवल युवाओं को ही नहीं, सभी को मेरी सलाह है कि जब भी संभव हो अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाने का प्रयास करें, अपने आप को अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकालें और सुनिश्चित करें कि आप हर छोटी से छोटी जीत का जश्न मनाएं।

(एजेंसी)

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