बिलासपुर. कहते हैं कि सफलता उसी के हिस्से आती है जो सच्ची चाह रखता है और सफलता के पीछे सच्चे दिल से कड़ी मेहनत करता है. कुछ ऐसी ही कहानी है बिलासपुर की रहने वाली सोलन अग्रवाल की. जिन्होंने परेशानियों के बीच कड़ी मेहनत और जद्दोजहद के साथ शुरूआत की. मेहनत का जो फल मिला उससे बेहद खुश हैं.
सोनल आज अपनी खुद की लघु फैक्ट्री की मालकिन हैं. सोलन ने मेहनत के दम पर अपना अलग मुकाम हासिल किया और अब एक सफल बिजनस वुमन बन चुकी है. सोनव वेस्ट मेटेरियल से उपयोग करने लायक प्रोडक्ट बनाती थी. हालांकि इसमें सफल नहीं होने पर कैरी बैग बनाती है और इसकी सप्लाई करती है.
खुद की पहचान बनाने के लिए नहीं की नौकरी
सोनल ने बताया कि इस जर्नी की शुरुआत वेस्ट मेटेरियल से इस्तेमाल करने लायक प्रोडक्ट बनाने से की है. सोनाली पुरानी साड़ी, चुनरी और अन्य कपड़ों से सबसे पहले बैग्स बनाना शुरू किया. इन्हें मार्केट में बेचा. प्रोडक्ट को पहचान दिलाने के लिए अलग-अलग शहरों में एग्जिबिशन भी लगाया. उन्होंने बताया कि इस दौरान देखा कि वेस्ट से बेस्ट बनाने का काम और भी लोग कर रहे हैं और इसमें मार्केट कम है. तब बिजनेस को एक नया रूप देने पर काम करना शुरू किया. सोनल ने बताया कि खुद की पहचान बनाना चाहती थी, इसलिए नौकरी करने का रास्ता नहीं चुना. जब वेस्ट से बैग बनाने में ज्यादा सफलता नहीं मिली तब कैरी बैग बनाने का कार्य शुरू किया.
20 हजार कैरी बैग हर मरह करती है सप्लाई
सोनल ने बताया कि फिलहाल कैरी बैग बनाने का काम कर रहे हैं. कैरी बैग्स शॉपिंग मॉल, दुकान, बाजार और अन्य जगहों पर सप्लाई होती है. समय के साथ अब उनकी सेल अच्छी हो जाती है. सोलन मार्केट में 20 हजार से अधिक कैरी बैग्स प्रतिमाह सप्लाई करती हैं. इन बेगों की शुरूआत 100 रुपए से है और हजारों तक कीमत जाती है. ज्यादातर थोक में ही बिक्री हो जाती है. सोनल अब अपने इस छोटे से बिजनेस को आगे चलकर बड़ा करना चाहती है. एक फैक्ट्री लगाना चाहती है, जहां बड़ी मात्रा में कैरी बैग्स का निर्माण हो सके और ऐसी महिलाओं को रोजगार देना चाहती है, जिनका कोई नहीं है. ताकि वे भी आत्मनिर्भर बन सके.
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FIRST PUBLISHED : July 4, 2024, 16:04 IST