नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: शरीर में सभी अंगों का सुचारू रूप से चलना जहां पर जरूरी होता है वहीं पर इन्हें सेहतमंद रखने के लिए खानपान पर ध्यान दिया जाता है। ऐसे ही सभी अंगों में से एक सेंस ऑर्गन में नाक और कान आते है जो सही से नहीं चलेंगे तो परेशानी आएगी।
यहां पर कान, जहां पर हमें आवाजें सुनने में मदद करते है वहीं पर इनका ख्याल रखना उतना ही जरूरी होता है। इसकी सेहत के प्रति ही जागरूकता बढ़ाने के लिए आज यानि 3 मार्च को World Hearing Day 2024 मनाया जाता है। यहां पर कानों की एक बीमारी ओटिटिस मीडिया विथ इफ्यूजन (OME) की बात करेंगे जो कानों को प्रभावित करती है।
क्या होता है Otitis Media with Effusion
कानों में होने वाले इस संक्रमण ओटिटिस मीडिया (OME) की बात की जाए तो, इसके मामले कई बढ़ रहे है। जहां पर इस बीमारी का इलाज नहीं कराया जाए तो, इसके गंभीर परिणाम हो सकते है। इससे मिडल ईयर का इन्फेक्शन हो सकता है या मिडिल ईयर में धीरे-धीरे वेंटिलेशन की समस्या हो सकती है। इस बीमारी में पीड़ित व्यक्ति को लगातार कोल्ड होना, एलर्जी, वायरल इंफेक्शन, एडेनोओडाइटिस और एडेनोइड हाइपरट्रॉफी जैसी परेशानी होती है।
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जानिए कैसे प्रभावित करती है बीमारी
कानों में होने वाली बीमारी ओएमई की बात की जाए तो, इस बीमारी के मामलों में 25 से 30 फीसदी का इजाफा हुआ है। खासकर 3 से 6 साल के बच्चों को इसका खतरा ज्यादा होता है। ऐसे में जिन बच्चों को एडोनोइड हाइपरट्रॉफी, बार-बार सर्दी, खांसी और एलर्जी होती है, उन्हें लगातार स्क्रीनिंग और चेकअप की जरूरत है। इस बीमारी के चपेट में आने से कानों की समस्या ज्यादा बढ़ती है जैसे ईयरड्रम का डैमेज हो जाना इसके अलावा कानों से तरल पदार्थ का निकलना।

ओटिटिस मीडिया (सोशल मीडिया)
कैसे बचाव संभव
ओएमई के खतरे होने से इस बीमारी में बचाव के लिए सही समय पर पहचान और सही इलाज की जरूरत होती है। नियमित तौर पर कानों की सफाई करते रहे। अगर कान में कोई दिक्कत आए तो डॉक्टर से बातचीत करें।