Vicky Kaushal Father Interview; Sham Kaushal On His Cancer Struggle | भास्कर इंटरव्यू में रोए विक्की कौशल के पिता शाम कौशल: बताया- कैंसर हुआ तो मरना चाहता था, लेकिन हिम्मत नहीं हुई; बाद में 5 फिल्मफेयर जीते

2 घंटे पहलेलेखक: आकाश खरे

  • कॉपी लिंक

शाम कौशल.. वैसे तो इस नाम को किसी भी तरह के इंट्रोडक्शन की जरूरत नहीं है। पर फिर भी उन्हें अच्छा लगता है जब लोग उन्हें विक्की कौशल के पापा कहकर इंट्रोड्यूस करते हैं।

खुद शाम ने 80 के दशक में बतौर स्टंटमैन अपना करियर शुरू किया था। फिर 1990 में वो पहली बार मलयालम फिल्म ‘इंद्रजालम’ से एक्शन डायरेक्टर बने। शाम अपने करियर में गैंग्स ऑफ वासेपुर, भाग मिल्खा भाग, पद्मावत, टाइगर जिंदा है और सिंबा समेत कई सुपरहिट फिल्मों के एक्शन डायरेक्ट कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ और ‘मिशन इम्पॉसिबल’ जैसी हॉलीवुड फिल्मों का भी एक्शन डायरेक्ट किया। शाहरुख खान स्टारर ‘अशोका’ और आमिर खान की ‘दंगल’ में एक्टिंग भी की।

करियर में 5 फिल्मफेयर अवॉर्ड जीतने वाले इकलौते एक्शन डायरेक्टर शाम कौशल ने इस इंटरव्यू में पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ, बेटे-बहू और लाइफ के अप्स एंड डाउन्स पर बात की। आप भी पढ़िए…

यह तस्वीर शाम कौशल के करियर के शुरुआती दौर की है। उन्होंने बॉलीवुड में बतौर स्टंटमैन अपने करियर की शुरुआत की थी।

यह तस्वीर शाम कौशल के करियर के शुरुआती दौर की है। उन्होंने बॉलीवुड में बतौर स्टंटमैन अपने करियर की शुरुआत की थी।

सवाल: एक दौर में आप सेल्स रिप्रेजेंटेटिव थे और फिर अचानक से एक्शन फील्ड में कैसे आ गए?
देखिए दो चीजें होती हैं। कोई काम या तो आप पैशन से करते हैं या मजबूरी में करते हैं। मुझे लगता है कि जो काम आप मजबूरी में करते हैं तो उसका पुश हमेशा थोड़ा ज्यादा होता है। मैं गांव से गरीब से घर से मुंबई में रोटी कमाने आया था। मेरा कुछ ऐसा तो था नहीं कि मैं फिल्म लाइन में हीरो बनने आया था। मेरा मोटिवेशन तो था कि मैं मां-बाप को पैसे भेजता रहूं और वो वहां गांव में सुकून से रह सकें। शुरू मैं तो सेल्स का काम करता था और मेरे पास रहने की भी जगह नहीं थी, तो ऑफिस में ही सोया करता था। फिर कुछ पंजाबी लोग मिले जो फिल्मों में स्टंट बॉय थे तो उनके साथ फिल्म सेट तक आ गया। शुरुआत में तो मुझे यह काम भी अच्छे से नहीं आता था। खूब गिरता-पड़ता था और चोटें लगती थीं पर मेरा ध्यान कभी उस तरफ नहीं गया, क्योंकि मेरा मोटिवेशन स्ट्रॉन्ग था कि काम मिलेगा, पैसा आएंगे तो पिताजी को भेज पाऊंगा। फिर इस तरह मैंने 10 साल तक स्टंटमैन के तौर पर काम किया। यह बहुत ही लोएस्ट लेवल का काम होता है और यहीं से मेरे अंदर विनम्रता आई। फिर 86 में घर ले पाया और फिर शादी हुई। मेरे दोनों बच्चे भी ऐसे घर में पैदा हुए जहां छोटा सा कमरा था, उसी में किचन था और छत के तौर पर शीटें पड़ी हुई थीं।

अपनी मां के साथ शाम कौशल। शाम का पैतृक गांव पंजाब के होशियारपुर में है।

अपनी मां के साथ शाम कौशल। शाम का पैतृक गांव पंजाब के होशियारपुर में है।

सवाल: आपने अपनी पर्सनल लाइफ का जिक्र बहुत ही कम किया है। वाइफ वीना कौशल जी से आपकी अरेंज मैरिज हुई थी ? मुलाकात कैसे हुई ?
मां-बाप हमेशा कहते रहते थे कि शादी कर ले और मैं यह बोलकर टाल देता कि जब तक घर नहीं खरीद लूंगा तब तक नहीं करूंगा। बात 1986 की है, जब फिल्म लाइन की स्ट्राइक चालू थी। मैंने मुंबई से ट्रेन पकड़ी और घर चला गया। शाम को मां चूल्हे पर रोटी बनाते हुए बोलीं कि तू 30 साल का हो गया है, घर भी ले लिया है, अब शादी कर ले? मैं भी मूड में था तो मां को बोल दिया कि मुझे एक हफ्ते बाद मुंबई वापस जाना है तब तक तू किसी लड़की को देखकर कर दे मेरा ब्याह।

मां ने अगले दिन ही एक फैमिली को बुला लिया। अब मैं भी गया उनसे मिला तो मैंने मिसेज की मम्मी से सीधा बोल दिया कि मैं सिगरेट पीता हूं, शराब भी पीता हूं.. अभी भी मेरे पिताजी का इंतजार करना हो तो आप कर लीजिए। अब पता नहीं उनको मेरी क्या चीज अच्छी लगी, वो इतना सुनकर भी रुक गए। मैंने बस इतना जरूर कहा कि मैं मेहनती इतना हूं कि आपकी लड़की को भूखा नहीं रखूंगा।

बस इस तरह बात पक्की हो गई और मेरी शादी हो गई। दो-तीन दिन बाद मिसेज को लेकर मुंबई आ गया। जब मैं उनको लाया तो मेरे कमरे में सिर्फ एक गद्दा, एक चटाई और चाय बनाने का ही समान था। फिर पहले तो हमने दोस्तों के घर दोपहर का लंच किया। फिर शाम में मैं बाजार से आटा रखने के एल्यूमीनियम का डब्बा और बाकी घर-गृहस्थी के सामान लेकर आया। फिर रात में मिसेज ने सबके लिए रोटी बनाई। आज भी हमारे घर में आटे का वो ही डिब्बा रखा हुआ है।

शाम ने 1990 में रिलीज हुई मोहनलाल स्टारर मलयालम फिल्म 'इंद्रजालम' से बतौर एक्शन डायरेक्टर करियर की शुरुआत की थी।

शाम ने 1990 में रिलीज हुई मोहनलाल स्टारर मलयालम फिल्म ‘इंद्रजालम’ से बतौर एक्शन डायरेक्टर करियर की शुरुआत की थी।

सवाल: लाइफ का सबसे खराब फेज कौन सा रहा?
पहले मैं अपनी लाइफ का यह इंसिडेंट किसी से शेयर नहीं करता था पर अब करने लगा हूं। 2003 में मैं लद्दाख से फिल्म ‘लक्ष्य’ की शूटिंग खत्म करके आया था। अचानक से मेरी तबियत खराब हुई और मुझे हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा। काफी सारे टेस्ट के बाद पता चला कि मेरे पेट में इंफेक्शन है और फिर डॉक्टर्स को सर्जरी करनी पड़ी। अब जब मैं ऑपरेशन थिएटर में था तो डॉक्टर्स ने नाना (पाटेकर) जी को बुलाया। वो मेरे बहुत क्लोज फ्रेंड हैं। जिस दौरान मैं ऑपरेशन थिएटर में पड़ा हुआ था तब नाना जी ने सारे कॉल लिए। जब मुझे होश आया तो देखा कि पेट पर काफी पटि्टयां लगी हुई हैं। मेरा पेट 3 से 4 जगह से कटा हुआ था। फिर मुझे पता चला कि डॉक्टर्स को डाउट था कि मेरे पेट के अंदर जो इंफेक्शन था वो कहीं कैंसर तो नहीं था? फिर जब उस टेस्ट का रिजल्ट आया तो पता चला कि मुझे कैंसर था और डॉक्टर्स का कहना था कि मेरा बचना मुश्किल है।

फिर तो मैंने सोचा कि मैं ऐसे कमजोर होकर नहीं जी सकता। मैंने तय कर लिया कि रात में हॉस्पिटल की खिड़की से कूदकर सुसाइड कर लूंगा। रात को जब मैंने उठने की कोशिश की तो मुझसे उठा नहीं गया, क्योंकि मेरे पेट पूरा कटा हुआ था।

फिर मैंने वहीं बिस्तर पर लेटे-लेटे भगवान से बात की कि मैं 48 साल का हो गया हूं और मैं कहां से छोटे से गांव के गरीब से घर से आया था। मुझे चाहो तो आप ले जाओ, कोई गम नहीं.. पर मुझे यहां पर कमजोर मत रखना। इस तरह ऊपरवाले से यह बात करके मेरा डर निकल गया। इसके बाद मैं 50 दिन हॉस्पिटल में और रहा और आज मैं एक दम ठीक ठाक हूं। मैं यह मान कर चलता हूं कि मैंने तब भगवान से 10 साल मांगे थे कि मेरे बच्चे छोटे हैं, उनको बड़ा हो जाने दो। आज इस बात को 20 साल हो गए हैं, तो मैं तो भगवान की दी हुई उधार की जिंदगी जी रहा हूं।

मैं यह कहानी सबसे सिर्फ इसलिए शेयर करता हूं, ताकि मैं लोगों से कह सकूं कि कभी भी उम्मीद मत छोड़ो। मेरी लाइफ का बेस्ट फेज और मेरे बच्चों का भी बेस्ट फेज उसके बाद आया। इतने सारे अवॉर्ड्स मिले और सारे बेहतर काम मैंने उस इंसिडेंट के बाद ही किए। ‘धूम’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘गुंडे’, ‘ब्लैक फ्राइडे’, ‘दंगल’, ‘बाजीराव मस्तानी’ और ‘पद्मावत’ जैसी फिल्में मुझे उसके बाद ही मिलीं। हमेशा याद रखिए कि बुरे वक्त में उम्मीद नहीं खोना है, क्योंकि अच्छा वक्त उसी बुरे वक्त के गुजरने के बाद आता है।

(बाएं से) छोटे बेटे सनी कौशल, पत्नी वीणा कौशल, बहू कटरीना कैफ और बड़े बेटे विक्की कौशल के साथ शाम कौशल।

(बाएं से) छोटे बेटे सनी कौशल, पत्नी वीणा कौशल, बहू कटरीना कैफ और बड़े बेटे विक्की कौशल के साथ शाम कौशल।

सवाल: आपने हमेशा एक आम आदमी की तरह ही जीवन बिताया है। आपको दोनों बेटों ने भी आम कलाकारों की तरह ही बॉलीवुड में एंट्री ली। अब बेटा भी सुपरस्टार है और बहू भी। घर में और जीवन में कितने चेंजेस आए है?
चेंजेस तो सोच में आते हैं और हम सभी की सोच हमेशा से वही है। मेरा मानना है कि हम बच्चों को कुछ दिखा के या बता के सिखा नहीं सकते। बच्चे मां-बाप को जैसा देखते हैं वैसा ही सीखते हैं। विक्की और सनी भी हमेशा से ग्राउंडेड है क्योंकि उन्होंने हमेशा से मेरा स्ट्रगल देखा है। उन्होंने देखा है कि पापा ने कितनी मेहनत की है, चटाई पर सोए हैं। उनका व्यवहार लोगों के प्रति कैसा है, तो उन्होंने ये सब वहीं से सीखा। फिर बहू आई तो घर में और खुशी आ गई। घर में बेटी नहीं थी तो आज बेटी आ गई।

मेरा मानना है कि लाइफ में आज के लिए ईमानदार रहोगे तो ऊपर वाला आपके फ्यूचर का ध्यान रखेगा। मेरा कहना है कि भगवान से कुछ मांगो मत.. आपके हक में जो होगा वो मिलेगा ही। मेरे को तो ऊपर वाले ने मेरे सपने से ज्यादा ही दिया है, मैं मांगता ही क्या भगवान से? गांव में बिजली हीं नहीं थी.. मैं अंधेरे में क्या मांगता भगवान से?

शाम का कहना है कि वो कटरीना कैफ को घर में बहू नहीं बल्कि बेटी की तरह लेकर आए हैं।

शाम का कहना है कि वो कटरीना कैफ को घर में बहू नहीं बल्कि बेटी की तरह लेकर आए हैं।

सवाल: ‘मसान’ से लेकर ‘सैम बहादुर’ तक एज ए पर्सन, एक्टर एंड सन… विक्की में क्या चेंजेस देखे आपने ?
बतौर बेटा तो कोई भी बदलाव नहीं आया। आज भी उतनी ही डांट पड़ती है। सुबह उठकर आज भी पैर छूता.. बिलकुल वैसा ही है जैसा पहले था। बतौर अभिनेता ग्रोथ करता जा रहा है लगातार। अब उसे पता है कि उसके ऊपर किसी प्रोड्यूसर की कितनी बड़ी जिम्मेदारी है तो बतौर एक्टर लगातार ग्रोथ कर रहा है।

मैं आपको बताऊं कि एक बाप के लिए इससे बड़ी खुशी की बात नहीं होती कि उसे उनके बेटे के नाम से जाना जाए। मैं ताे लोगों से खुद कहता हूं मुझे मेरे नहीं बल्कि विक्की के नाम से इंट्रोड्यूस कीजिए। मुझे इसमें फख्र महसूस होता है।

विक्की के साथ बचपन की और कुछ साल पहले की तस्वीर में शाम कौशल।

विक्की के साथ बचपन की और कुछ साल पहले की तस्वीर में शाम कौशल।

सवाल: वो मोमेंट कैसा था जब आपने पहली बार विक्की के साथ एक्शन डायरेक्ट किया था?
उसकी डेब्यू फिल्म ‘मसान’ से पहले भी एक फिल्म शूट हुई थी ‘जुबां’, जो ‘मसान’ के बाद रिलीज हुई थी। उसका एक एक्शन सीक्वेंस शूट होना था दिल्ली के बाहर एक स्विमिंग पूल में। हमने उसके साथ नाइट शूट किया और शॉट ओके हो गया। अगली सुबह मैंने टीम से बात की तो मैंने कहा कि विक्की ने बड़ा अच्छा रिएक्शन दिया। जब भी उसके घुटने पर हॉकी पड़ती थी तो वो दर्द वाले एक्सप्रेशन बड़े अच्छे दे रहा था।

तो टीम के एक मेंबर ने बताया कि नहीं पाजी, विक्की ने अपने जूते में एक कंकड़ डाल लिया था और जब-जब वो शॉट देता था तो वो उसके पैरों में चुभता था उससे ये एक्सप्रेशंस आते थे। बाय गॉड, उस पल मुझे खुद पर बहुत गर्व हुआ। मुझे खुशी इस बात की नहीं थी कि मैंने अपने बेटे के साथ काम किया। मुझे खुशी इस बात की थी कि आज मैंने एक बहुत ही अच्छे न्यूकमर के साथ काम किया।

शाम ने हालिया रिलीज शाहरुख खान स्टारर 'डंकी' में भी बेटे विक्की के साथ काम किया था।

शाम ने हालिया रिलीज शाहरुख खान स्टारर ‘डंकी’ में भी बेटे विक्की के साथ काम किया था।

शाम कौशल ने अपने करियर में कई फिल्मों में एक्टिंग भी की है। वो 'दंगल' में आमिर खान के अखाड़े के गुरु के रोल में नजर आए थे।

शाम कौशल ने अपने करियर में कई फिल्मों में एक्टिंग भी की है। वो ‘दंगल’ में आमिर खान के अखाड़े के गुरु के रोल में नजर आए थे।

सवाल: एक दौर था जब हीरो क्लाइमैक्स में विलेन से बदला लेने के लिए एक्शन करता था.. अब न्यू एज सिनेमा में लीड एक्टर शुरू से लेकर अंत तक खुद ही हिंसक रहता है। ऐसी फिल्में आपके लिए क्या चैलेंज लेकर आई हैं ?
पहले 70’s और 80’s में रिवेंज ड्रामा फिल्में बनती थीं। एक हीरो है, एक हीरोइन है और फिर थोड़ी देर बाद एक विलेन इंट्रोड्यूस किया जाता था। वो विलेन, हीरो की मां को या बहन को उठाकर ले जाएगा। फिर क्लाइमैक्स में टिपिकल वो ही कि हीरो जाकर विलेन से अपना बदला लेता था। फिर 90’s में फिल्मों में काफी चेंज आया। वो टिपिकल हीरो-विलेन वाली कहानियां बनना बंद हो गईं और आज के दौर में तो हीरो ही ग्रे कैरेक्टर प्ले करते हैं।

हमारा जो एक्शन होता है वो हमेशा से ही स्टोरी ड्रिवन रहा है। जैसे-जैसे स्टोरियां बदलती गईं, किरदार बदलते गए.. वैसे-वैसे हमारा एक्शन भी बदलता गया। अब हम भी कहानियों के हिसाब नए तरीके का एक्शन लेकर आते हैं। आज हर चीज स्टोरी ड्रिवन हो गई है।

करियर में शाम ने शत्रुघ्न सिन्हा, अमिताभ बच्चन से लेकर रणवीर सिंह जैसे आज के दौर के एक्टर्स तक के साथ काम किया है।

करियर में शाम ने शत्रुघ्न सिन्हा, अमिताभ बच्चन से लेकर रणवीर सिंह जैसे आज के दौर के एक्टर्स तक के साथ काम किया है।

सवाल: VFX के इस दौर में किस तरह से आपने अपने काम को बदला है?
ओवरनाइट ताे कोई चीज चेंज नहीं होती है। जब मैं एक्शन डायरेक्टर बना 90’s में तब किसी ने VFX का नाम ही नहीं सुना था। फिर जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी आती गई हम उसे वैसे वैसे अडाप्ट करते गए। पहले तो मैंने ‘शक्तिमान’ किया तो उसमें ग्रीन स्क्रीन का काम आया। वहां से मुझे थोड़ी-थोड़ी नॉलेज मिलना शुरू हुई। फिर मैंने ऋतिक रोशन की ‘क्रिश’ की जिसमें बहुत सारा VFX वर्क किया गया था। फिल्म में फॉरेन से भी कई लोग जुड़े थे। उनके साथ काम करके मैंने नॉलेज जुटाई। आज VFX एक्शन के लिए काफी हेल्पफुल है पर सबसे पहले आपको आना चाहिए कि आपको VFX को कहां और कैसे यूज करना है। जब आपको इस बात का ज्ञान होगा तो यकीनन VFX आपके काम को और बेहतर बनाएगा।

वो फिल्म 'अशोका' में शाहरुख खान के साथ एक्टिंग भी कर चुके हैं।

वो फिल्म ‘अशोका’ में शाहरुख खान के साथ एक्टिंग भी कर चुके हैं।

इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान छोटे विक्की और सनी कौशल ने शाहरुख से पहली मुलाकात भी की थी।

इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान छोटे विक्की और सनी कौशल ने शाहरुख से पहली मुलाकात भी की थी।

सवाल: आज हर दूसरी बॉलीवुड फिल्म में विदेशी एक्शन डायरेक्टर्स को हायर किया जाता है। इस कॉम्पिटिशन से कैसे डील करते हैं ?
मैं इसे कॉम्पिटिशन की तरह तो नहीं देखता। आज अगर आप न्यूयॉर्क जाएंगे तो हमारे यहां के IT के कई बच्चे वहां भरे पड़े हैं। मेरे ख्याल से दुनिया छोटी हो रही है और जिसको जहां पर जो काम का आदमी मिल रहा है वो उससे काम ले रहा है। अब मैंने ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ का एक्शन डिजाइन किया था। उसके डायरेक्टर चाहते तो बाहर से ही एक्शन डायरेक्टर लेकर आ सकते थे पर वो चाहते थे कि फिल्म का एक्शन यहीं का बंदा डिजाइन करे, ताकि वो ऑर्गेनिक लगे। इसी तरह जब हमारे डायरेक्टर्स बाहर जाकर फिल्म शूट करते हैं तो उन्हें भी बाहर का एक एक्शन डायरेक्टर हायर करना ही पड़ता है। बाकी तो फिर यह डायरेक्टर-प्रोड्यूसर का कॉल होता है कि वो अपनी फिल्ममेकिंग में किससे हेल्प लेना चाहते हैं।

फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' को शाम अपने करियर की सबसे मुश्किल फिल्म मानते हैं।

फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ को शाम अपने करियर की सबसे मुश्किल फिल्म मानते हैं।

सवाल: दंगल एक स्पोर्ट्स फिल्म, बाजीराव मस्तानी एक पीरियड एक्शन ड्रामा और गैंग्स ऑफ वासेपुर एक देसी फिल्म.. तीनों में से किसका एक्शन डायरेक्ट करना मुश्किल था और क्यों?
सच कहूं तो आसान तो कुछ भी नहीं था। मेरा ऐसा है कि मैं जब किसी फिल्म पर जाता हूं और उसके एक्शन सीक्वेंस के बारे में सोचता हूं तो अपना दिमाग एकदम क्लीन स्लेट जैसा कर लेता हूं। फिर मैं सिर्फ उसी स्क्रिप्ट में रहकर सब सोचता हूं।

जैसे जब ‘दंगल’ की तो उसमें पहलवान कैसे करेंगे ? उसके लिए एक कोच हायर किया, उनसे एक्टर्स को ट्रेनिंग दिलवाई। फिर जैसे ‘बाजीराव मस्तानी’ की तो वो एक पीरियड ड्रामा तो उसके कैरेक्टर्स को फील करके उसका एक्शन डिजाइन किया। इस तरह जब आप हर फिल्म की स्क्रिप्ट को जीते हो और उनके किरदारों के पॉइंट ऑफ व्यू से सोचते हो तो अपने आप एक्शन सीक्वेंस डिजाइन हो जाते हैं।

हां, आसान कुछ भी नहीं होता। फिर भी अगर मैं इन फिल्मों में से एक फिल्म चूज करूं तो मेरे लिए सबसे मुश्किल रहा ‘बाजीराव मस्तानी’ का वॉर सीक्वेंस डिजाइन करना। मेरे साथ यह है कि मैं पर्सनली बहुत सॉफ्ट हूं। आप मुझे बड़े से बड़ा सीक्वेंस दे दीजिए मुझे कभी स्ट्रेस नहीं होता, पर जहां पर मुझे थोड़ा भी रिस्क फैक्टर दिखता है तो मैं स्ट्रेस में आ जाता हूं। भगवान से प्रार्थना करता रहता हूं कि किसी को चोट ना लगे।

अब इस फिल्म में जो वॉर सीक्वेंस था उसमें 400-500 घोड़े थे, तो पूरे टाइम डर लगता था कि कहीं कोई टकरा ना जाए और किसी को चोट ना लग जाए। कई बार ऐसी सिचुएशन होती है कि लगता था मुझे ही हार्ट अटैक आ जाएगा। कभी-कभी तो मुझे लगता है कि मैं गलत प्रोफेशन में आ गया पर अब क्या करूं.. करना पड़ता है।

इतने सालों तक कई अवॉर्ड्स जीतने और नाम कमाने के बाद भी शाम को अच्छा लगता है जब कोई उन्हें उनके बेटे विक्की कौशल के नाम से जानता है।

इतने सालों तक कई अवॉर्ड्स जीतने और नाम कमाने के बाद भी शाम को अच्छा लगता है जब कोई उन्हें उनके बेटे विक्की कौशल के नाम से जानता है।

सवाल: क्या कभी कोई फिल्म डायरेक्ट करने का विचार आया ? आगे क्या करने की इच्छा है?
नहीं साहब.. कभी नहीं..। मैंने तो जीवन में लोगों से बस लिया ही लिया है। प्रोड्यूसर बनकर किसी को कुछ दे पाना तो मेरे बस की बात नहीं है। मैं उतने में ही खुश रहने वाला इंसान जितना मेरे पास है।

खबरें और भी हैं…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *