UP government employees can take study leave even without working for 5 years services High Court gives big relief – यूपी में सरकारी कर्मचारी बिना 5 साल नौकरी किए भी ले सकते हैं स्टडी लीव, हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत, Education News

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि विशेष परिस्थिति में पांच साल की नौकरी पूरी होने से पहले भी अध्ययन अवकाश लिया जा सकता है। कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक प्रयागराज को इस निष्कर्ष के आलोक में याची के आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने निदेशक के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें उन्होंने याची को इस आधार पर अध्ययन अवकाश देने से इनकार कर दिया था कि याची की सेवा पांच साल पूरी नहीं हुई है। कोर्ट ने एक माह के भीतर कानून के अनुसार उचित निर्णय लेने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने प्रिया मिश्रा की याचिका पर यह आदेश दिया।

याची प्रिया मिश्रा पंडित दीन दयाल उपाध्याय राजकीय बालिका डिग्री महाविद्यालय, सेवापुरी, वाराणसी में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। याची ने 9 जून 2023 को एक आवेदन प्रस्तुत कर कहा कि सरकारी सेवा में आने से पहले वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से पीएचडी कर रही थीं। उन्होंने नियमित शोध छात्रा के रूप में अपना पाठ्यक्रम और दो साल का कार्य पूरा कर लिया है। सेवा में शामिल होने से पहले उसने ने शोध कार्य से दो साल का अस्थायी अवकाश लिया था। यह अवधि 28 जून 2023 को समाप्त हो गई। याची ने 29 जून 2023 से 28 जून 2024 तक एक वर्ष की अवधि के लिए अध्ययन अवकाश देने के लिए आवेदन किया था। 

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निदेशक, उच्च शिक्षा,  प्रयागराज ने 4 अप्रैल 2023 के आदेश से आवेदन खारिज कर दिया। कहा गया कि वित्तीय पुस्तिका खंड 2 के नियम 146 (ए) के प्रावधानों के अनुसार, अध्ययन अवकाश केवल उस सरकारी कर्मचारी को दिया जा सकता है जिसकी सेवा कम से कम पांच साल पूरी हो चुकी हो। याची की सेवा पांच साल पूरी नहीं हुई। इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।

याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि उत्तर प्रदेश फंडामेंटल रूल्स के नियम 84 के तहत राज्यपाल की ओर से बनाए गए नियम में यह प्रावधान है कि पांच वर्ष से कम सेवा वाले सरकारी कर्मचारियों को सामान्यतः अध्ययन अवकाश प्रदान नहीं किया जाना चाहिए। दलील दी कि सामान्यतः शब्द का प्रयोग यह दर्शाता है कि विशेष परिस्थितियों में पांच वर्ष की सेवा पूरी करने की आवश्यकता में छूट दी जा सकती है।

याची को अपने शोध कार्य और अध्ययन को पूरा करने के लिए केवल एक वर्ष का अतिरिक्त समय देना है। यह याची के पक्ष में एक विशेष परिस्थिति है। अध्ययन अवकाश के आवेदन पर निर्णय लेते समय ध्यान में रखा जाना चाहिए था। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए निदेशक, उच्च शिक्षा, यूपी, प्रयागराज के आदेश को रद्द कर दिया।

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