Uday Saharan | ‘उदय ने कप्तानी और बल्लेबाजी में दिखाई मानसिक मजबूती’, फाइनल में पहुंचते ही बोले कप्तान के पिता

Uday Saharan Under-19 World Cup 2024

उदय सहारन (PIC Credit: Social Media)

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नई दिल्ली: अंडर-19 विश्व कप (Under-19 World Cup 2024) में भारतीय टीम (Team India) को फाइनल में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले उदय सहारन (Uday Saharan) ने अपनी बल्लेबाजी और कप्तानी में दबाव में ना बिखरने वाली मानसिक मजबूती दिखायी है।  

पिछले साल जूनियर एशिया कप के चयन से पहले अंडर-19 चैलेंजर टूर्नामेंट में उनका बल्ला नहीं चल रहा था जिससे उनके पिता संजीव सहारन राष्ट्रीय टीम में इस खिलाड़ी की जगह को लेकर चिंतित हो गये थे। संजीव ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘उदय रन नहीं बना पा रहा था जिससे मैं चिंतित था। वह हालांकि मुझसे कहता था कि ‘पापा आप चिंता मत करिये, मैं लय हासिल कर लूंगा। इससे उदय का आत्मविश्वास झलकता था। मैं ऐसा इसलिए नहीं कह रहा हूं कि उदय मेरा बेटा है लेकिन आप 19 साल की उम्र में इस तरह की परिपक्वता की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।”

सेमीफाइनल में मंगलवार को भारतीय टीम 245 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 32 रन पर चार विकेट गंवा कर मुश्किल में थी।  सहारन (81) ने सचिन धास (96) के साथ पांचवें विकेट के लिए 171 रन की शानदार साझेदारी कर टीम को लक्ष्य के करीब पहुंचाया। भारतीय टीम लगातार पांचवीं बार इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची है। उदय राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के रहने वाले है लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर वह पंजाब का प्रतिनिधित्व करते हैं।  

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उनके पिता ने कहा, ‘‘मैचों के दौरान वह श्री गंगानगर से बठिंडा तक की यात्रा करते हैं जो दो घंटे की ट्रेन यात्रा है। वह बठिंडा विश्वविद्यालय से बीकॉम द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहा है। वहां मेरा एक दोस्त था, जिसने सुझाव दिया कि उदय को क्रिकेट के लिए पंजाब के फाजिल्का में भेजा दिया जाये।” भारतीय बल्लेबाज शुभमन गिल भी फाजिल्का के रहने वाले हैं। 

उदय मौजूदा विश्व कप में तीन अर्धशतक और एक शतक के साथ सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। उनकी बल्लेबाजी की शैली 1980 और 90 के दशक की बल्लेबाजों की तरह है। उनका स्ट्राइक रेट 70 के आसपास रहता है। फिलहाल यह टीम के काम आ रहा है लेकिन सीनियर स्तर पर आने के लिए उन्हें इस मामले में मेहनत करनी होगी। संजीव पेशे से आयुर्वेद के चिकित्सक और बीसीसीआई के ‘लेवल एक’ मान्यता प्राप्त कोच है। उन्होंने कहा, ‘‘उदय मुझ से कहता है कि पापा जब एक-दो रन दौड़ कर रन बन जाये तो छक्का मारने की क्या जरूरत है। छक्का मारना होगा तो वो भी मार लूंगा।”  

उनके लिए तकनीक ज्यादा मायने रखती है और उदय क्रिकेट को पारंपरिक तरीके से खेलना जानते हैं। राजस्थान में जिला स्तर का क्रिकेट खेलने वाले संजीव ने बताया, ‘‘मैंने उदय को तकनीक के महत्व के बारे में समझाया है। वह जरूरत पड़ने पर बड़े शॉट खेल सकता है। वह अंडर-16 स्तर पर एक मैच 60 गेंद में 108 रन बना चुका है इस मैच में उसने अर्शदीप सिंह के खिलाफ छक्के लगाए थे।”  

संजीव से जब सेमीफाइनल मैच के दौरान घर के माहौल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘क्या ही बोलूं। उदय की दीदी, मेरी बड़ी बेटी तो मंदिर वाले घर से बाहर नहीं निकली। वो तो रोने लग गई थी। मेरी पत्नी की भतीजी की शादी थी लेकिन वो भी पूरे मैच के दौरान मंदिर में बैठी रही। हम पल्लू देवी मां के अनुयायी है।”

(एजेंसी)

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