This show was to be made 10 years ago | 90’s की टॉप एक्ट्रेस रहीं रवीना टंडन बोलीं: एक्टिंग से ज्यादा मेरे गानों की चर्चा होती थी, फेल होने पर लोग मजे लेते थे

14 मिनट पहलेलेखक: किरण जैन

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90 के दशक की टॉप एक्ट्रेसेस में से एक रहीं एक्ट्रेस रवीना टंडन इन दिनों वेब सीरीज ‘कर्मा कॉलिंग’ को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने भी बाकियों की तरह अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। एक्ट्रेस की मानें तो पब्लिक फिगर होने के नाते एक्टर्स की तकलीफ का ढिंढोरा पिट जाता हैं, जिससे उनकी तकलीफ दोगुनी हो जाती है।

दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान रवीना ने अपनी प्रोफेशनल लाइफ से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें शेयर कीं। पेश है इस बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:

यह शो 10 साल पहले बनना था
रवीना ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हर चीज की अपनी किस्मत होती है। ‘कर्मा कॉलिंग’ शो आज से 10 साल पहले बनना था लेकिन यह अब जाकर बन रहा है। आज एक ऐसा दौर है, जहां बतौर मेकर और एक्टर हमारे पास अपने किरदार, स्क्रिप्ट और कहानी को एक्स्प्लोर करने का ज्यादा स्कोप हैं। आज ऑडियंस एंटी-हीरो, एंटी-हीरोइन को भी एक्सेप्ट कर रहे है। इस सीरीज को रिलीज करने का यह एकदम सही समय है।’

एक्टिंग से ज्यादा गानों ने चर्चा बटोरी
90 के दौर में कई एक्ट्रेसेस स्टीरियोटाइप हो जाती थीं। स्क्रीन पर हम जैसे रोल किया करते थे उसे देखकर फिर हमें वैसे ही रोल ऑफर होते थे। मेकर्स को लगता था कि हमें एक जैसा रोल ही करना आता है। इसी दौर में मैंने ‘सत्ता’, ‘इम्तिहान’, ‘शूल’, ‘मातृ’, ‘गुलाम-ए-मुस्तफा’ जैसी फिल्मों में परफॉर्मेंस बेस्ड रोल प्ले किए तो वहीं दूसरी ओर मेरी कई फिल्मों के गाने भी खूब हिट हुए।

बुरा तब लगा जब परफॉर्मेंस से ज्यादा मेरे गानों के चर्चा हुई। हालांकि, मैंने फिर भी हमेशा खुद को परफॉर्मेंस बेस्ड पर अपडेट रखा। अब गाने तो टाइमलेस होते हैं लेकिन किसी भी किरदार के जरिए अपनी पहचान बनाना बहुत जरूरी है।

पब्लिक फिगर हैं, ऐसे में हमारी तकलीफ का ढिंढोरा पिट जाता है
करियर में मेरी कुछ फिल्में हिट हुईं तो कुछ फ्लॉप भी हुईं। कुछ चीजें चलने के बावजूद भी निराशाजनक होती थीं। ऐसी स्थिति में ठेस तो बहुत पहुंचती है लेकिन मैं गिरकर फिर उठने में विश्वास रखती हूं। दरअसल, उतार-चढ़ाव हर किसी के करियर में होता है लेकिन हम एक्टर्स के करियर पर काफी चर्चा होती है। पब्लिक फिगर होने के नाते हमारे दुःख या तकलीफ का ढिंढोरा कुछ ज्यादा ही पीटा जाता है। इससे हमारा दुःख दोगुना हो जाता है।

कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हमारी नाकामयाबी के मजे लेते हैं। जब मेरे साथ ऐसा हुआ, तब मैंने अपने आपको कुछ वक्त के लिए समेट लिया, फिर उठी और फिर चलना शुरू कर दिया। इसी समय मैंने अपनी सही ताकत को पहचाना था।

जिन्होंने मेरे साथ बुरा किया, उनके साथ अपने आप बुरा हो गया

जैसी करनी वैसी भरनी- मैं इस बात पर बहुत विश्वास रखती हूं। मेरे साथ भी ऐसे कुछ किस्से हुए जहां मुझे बहुत बुरा लगता था। कई लोगों ने मुझे चोट पहुंचाई। कई बार मुझे लगता था कि मैंने कुछ गलत किया ही नहीं। मैं खुद से ही सवाल करती थी कि मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ? लेकिन वक्त गुजरता गया और मुझे एहसास हुआ कि ‘न्याय’ और ‘कर्म’ वाकई में होता है। जिन्होंने भी मेरे साथ गलत किया उन्हें अपने आप उसका बुरा फल मिला।

कर्मा अपना न्याय जरूर करता हैं – चाहे आप गरीब हो या आमीर। आप ताजमहल में रहो या किसी झोपड़ी में, कर्मा किसी को नहीं छोड़ता। मैं भगवान और कर्मा दोनों को बहुत मानती हूं। वैसे, रियल लाइफ में मैं बहुत ही आध्यात्मिक इंसान हूं। बचपन से ही गीता में लिखे गए श्लोक को मानती आ रही हूं, खासतौर पर- जैसा बोएंगे वैसा पाएंगे। अब तो यही जिंदगी का मंत्र भी बन गया है।

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