Thanatophobia | क्या होता है थेनाटोफोबिया, जानिए इसके लक्षण और कौन-सी थेरेपी है कारगार

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थेनाटोफोबिया की बीमारी (सोशल मीडिया)

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नवभारत डिजिटल टीम: किसी दर्दनाक घटना (Life Incident) का असर इंसान पर पड़ जाए तो उसको सदमे से निकाल पाना मुश्किल हो जाता है। उस दौरान व्यक्ति खुद की भावनाओं पर कंट्रोल नहीं रख पाते और छोटी-छोटी चीजों से ही घबराने लगते है। अगर आसपास कोई मौत हो जाने के डर या सदमे में बार-बार मौत की बात करता है तो उसे थेनाटोफोबिया (Thanatophobia) का खतरा माना जाता है। इसमें इंसान को ख्याल रखना जरूरी होता है। 

विस्तार से जानिए थेनाटोफोबिया

यहां पर अगर हम बात करें थेनाटोफोबिया कि यह एक तरह का ऐसा फोबिया है जिसमें पीड़ित व्यक्ति को हमेशा अपनी मौत व अपने किसी करीबी व्यक्ति की मौत होने का डर सताता है। हमेशा इन ख्यालों में रहने की इस वजह को थेनाटोफोबिया कहते है। लोग मरने के विचार से दूसरे लोगों की तुलना में बहुत ज्यादा घबरा जाते हैं। 

जानिए क्यों होता है ये फोबिया

इस फोबिया के होने की वजह अपने परिवार में किसी घटना के घटने से है। अगर आपने किसी अपने को खो दिया या लगातार घर में अप्रत्याशित हादसे होते जा रहे है तो इसका दर्द सदमे की तरह आपको कचोटता है। इसमें आपको सोते, जागते हर समय मौत हो जाने का ख्याल सताता है। इस तरह सोचते रहने की वजह से आप मानसिक रूप से बीमार होने लगते है। 

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कौन से हो सकते हैं लक्षण

यहां पर थेनाटोफोबिया के लक्षण की बात की जाए तो, इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को ज्यादा सोचने से पैनिक अटैक आने लगते है। यहां पर वह अत्यधिक सोचते रहने से उसकी क्षमताएं खत्म होने लगती है। वह घर में कई जगहों पर जाने से डरता है उसे हमेशा मौत होने का डर लगता है। 

जानिए कैसे निकले इस फोबिया से

इस थेनाटोफोबिया से निकलने के लिए कई तरह की थेरेपिज कारगार है…

एक्सपोजर थेरेपी:

इस थेरेपी में पीड़ित व्यक्ति को उन विचारों, परिस्थितियों वह स्थान को लेकर अवगत कराया जाता है। उसे यह बताया जाता है जो आप सोच रहे है वह वास्तविकता से परे है। वह मौत के विचारों को कम करते हुए दवाओं की मदद से मन को शांत करना सिखाती है। 

कोग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी:

इस बीमारी से निपटने के लिए आप इस कोग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी का भी सहारा ले सकते है। इसमें डॉक्टर, मरीज को विचारों और सोचने के तरीकों को बदलने में मदद करते है। इस थेरेपी में बुरे विचारों को कंट्रोल करने के लिए डीप ब्रीथिंग करने की सलाह दी जाती है।

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