Tamil Nadu Man K Padmarajan Who Lost 238 Elections, Know About Him – Amar Ujala Hindi News Live

Tamil Nadu man K Padmarajan who lost 238 elections, Know about him

मेट्टूर के निवासी के पद्मराजन
– फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार


लोकसभा चुनाव शुरू होने में अब कुछ ही समय बचा है। ऐसे में सभी उम्मीदवार जीत के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। वहीं एक ऐसा भी उम्मीदवार है, जो हारने के लिए चुनाव लड़ रहा है। जी हां आपने सही पढ़ा। आमतौर पर कहा जाता है कि जीतने वाला इतिहास बनाता है, जबकि तमिलनाडु के मेट्टूर के निवासी के पद्मराजन हारकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह बना चुके हैं। वह एक बार फिर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।

करीब 300 बार लड़ चुके हैं चुनाव

इस बार पद्मराजन धर्मपुरी लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार हैं। खास बात यह है कि पद्मराजन अभी तक 238 बार देश में चुनाव लड़ चुके हैं और हर बार हार का ही सामना करना पड़ा है। लाखों रुपये, समय और ऊर्जा खोने के बावजूद वह लगातार किस्मत आजमाते रहते हैं। वह राष्ट्रपति से लेकर स्थानीय चुनाव तक लड़ चुके हैं। इतना ही नहीं, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और कई मुख्यमंत्रियों-मंत्रियों के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं।

इलेक्शन किंग के नाम से मशहूर

तमिलनाडु के सलेम के रहने वाले डॉ. पद्मराजन ‘इलेक्शन किंग’ के नाम से मशहूर हैं। पद्मराजन ने साल 1988 में पहली बार चुनाव लड़ा था। वह करीब 300 चुनाव के लिए नामांकन दाखिल कर चुके हैं और अपने नाम सबसे असफल उम्मीदवार का अनचाहा गिनीज रिकॉर्ड दर्ज कराया है। डॉ. पद्मराजन का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में ‘भारत के सबसे असफल उम्मीदवार’ के रूप में भी दर्ज हो चुका है। 

सबसे पहले 1986 में चुनाव लड़ा था

डॉ. पद्मराजन राष्ट्रपति पद के लिए होने वाला चुनाव भी लड़ चुके हैं, लेकिन यहां भी असफल हुए। टायर का व्यापार करने वाले पद्मराजन ने सबसे पहले निर्दलीय के तौर पर 1986 में मेट्टूर से चुनाव लड़ा था।

पद्मराजन ने बताई हारने की वजह

बार-बार चुनाव लड़ने के पीछे की वजह बताते हुए पद्मराजन ने कहा, ‘अब तक मैंने 239 नामांकन दाखिल किए हैं। मुझे केवल हारना पसंद है। मैं विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए चुनाव लड़ रहा हूं। मुझे एक चुनाव में सबसे अधिक छह हजार वोट मिले थे। अब तक मैंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, डीएमके प्रमुख करुणानिधि, एआईएडीएमके प्रमुख जयललिता, बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ चुनाव लड़ा है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं चुनाव नहीं जीतना चाहता, मैं केवल हारना चाहता हूं। सफलता केवल एक बार महसूस की जा सकती है, जबकि असफलता बार-बार अनुभव की जा सकती है। सन् 1988 से अब तक मैं चुनाव नामांकन के लिए एक करोड़ रुपये जमा कर चुका हूं। मैं अपने घर के पास एक छोटी सी पंचर की दुकान चलाकर कमाता हूं। इसी काम से जुटाए गए रुपये से मैं इन जमा राशियों का भुगतान करूंगा। मैंने राष्ट्रपति चुनाव, निगम और वार्ड चुनाव सहित सभी चुनाव लड़े हैं। इसके बाद भी मैं चुनाव लड़ूंगा।’




Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *