Swami Vivekananda birthday 2024 , National Youth Day : भारत के महान आध्यात्मिक गुरु और सबसे बड़े यूथ आइकन स्वामी विवेकानंद की कल 12 जनवरी को जयंती है। स्वामी विवेकानंद को करोड़ों युवा अपना आदर्श मानते हैं। उनके जोशीले विचारों से प्रेरणा लेते हैं। यही वजह है कि 12 जनवरी उनके जन्मदिन को देश में राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। राष्ट्रीय युवा दिवस का मकसद स्वामी जी के संदेशों को फिर से जागृत करना और प्रोत्साहित करना है। आध्यात्मिक गुरु एवं पश्चिम देशों में योग, वेदांत और भारतीय दर्शन को पहुंचाने वाले स्वामी विवेकानंद की जयंती को भारत सरकार हर साल बड़े स्तर पर मनाती है। इस साल केंद्र सरकार का राष्ट्रीय युवा महोत्सव महाराष्ट्र के नासिक में मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। वे राष्ट्र के युवाओं को संबोधित भी करेंगे। राष्ट्रीय युवा दिवस की इस बार थीम इट्स ऑल इन द माइंड, जिसका हिंदी में अर्थ है सब कुछ आपके दिमाग में है।
यहां पढ़ें स्वामी विवेकानंद के जीवन की 10 खास बातें
1. किसने दिया विवेकानंद नाम
स्वामीजी जिस नाम की बदौलत से पूरे विश्व में जाने जाते हैं, वह राजस्थान के खेतड़ी के राजा अजीतसिंह की देन है। उनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। और स्वामीजी अपना नाम विविदिशानंद, जिसका अर्थ जानने का इच्छुक होता है, लिखा करते थे। स्वामीजी ने अजीतसिंह से पूछा कि आप किस नाम को पसंद करते हैं। इस पर अजीतसिंह ने कहा कि उनकी राय से विवेकानंद होना चाहिए। उस दिन से स्वामीजी ने अपना नाम विवेकानंद रख लिया। शिकागो के धर्म सम्मेलन में जाने के लिए पहनावे में राजा अजीतसिंह द्वारा भेंट राजस्थानी साफ, चोगा, कमरबंध को पहना।
2. किसने की अमेरिका जाने की व्यवस्था
खेतड़ी के राजा अजीत सिंह ने ही विवेकानंद का मुंबई से अमेरिका के लिए जहाज का टिकट बुक कराया था। 31 मई 1893 को जहाज से स्वामीजी शिकागो रवाना हो गए।
3. कहां से की पढ़ाई
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के कायस्थ परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। स्वामी विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील थे, जबकि मां भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। स्वामी विवेकानंद बचपन से ही पढ़ाई और अध्ययन में रुचि थी। 1871 में 8 साल की उम्र में स्कूल जाने के बाद 1879 में उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया।
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4. 25 साल की उम्र में संन्यासी
स्वामी रामकृष्ण परमहंस के प्रेरित होकर सिर्फ 25 साल की युवावस्था में सबकुछ छोड़कर नरेंद्रनाथ दत्त संन्यासी बन गए थे।
5. रामकृष्ण परमहंस से मुलाकात
विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस 1881 में कलकत्ता के दक्षिणेश्वर के काली मंदिर में पहली बार मिले। रामकृष्ण परमहंस से मिलने पर स्वामी विवेकानंद ने उनसे सवाल किया कि क्या आपने भगवान को देखा है? तब परमहंस ने जवाब दिया कि, हां मैंने देखा है, मैं भगवान को उतना ही साफ देख रहा हूं जितना कि तुम्हें देख सकता हूं। फर्क सिर्फ इतना है कि मैं उन्हें तुमसे ज्यादा गहराई से महसूस कर सकता हूं।
6. अमेरिका की धर्म सभा में दुनिया को हिला देना वाला भाषण
1893 में शिकागो में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में जब स्वामी विवेकानंद ने अपना भाषण ‘अमेरिका के भाईयों और बहनों’ के संबोधन से शुरू किया तो पूरे दो मिनट तक आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो तालियों की आवाज से गूंजता रहा। उस दिन से भारत और भारतीय संस्कृति को दुनियाभर में पहचान मिली।
7. स्वामी विवेकानंद ने 1 मई 1897 में कलकत्ता में रामकृष्ण मिशन और 9 दिसंबर 1898 को गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की।
8. स्वामी विवेकानंद ने शिकागो भाषण के पहले और बाद में भारतीय संस्कृति और आध्यात्म का विस्तार पूरी दुनिया में किया।
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9. स्वामी विवेकानंद को दमा और शुगर की बीमारी थी, जिसकी वजह से उन्होंने 39 साल की बेहद कम उम्र में ही दम तोड़ दिया। लेकिन उन्होंने साबित कर दिया था कि युवावस्था कितनी महत्वपूर्ण होती है और इसमें क्या-क्या किया जा सकता है।
10. स्वामी विवेकानंद का अंतिम संस्कार बेलूर में गंगा तट पर किया गया। इसी गंगा तट के दूसरी ओर उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का अंतिम संस्कार हुआ था।