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चंडीगढ़3 घंटे पहलेलेखक: राजकिशोर
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मंजू नेशनल चैंपियनशिप की 20 KM और 10 KM में नंबर-1 रही, जबकि साहिल ने 10 KM में पहला और 20 KM में 5वां स्थान हासिल किया।
पंजाब की वॉक रेसर मंजू रानी और साहिल ने यहां चंडीगढ़ में आयोजित ओपन नेशनल वॉक रेसिंग चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करके भारतीय मिक्स्ड टीम के लिए दावेदारी पेश की। यह टीम अप्रैल महीने में तुर्की में होने वाली वर्ल्ड वॉकिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेगी, जो पेरिस ओलिंपिक 2024 का क्वालिफाइंग इवेंट है। पेरिस ओलिंपिक में वॉक रेस की मिक्स्ड कैटेगरी को शामिल किया गया है।
मंजू नेशनल चैंपियनशिप की 20 KM और 10 KM में नंबर-1 रही, जबकि साहिल ने 10 KM में पहला और 20 KM में 5वां स्थान हासिल किया। 2 साल की उम्र में मां को खोने वाली मंजू के पिता को जमीन भी गिरवी रखनी पड़ी। उन्हें 5 साल पहले खराब प्रदर्शन की वजह से साई के भोपाल सेंटर से बाहर कर दिया गया था। दूसरी ओर, साहिल के पिता को उनके डाइट के लिए लोगों से कर्ज लेने पड़े।

फिनिश पाइंट्स पर मंजू रानी। वे दोनों कैटेगरी में नंबर-1 पर रहीं।

पिता जगदीश राम के साथ मंजू रानी। वे अपनी सफलता का श्रेय जगदीश को देती हैं।
पहले मंजू रानी की सक्सेस स्टोरी…
2 साल की उम्र में मां गुजर गईं, पिता ने साथ दिया
एशियन गेम्स की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट मंजू अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को देती हैं। वे कहती हैं कि अगर पापा का नहीं मिलता, तो शायद मेरा देश के लिए इंटरनेशनल मेडल (मंजू ने एशियन गेम्स में रामबाबू के साथ 35 KM मिक्स्ड रेस में ब्रॉन्ज जीता) जीतने का सपना पूरा नहीं होता।
वे बताती हैं- ‘मैं जब 2 साल की थी, तब मेरी मां का देहांत हो गया। तब मेरा भाई-5 साल का था। मेरे पिता ने हम दोनों को पाला और हर जरूरतों को पूरा किया। जब मैंने उनसे बाहर जाकर ट्रेनिंग करने का अनुरोध किया। तब गांव वालों ने पिता को मना भी किया। यहां तक की कई रिश्तेदारों ने भी ताने मारे। लोगों ने यहां तक कहा कि बिना मां की बेटी है, बाहर ट्रेनिंग के लिए भेजना सही नहीं है। मेरे पिता ने सबको नजर अंदाज करते हुए मेरा साथ दिया। मुझे ट्रेनिंग के लिए बाहर भेजा।’ आगे 3 पॉइंट्स में मंजू की बात
- डाइट के लिए पिता को जमीन गिरवी रखनी पड़ी शुरुआत में डाइट और खेल के बुनियादी सुविधाओं के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। मेरे पिता किसान थे। ऐसे में यह सब जुटाना उनके लिए कठिन था। उन्होंने इसके लिए 2 एकड़ की जमीन गिरवी रख दी और दूसरों की जमीन पर खेती की। आज भी हमारी जमीन गिरवी है। मैं अब सीमा सुरक्षा बल में नौकरी करती हूं। भाई भी जॉब करने लगा है। हमारी कोशिश है कि जल्द ही अपनी जमीन को वापस ले लें।
- 20 KM में ओलिंपिक मार्क हासिल करना टारगेट, नहीं तो मिक्स्ड पर फोकस हर खिलाड़ी का सपना होता है कि देश के लिए ओलिंपिक गेम्स में प्रतिनिधित्व करें। मेरा भी सपना है कि मैं वॉक रेस में ओलिंपिक गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व करूं और मेडल जीतूं। 20 KM इंडिविजुअल में मैं ओलिंपिक के लिए निर्धारित क्वालिफाइंग टाइम अब तक नहीं दे पाई हूं। अगर मैं इस कैटेगरी में ओलिंपिक मार्क हासिल नहीं कर पाती हूं, तो मिक्स्ड पर फोकस करूं और इसमें क्वालिफाइंग कर देश के लिए मेडल जीतूं।
- खराब प्रदर्शन के कारण साई ने निकाला मैं स्कूली दिनों से ही मेडल जीतने लगी थी, इसलिए तो मेरे फिजिकल टीचर ने खेल हॉस्टल जाने की सलाह दी। वहां मुझे वॉक रेस की ट्रेनिंग दी गई। नेशनल में मेडल जीतने पर मेरा सिलेक्शन नेशनल कैंप में हुआ। साल 2018 में मुझे खराब प्रदर्शन के कारण साई भोपाल से बाहर कर दिया गया था। अब भगवान का शुक्र है कि मैं फिर से नेशनल कैंप में हूं और साईं बेंगलुरु में नेशनल कैंप में प्रैक्टिस कर रही हूं।

अब साहिल कुमार से बातचीत के अंश
सवाल- आप पहली बार नेशनल में 10 KM में मेडल जीतने में सफल हुए। किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
जवाब- पहली बार 10 KM रेस में मेडल आया है। मेरे पिता मेडिकल दुकान में काम करते हैं। ऐसे हमें आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। शुरुआत में अच्छे डाइट और जूते तक के लिए मेरे पिताजी को लोगें से कर्ज लेने पड़े। अब जब मेरा नेवी में चयन हो गया है, तो मेरी कोशिश है कि मैं पिता के कर्ज को चुकाऊं।
सवाल- क्या आप मिक्स्ड रेस पर फोकस करेंगे?
जवाब- 20 KM में क्वालिफाइंग टाइम हासिल करने से 10 सेकेंड से चूक गया था। मैं देश का प्रतिनिधित्व ओलिंपिक में करना चाहता हूं। पहली बार ओलिंपिक गेम्स में मिक्स्ड मैराथन को शामिल किया गया है। मैं अब अपना फोकस मिक्स्ड मैराथन पर करूंगा। मेरी कोशिश होगी कि बेहतर कर ओलिंपिक क्वालिफाइंग के लिए भारतीय टीम में अपना जगह सुनिश्चित करूं।
सवाल- आपने वॉक रेस को ही क्यों चुना?
जवाब- पहले मैं 800 मीटर दौड़ता था। एक बार नेशनल चैंपियनशिप में गुरुदेव सर मिले और उन्होंने ही मुझे वॉक रेस में जाने का सुझाव दिया और पटियाला में पंजाब स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी में आकर ट्रेनिंग के लिए कहा। मैं उनके सुझाव के बाद 800 मीटर वॉक रेस करने लगा।