Success Story: हुनर हो तो चिंता देवी जैसा… खुद के साथ बदली 200 महिलाओं की जिंदगी, अब कर रही बंपर कमाई

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Success Story: झारखंड में गिरिडीह की चिंता देवी बम्बू हैंडीक्राफ्ट, जुट के बैग्स, एंब्रायडरी और ज्वेलरी बनाकर अच्छी कमाई कर रही हैं. उन्होंने 200 से अधिक महिलाओं को ट्रेनिंग दी है और 30 महिलाओं के साथ कुटीर उद्…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • चिंता देवी ने 200 से अधिक महिलाओं को ट्रेनिंग दी.
  • चिंता देवी बम्बू हैंडीक्राफ्ट और जुट के बैग्स बनाती हैं.
  • चिंता देवी का कुटीर उद्योग 30 महिलाओं के साथ चलता है.

गिरिडीह: आज की महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं. वे घर संभालने के साथ-साथ बिजनेस भी कर रही हैं. ऐसा ही एक उदाहरण झारखंड के गिरिडीह जिले के पीरटांड़ प्रखंड में देखने को मिल रहा है. यहां की निवासी चिंता देवी अपने हुनर और मेहनत से अच्छी कमाई कर रही हैं. चिंता देवी बम्बू हैंडीक्राफ्ट, जुट के डिजाइनर बैग्स, थैले, एंब्रायडरी और आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनाने का काम करती हैं. इससे वह बंपर कमाई करती हैं.

जानें चिंता देवी की ट्रेनिंग यात्रा

महिला चिंता देवी ने बताया कि वह 2007 से 2012 तक विभिन्न जगहों से बम्बू हैंडीक्राफ्ट की ट्रेनिंग ली. वह अब तक 200 से अधिक महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे चुकी हैं. अब वह 30 अन्य महिलाओं के साथ मिलकर एक कुटीर उद्योग चला रही हैं, जिसमें पेन स्टैंड, गुलदस्ता, ट्रे, नाश्ते की प्लेट, जग, कप, टाइटैनिक, ताजमहल, इंडिया गेट जैसी चीजें बनाती हैं.

जानें इनकी बाजार में कीमतें

इस कुटीर उद्योग में सबसे सस्ता पेन स्टैंड है, जिसकी कीमत मात्र 50 रुपए है. जबकि सबसे महंगा टाइटैनिक है. जिसकी कीमत 2500 रुपए है. टाइटैनिक बनाने में लगभग 5 दिन लगते हैं. इनकी बनाई गई चीजें न केवल पूरे झारखंड में बल्कि अहमदाबाद, दिल्ली और मुंबई तक जाती हैं. इस काम में जेएसएलपीएस ने उनकी बहुत मदद की है.

जेएसएलपीएस का सहयोग

चिंता देवी बताती हैं कि शुरुआती समय में उन्होंने ट्रेनिंग लेकर काम शुरू किया और जेएसएलपीएस से जुड़ीं. सरकारी मदद से उन्होंने अन्य महिलाओं को ट्रेनिंग देकर शामिल किया. जेएसएलपीएस ने उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव लाया है. अब वह आत्मनिर्भर हैं और अपने परिवार को आर्थिक रूप से सहयोग कर रही हैं. उन्होंने कहा कि बांस का कच्चा माल गिरिडीह में ही मिल जाता है. जबकि एंब्रायडरी और जुट के डिजाइनर बैग्स का रॉ मैटीरियल कोलकाता और असम से आता है. उनके द्वारा बनाए गए आइटम न केवल पूरे झारखंड में बल्कि देश के बड़े शहरों में भी जाते हैं.

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