Success Story: बिहार पुलिस की सिपाही बनी मजदूर पिता की बेटी, ऐसा रहा पूर्णिया की निष्ठा कुमारी का संघर्ष

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purnia news today: कई बच्चे गरीबी और अन्य चीजों को अपनी तरक्की की बाधा बताते रहते हैं लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इन दुश्वारियों को अपनी कमजोरी नहीं बल्कि मजबूत पिलर बना लेते हैं और सफलता की सीढ़ी चढ़ने में लग…और पढ़ें

पूर्णिया: कहा जाता है कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती. यह कहावत कई बार आपने भी अपने आसपास सच होते हुए देखा होगा. अब पूर्णिया के एक मजदूर परिवार की बेटी ने इस कहावत को सच कर दिखाया है. जिले के मरंगा के वार्ड नंबर 9 स्थित रहने वाले एक मजदूर परिवार की बेटी निष्ठा कुमारी ने अपनी गरीबी को नजरअंदाज कर अपनी मंजिल पाने के लिए दिन रात मेहनत की. उनकी मेहनत ने उसे बिहार पुलिस परीक्षा में सफलता दिलाई. इस सफलता से उनका चयन बिहार पुलिस के सिपाही पद के लिए हुआ है. उनकी इस सफलता से परिवार सहित पूरे जिले के लोग काफी खुश हैं.

निष्ठा ने अपनी कठिन मेहनत और लगन से खानदान में पहली सरकारी नौकरी पाकर अपने मजदूर पिता का नाम रोशन किया है. पूर्णिया जिले के मरंगा थाना क्षेत्र के वार्ड नंबर 9 सत्संग विहार के पास रहने वाले मजदूर पिता रामकृपाल मंडल और माता भारती देवी की बेटी निष्ठा कुमारी ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन के बलबूते बिहार पुलिस परीक्षा में पहले प्रयास में ही सफलता हासिल की है.

मजदूरी करने वाले पिता की बेटी अब बनी पुलिस में सिपाही
निष्ठा के पिता राम कृपाल मंडल और माता भारती देवी ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताया कि उनकी पुत्री बचपन से पढ़ने में काफी सजग थी. पढ़ाई को लेकर वह पूरी तरह गंभीर थी. उन्होंने कहा कि अपने जीवन में अब तक वह अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा और सरकारी नौकरी कराने के लिए मजदूरी करते हैं. कभी चाय की दुकान भी चलाया करते थे. हालांकि, वह दैनिक मजदूरी कर ही अपने घर परिवार का पेट चलाते हैं. उनके पिता और माता कहते हैं कि पुत्री की इस सफलता पर घर परिवार के लोगों को ही नहीं बल्कि पूरे पूर्णिया के लोगों को काफी खुशी है.

सेल्फ स्टडी से पाई सफलता
बिहार पुलिस सिपाही में चयनित निष्ठा कुमारी ने बताया कि उन्हें बचपन से ही देश की सेवा करने का जुनून रहा. डिफेंस का सपना देखती रही. समय आने पर उन्होंने कड़ी मेहनत और फिजिकल फिटनेस की तरफ ध्यान दिया और अपनी कड़ी मेहनत से लिखित और शारीरिक परीक्षा पास कर बिहार पुलिस के लिए चयनित हुई. वह कहती हैं कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय थी जिस कारण उन्हें पढ़ाई में भी कई बार समस्या होती रही. उन्होंने सेल्फ स्टडी और पूर्णिया के सुदिन चौक समीप आर्या कोचिंग क्लासेस के निदेशक ऐ० के० मिश्रा के दिशा निर्देश पर चलकर अपना मुकाम पाया.

गांव-मोहल्ले के बच्चों को पढ़ाती थी ट्यूशन
निष्ठा कुमारी कहती हैं कि वह अपनी पढ़ाई का खर्च पूरा करने के लिए रोजाना गांव, गली और मोहल्ले के बच्चों को होम ट्यूशन पढ़ाती थी. इससे उन्हें पैसे मिलते थे और उन पैसों से वह अपनी पढ़ाई पूरी करती थी और माता-पिता के बोझ को कम करती थी. बचपन से देश की सेवा करने का सपना और माता-पिता के सपने को पूरा करने की जिद ने उन्हें यहां तक पहुंचाया. अब आगे उनका सपना दरोगा बनने का है.

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बिहार पुलिस की सिपाही बनी मजदूर की बेटी, जानें पूर्णिया के निष्ठा की कहानी

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