Site icon News Sagment

Somvati Amavasya 8 april 2024 Date Puja muhurat snan daan importance Chaitra amavasya

Somvati Amavasya 8 april 2024 Date Puja muhurat snan daan importance Chaitra amavasya

Somvati Amavasya 2024: सोमवार 8 अप्रैल को चैत्र मास की अमावस्या (Chaitra amavasya 2024) है. सोमवार को अमावस्या होने से इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि सोमवती अमावस्या की तिथि पर पितरों का तर्पण करना बहुत शुभ होता है.

इस दिन पितरों को तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. आइए ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास से जानते हैं सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त, उपाय, पूजा विधि, और समस्त महत्वपूर्ण जानकारी

8 अप्रैल 2024 को साल की पहली सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2024 Date)

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल को तड़के 3:11 बजे शुरू होगी और 8 अप्रैल को ही रात 11:50 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के कारण सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल को मनाई जाएगी. अमावस्या तिथि जब सोमवार के दिन आती है. तब इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है. सोमवती अमावस्या की तिथि पर दुर्लभ इंद्र योग बन रहा है. इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में चल रही परेशानियों से छुटकारा मिलता है.

सोमवती अमावस्या का खास महत्व (Somvati Amavasya importance)

  • ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का बेहद महत्व है. इस दिन व्रत, पूजन और पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है. महिलाएं सोमवती अमावस्या के दिन पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं.
  • पितृ दोष निवारण के लिए दिन अत्यंत शुभ माना गया है.
  • इस अमावस्या पर किए गए दान-पुण्य और तीर्थ स्नान से अक्षय पुण्य मिलता है. मन शांत होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं.
  • इस तिथि पर अपने-अपने क्षेत्रों की पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए और क्षेत्र के पौराणिक महत्व वाले तीर्थों के, मंदिरों के दर्शन करना चाहिए। पूजा-पाठ आदि शुभ काम करना चाहिए.

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि अगर हम किसी नदी में स्नान करने नहीं जा पाते हैं तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाएं और तीर्थों का ध्यान करते हुए स्नान करें. सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें. इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें और सूर्यदेव को चढ़ाएं. ऐसा करने से भी तीर्थ और नदी स्नान के बराबर पुण्य मिल सकता है. स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को अनाज और गोशाला में धन, हरी घास का दान करें. अमावस्या पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करें.

सोमवती अमावस्या पर देव-पितर पूजा की विधि (Somvati Amavasya Puja vidhi)

घर में दोपहर करीब 12 बजे गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और उसके अंगारों पर गुड़-घी डालें. पितरों का ध्यान करें. हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों को अर्घ्य अर्पित करें. किसी शिव मंदिर में दीपक जलाएं, शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें.

इंद्र योग – ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कई वर्षों के बाद चैत्र अमावस्या पर दुर्लभ और शुभ इंद्र योग बन रहा है. इस योग शाम 06:14 बजे तक रहेगा। इस योग में पूजा-पाठ और शुभ कार्य किए जा सकते हैं.

शिव वास – ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव आदिशक्ति मां पार्वती संग रात 11:50 बजे तक साथ रहेंगे. इस दौरान भगवान शिव की पूजा की जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है. शास्त्रों में बताया गया है कि जब भगवान शिव माता पार्वती के साथ हों, तो रुद्राभिषेक करने से कई गुना फल प्राप्त होता है.

सोमवती अमावस्या 2024 तिथि

चैत्र अमावस्या तिथि शुरू – 8 अप्रैल को तड़के 3.21 बजे शुरू

चैत्र अमावस्या तिथि समाप्त – 8 अप्रैल को ही रात 11.50 बजे समाप्त

गंगाजल से स्नान का महत्व

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस दिन गंगाजी या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत पुण्यकारी माना गया है. स्नान का उत्तम समय सूर्योदय से पूर्व माना जाता है. मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर विधिवत स्न्नान करने से भगवान विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहती है. यदि आप नदियों में स्नान करने नहीं जा सकते तो आप घर में ही थोड़ा सा गंगाजल नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करें. मान्यता यह भी है कि इस दिन विधिवत स्नान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.

चैत्र अमावस्या होता है हिन्दू वर्ष का अंतिम दिन

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि चैत्र अमावस्या विक्रम संवंत वर्ष का अंतिम दिन होता है. विक्रम संवंत को आम भाषा में हिन्दू कैलेंडर के नाम से भी जाना जाता है. चैत्र अमावस्या तिथि की समाप्ति के बाद चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि आती है जो हिन्दू वर्ष का पहला दिन होता है. कहते हैं चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी. नवरात्र भी हिन्दू नवर्ष की पहली तिथि से प्रारंभ होता है.

अमावस्या का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि अमावस्या तिथि के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं. जहां सूर्य आग्नेय तत्व को दर्शाता है तो वहीं चंद्रमा शीतलता का प्रतीक है. सूर्य के प्रभाव में आकर चंद्रमा का प्रभाव शून्य हो जाता है. इसलिए मन को एकाग्रचित करने का यह कारगर दिन होता है. इसलिए अमावस्या का दिन आध्यात्मिक चिंतन के लिए श्रेष्ठ होता है. अमावस्या को जन्म लेने वाले की कुंडली में चंद्र दोष होता है.

अमावस्या पर सूर्य को प्रदान करें अर्घ्य

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पदमपुराण के अनुसार पूजा, तपस्या, यज्ञ आदि से भी श्री हरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि प्रातः स्नान कर जगत को प्रकाश देने वाले भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से होती है, इसलिए पूर्व जन्म और इस जन्म के सभी पापों से मुक्ति और भगवान सूर्य नारायण की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को नियमित सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य को अर्घ्य अवश्य प्रदान करना चाहिए.

पीपल के वृक्ष में पितरों का वास

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि माना जाता है कि अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष में पितरों का वास होता है. इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन किया जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए इस दिन मीठे जल में दूध मिलाकर चढ़ाएं, क्योंकि इस दिन पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास माना जाता है. पूजन के बाद पीपल की यथा शक्ति परिक्रमा करके जीवन में आने वाली सभी समस्याएं खत्म होने के लिए प्रार्थना करें.

दान करने से मिलेगा पुण्य

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस दिन अन्न, दूध, फल, चावल, तिल और आवंले का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. गरीबों, साधु, महात्मा तथा ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए. स्नान- दान आदि के अलावा इस दिन पितरों का तर्पण करने से परिवार पर पितरों की कृपा बनी रहती है.

पितरों को ऐसे करें प्रसन्न

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन पितरों के नाम जल में तिल डालकर दक्षिण दिशा में तर्पण करें. अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है. ऐसे में इस दिन तर्पण करने से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे आशीर्वाद देते हैं. अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करें. दूध चढ़ाएं और सात बार परिक्रमा लगाएं. पीपल के नीचे दीपक जलाएं. ऐसा करने से परिवार में खुशहाली आती है.

सोमवती अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें. इस दिन पितरों के निमित्त गीता के सातवें अध्याय का पाठ करना चाहिए. पितरों का ध्यान करते हुए सोमवती अमावस्या के दिन दान करें. सोमवती अमावस्या के दिन पीपल का एक पौधा लगाएं। ऐसा करने से पितर खुश होते हैं. वह आर्थिक स्थिति सुधरती है.

अमावस्या पर करें उपाय

  • ज्योतिषाचार्य ने बताया कि अमावस्या के दिन तिल को आटे में मिलाकर रोटी बनाए और गाय को खिलाएं. इससे घर में सुख-शांति आएगी.
  • अमावस्या के दिन स्नान के बाद आटे की गोलियां बनाएं. इस गोलियों को मछलियों को खिलाएं. इस उपाय से कई परेशानियां दूर होती हैं.
  • अमावस्या के दिन पितरों का ध्यान करते हुए जरूरतमंद या गरीब को दान करें. अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त गीता का सातवां अध्याय का पाठ करें.
  • अमावस्या के दिन जल में तिल मिलाकर उसे दक्षिण दिशा की ओर तर्पण करें, ऐसा करने से पितर आशीर्वाद देते हैं.
  • अमावस्या के दिन दूध में अपनी छाया देखें. इस दूध को काले कुत्ते को पिलाएं. इससे मानसिक तनाव दूर होता है.
  • अमावस्या के दिन शाम के समय ईशान कोण में दीपक जलाएं. बत्ती के लिए लाल रंग के धाते का इस्तेमाल करें. इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है.
  • अमावस्या के चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं. इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या पर इन 5 जगह पर लगाएं दीपक, खुश होंगे पितर, बन जाएंगे बिगड़े काम

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Exit mobile version