सोनिया मिश्रा/ रुद्रप्रयाग.पहले गद्देदार बिस्तरों का उपयोग शहरों तक सीमित था, लेकिन कुछ सालों से पहाड़ों में इनका उपयोग ज्यादा हो रहा है. बेहतरीन मार्केटिंग के बल पर सुकून दायक लगने वाले इन गद्दों ने पहाड़ के हर घर में अपनी जगह बना ली है. जबकि पहाड़ों में घास, लकड़ी आदि लाने जैसे भारी भरकम कार्य किए जाते हैं. पहाड़ी जिलों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के पास भारी कामों की जिम्मेदारी अधिक होती है, इसलिए महिलाओं में गर्दन और पीठ दर्द की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है. हम देखते हैं कि आजकल हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी दर्द से परेशान है, तो इसकी असल वजह हमारे नींद लेने का तरीका यानि सोने का तरीका है.
वर्तमान में भागदौड़ के बाद हम सभी को कंफर्ट के चलते गद्देदार बिस्तर पसंद आते हैं, इनमें भले नींद अच्छी आए और इनमें सुकून मिले, लेकिन असल में ये मुलायम मोटे गद्दे ही गर्दन, कमर और पीठ दर्द की वजह हैं. इसलिए हमको हमेशा गद्दों का चुनाव सही करना चाहिए. विशेषकर उन लोगों को जो शारीरिक गतिविधियों का काम ज्यादा करते हैं.
रुई वाले गद्दे के लिए इस्तेमाल करें तखत
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ मनोज बडोनी बताते हैं कि पहाड़ों में गांव की महिलाएं काफी मेहनती होती हैं. वह दैनिक जीवन में काफी भारी सामान, जैसे- लकड़ी, चारा, खेतीबाड़ी से जुड़ा सामान आदि उठाती हैं और रात को थक-हारकर वह आरामदायक गद्दे पर सोना पसंद करती हैं, जो उनके शरीर के हिसाब से ठीक नहीं है. वह कहते हैं कि महिलाओं को ही नहीं बल्कि सभी को हार्ड बेड यानी गद्दे का इस्तेमाल करना चाहिए और अगर वे रुई वाले गद्दों पर सोते हैं, तो उसके लिए तखत का इस्तेमाल करना चाहिए, जो कमर की हड्डियों के लिहाज से काफी अच्छे माने जाते हैं. मार्केट में मिलने वाले गद्दों में फोम वाली तरफ की बजाय हार्ड वाली साइड को उपयोग में लाना चाहिए. इसके अलावा बढ़ती उम्र के साथ खाने- पीने का विशेष ध्यान रखते हुए कैल्शियम युक्त पदार्थ, हरी सब्जियां और दूध पीना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : February 16, 2024, 16:55 IST