नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: अच्छी सेहत के लिए एक स्वस्थ व्यक्ति (Good Health) के लिए 8 घंटे की नींद लेना (Sleep Time) जहां पर जरूरी होता है वहीं पर अनियमित जीवनशैली ने लोगों की इस आदत को बिगाड़ कर रख दिया है। हालात ऐसे है कि, कोई भी व्यक्ति आज के समय में 5-6 घंटे की ही नींद ले पाता है। भले ही यह लाइफस्टाइल में शामिल हो लेकिन इसका असर गंभीर बीमारियों को जन्म देता है। इसे लेकर कई स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंता जाहिर कर चुके है तो अनिद्रा के ज्यादा मामले सामने आने के बारे में भी जानकारी दी है।
पर्याप्त 7 घंटे की नींद लेना जरूरी
एक सेहतमंद व्यक्ति को 8 नहीं तो पर्याप्त 7 घंटे की नींद लेना जरूरी होता है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है तो वहीं पर इससे कम नींद लेने पर आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। दुनिया में भारत देश की बात करें तो, अनिद्रा (Insomnia) के मामले नींद नहीं पूरी होने पर व्यक्ति के बढ़ रहे है।
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नींद को लेकर सर्वे में खुलासा
इसे लेकर विश्व नींद दिवस यानि World Sleep Day 2024 पर नींद को लेकर सर्वे हुआ था जिसमें कई लोगों को शामिल किया गया इसमें सर्वे रिपोर्ट में पता चला कि, 61 फीसद लोग 6 घंटे से कम की नींद लेते हैं वहीं पर पिछले दो सालों में भारतीयों के बीच नींद नहीं आने की समस्या व्यापक स्तर पर बढ़ी है. आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में यह 50 फीसद था, जो कि अब बढ़कर 55 फीसद हो गया है।
नींद नहीं पूरी होने पर होती है स्वास्थ्य समस्याएं
अगर आपकी रोजाना ली जाने वाली नींद के चक्र में किसी भी प्रकार की कमी आती है तो हेल्थ की समस्याएं शुरू हो जाती है, जिनके बारे में जानना जरूरी है…
1- भारत में नींद पूरी नहीं होने से अनिद्रा की समस्या होती है इसका असर आपकी नियमित जीवनशैली पर पड़ता है जिसकी वजह से कई बीमारी खड़ी हो जाती है।
2-नींद पूरी नहीं पर अनिद्रा के मामले में लोगों में दिल की समस्या बढ़ सकती है. बल्ड प्रेशर की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है। शरीर में ब्लड प्रेशर हाई होने पर दिल के खतरा होता है।
3- अगर आप नियमित मोबाइल चलाने के आदी है और देर रात तक डिजिटल चीजों से जुड़े रहते है तो आपकी सेहत को खतरा होता है। आम तौर पर रात के दौरान रक्तचाप 10 से 20 प्रतिशत कम हो जाता है, लेकिन नींद की कमी के साथ ऐसा नहीं होता है।
4-अल्पकालिक और दीर्घकालिक स्मृति, एकाग्रता, रचनात्मकता और समस्या-समाधान क्षमताओं दोनों को प्रभावित करती है. इससे अनियमित मूड स्विंग और चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ सकती हैं और संभावित रूप से अवसाद हो सकता है।