सीमा कुमारी
नवभारत डिजिटल टीम: आमतौर पर, लोग एलोपैथिक दवाइयां (Allopathic Medicine) का सेवन बहुत सोच-समझकर करते हैं और डॉक्टर के बताए हुए नियमों के अनुसार ही खाते है। लेकिन, जब बात आती है होम्योपैथी की तो लोग सोचते है। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता और कई बार तो अपने मन से भी इन दवाओं को लेने लग जाते है।
यही नहीं कुछ लोग तो यहां तक सोचते हैं कि होम्योपैथिक दवाएं सिर्फ मीठी गोलियां है। इनका बीमारियों पर कोई असर नहीं होता है। हालांकि किसी बीमारी में केवल होम्योपैथी कारगर है तो कहीं एलोपैथी के साथ मिलकर अधिक बेहतर इलाज संभव है। होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के बारे में इन बातों का विशेष ध्यान रखें।
दवाओं की जांच होना जरूरी
होम्योपैथी सिद्धांत के अनुसार, अगर रक्तचाप की दवा ले रहे हैं या शुगर की दवा ले रहे हैं तो लंबे समय तक सेवन न करें। दवा का प्रभाव कैसा है कितना सुधार है, इन सबकी जांच होती रहनी चाहिए। अगर किसी ने अपने आप से ली हैं और तय मात्रा में नहीं ली हैं और एक्सपायरी होम्योपैथिक दवा का सेवन किया है तो उनका दुष्प्रभाव जरूर होगा। लेकिन अगर डॉक्टर की बताई हुई सलाह के अनुसार होम्योपैथिक दवा ली जाए और सही मात्रा में ली जाए तो इसका दुष्प्रभाव कभी नहीं होता है। 100 में से एक या दो ही मामले ऐसे सामने आते हैं, जब होम्योपैथिक दवा किसी इंसान के शरीर पर दुष्प्रभाव करें।

होम्योपैथिक दवाइयां
डॉक्टर की सलाह से लें दवाई
होम्योपैथी का सिद्धांत है कि इसमें हर व्यक्ति को अलग माना गया है। उसकी पसंद-नापसंद, आहार-विचार को देखकर दवाइयां दी जाती हैं। चिकित्सक से इसकी चर्चा करें और उनकी सलाह पर ही कोई दवा लें। होम्योपैथी चिकित्सक का मानना है कि, अगर दवा के समय व मात्रा का ध्यान न रखा जाए तो होम्योपैथी दवा का भी दुष्प्रभाव होता है। हालांकि एक या दो खुराक लें तो यह नुकसान नहीं करता।