
सियाचिन ग्लेशियर में ऑपरेशन मेघदूत
– फोटो : AMAR UJALA
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दुनिया का सबसे ऊंचा जंग का मैदान, जिसकी ऊंचाई 20 हजार फीट है, जहां तापमान माइनस 50 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। जिसके एक तरफ पाकिस्तान है, तो दूसरी तरफ है चीन। हम बात कर रहे हैं सियाचिन ग्लेशियर की, यहां चलाया जा रहा है ऑपरेशन मेघदूत, जो पिछले 40 सालों से बदस्तूर जारी है। 13 अप्रैल 1984 को शुरू हुआ यह दुनिया का इकलौता ऐसा सैन्य ऑपरेशन है, जो अभी भी चल रहा है। 76 किलोमीटर लंबे सियाचिन को दुनिया का दूसरा सबसे लंबा ग्लेशियर माना जाता है। सियाचिन जिसे स्थानीय बाल्टी भाषा में जंगली गुलाब भी कहा जाता है, यह इलाका सालभर बर्फ से ढका रहता है। हालांकि यहां ऑपरेशन तो 13 अप्रैल 1984 को ही शुरू हुआ, लेकिन उसकी तैयारियां भारत-पाकिस्तान के बीच 1972 में हुए ‘शिमला समझौते’ के कुछ समय बाद ही शुरू हो गई थीं।
एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर अमर उजाला से खास बातचीत में बताते हैं कि शिमला समझौते के बाद पाकिस्तान ने सियाचिन ग्लेशियर को अपने नक्शे में दिखाना शुरू कर दिया, जिससे भारत सरकार चिंतित हो गई। भारतीय सेना ने पर्वतारोहण अभियानों की आड़ में ग्लेशियर की टोह लेना शुरू कर दिया था।