Sant Guru Ravidas Jayanti 2024 date know ravidas ji contribution to society and spiritual inspiration

Guru Ravidas Jayanti 2024: संत गुरु रविदास भारत के महान संतों में से एक हैं, जिन्होंने अपना जीवन समाज सुधार कार्य के लिए समर्पित कर दिया. समाज से जाति विभेद को दूर करने में रविदास जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा. वो ईश्वर को पाने का एक ही मार्ग जानते थे और वो है ‘भक्ति’, इसलिए तो उनका एक मुहावरा आज भी बहुत प्रसिद्ध है कि, ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’.

रविदास जी का जन्म

रविदास जी के जन्म को लेकर कई मत हैं. लेकिन रविदास जी के जन्म पर एक दोहा खूब प्रचलित है- चौदस सो तैंसीस कि माघ सुदी पन्दरास. दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री गुरु रविदास. इस पंक्ति के अनुसार गुरु रविदास का जन्म माघ मास की पूर्णिमा को रविवार के दिन 1433 को हुआ था. इसलिए हर साल माघ मास की पूर्णिमा तिथि को रविदास जयंती के रूप में मनाया जाता है जोकि इस वर्ष 24 फरवरी 2024 को है.

रविदास जी का जन्म 15वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक मोची परिवार में हुआ. उनके पिताजी जाति के अनुसार जूते बनाने का पारंपरिक पेशा करते थे, जोकि उस काल में निम्न जाति का माना जाता था. लेकिन अपनी सामान्य पारिवारिक पृष्ठभूमि के बावजूद भी रविदास जी भक्ति आंदोलन, हिंदू धर्म में भक्ति और समतावादी आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में उजागर हुए. 15 वीं शताब्दी में रविदास जी द्वारा चलाया गया भक्ति आंदोलन उस समय का एक बड़ा आध्यात्मिक आंदोलन था.

समाज के लिए गुरु रविदास का योगदान

संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी एक महान संत और समाज सुधारक थे. भक्ति, सामाजिक सुधार, मानवता के योगदान में उनका जीवन समर्पित रहा. आइये जानते हैं गुरु रविदास के महत्वपूर्ण योगदानों के बारे में-

धार्मिक योगदान: भक्ति और ध्यान में गुरु रविदास का जीवन समर्पित रहा. उन्होंने भक्ति के भाव से कई गीत, दोहे और भजनों की रचना की, आत्मनिर्भरता, सहिष्णुता और एकता उनके मुख्य धार्मिक संदेश थे. हिंदू धर्म के साथ ही सिख धर्म के अनुयायी भी गुरु रविदास के प्रति श्रद्धा भाव रखते हैं. रविदास जी की 41 कविताओं को सिखों के पांचवे गुरु अर्जुन देव ने पवित्र ग्रंथ आदिग्रंथ या गुरुग्रंथ साहिब में शामिल कराया था.
सामाजिक योगदान: समाज सुधार में भी गुरु रविदास जी का विशेष योगदान रहा. इन्होंने समाज से जातिवाद, भेदभाव और समाजिक असमानता के खिलाफ होकर समाज को समानता और न्याय के प्रति प्रेरित किया.
शिक्षा और सेवा: गुरु रविदास जी ने शिक्षा के महत्व पर जोर दिया और अपने शिष्यों को उच्चतम शिक्षा पाने के लिए प्रेरित किया. अपने शिष्यों को शिक्षत कर उन्होंने शिष्यों को समाज की सेवा में समर्थ बनाने के लिए प्रेरित किया. मध्यकाल की प्रसिद्ध संत मीराबाई भी रविदास जी को अपना आध्यात्मिक गुरु मानती थीं.

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