हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को अनगिनत श्रोताओं तक अपनी मशहूर आवाज में पहुंचाने वाले संगीत के सरताज उस्ताद राशिद खान (Ustad Rashid Khan) का मंगलवार की दोपहर यहां के एक अस्पताल में प्रोस्टेट कैंसर के कारण निधन हो गया. उल्लेखनीय है कि जिसने अपनी आवाज के जादू से श्रोताओं का दिल जीत लिया, उनके निधन को शास्त्रीय संगीत की दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति कहने में कोई संकोच नहीं है.उस्ताद राशिद खान के निधन के साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत की वह ‘सुनहरी आवाज’ अब अतीत की बात बन गई है. अपने आवाज के जादू से राशिद खान ने सबके दिल में एक खास जगह बनाई थी.
11 साल की उम्र पर पहली बार मंच पर किया परफॉर्म
बता दें कि सिंगर उस्ताद राशिद खान का जन्म उत्तर प्रदेश के बदायूं में हुआ और बचपन से ही संगीत की तालीम मिली.उन्हें इसके लिए कहीं और नहीं जाना पड़ा बल्कि तालीम अपने नाना उस्ताद निसार हुसैन खान से ही मिली. बताया जाता है कि तब वो 11 साल के ही थे जब पहली बार मंच पर उन्होंने अपना परफॉर्मेंस दिया. उन्होंने कई फिल्मों में भी अपनी आवाज दी, जिन्हें लोग आज भी याद करते हैं.
पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित हैं राशिद खान
पद्म पुरस्कार से सम्मानित उस्ताद राशिद खान ने कई पुरस्कार जीते हैं. वर्ष 2007 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इससे पहले वर्ष 2006 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया. वर्ष 2022 में पद्म भूषण से नवाजा गया. उन्होंने बांग्ला और हिंदी फिल्मों में कई गीत गाए हैं, जो काफी लोकप्रिय हुए.
‘आओगे जब तुम साजना’ गाना काफी रहा लोकप्रिय
उस्ताद राशिद खान ने ‘माई नेम इज खान’, ‘कादम्बरी’, ‘मंटो’ और ‘मितिन माशी’ के लिए गीत गाए हैं. बॉलीवुड फिल्म ‘जब वी मेट’ के लिए उस्ताद के गाए गीत ‘आओगे जब साजना…’ को आज भी लोग काफी पसंद करते हैं. मुख्य रूप से शास्त्रीय संगीत के लिए पहचाने जाने वाले राशिद खान के फ्यूजन और फिल्मी गीतों को भी काफी पसंद किया गया.
राशिद खान का अंतिम संस्कार होगा कल
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि खान का अंतिम संस्कार बुधवार को होगा और इससे पहले उन्हें बंदूक से सलामी दी जायेगी और राजकीय सम्मान दिया जायेगा. उन्होंने कहा, ‘‘उनका पार्थिव शरीर आज मुर्दाघर में रखा जायेगा. खान के पार्थिव शरीर को कल रवींद्र सदन ले जाया जायेगा जहां उनके अनुयायी उन्हें श्रद्धांजलि दे सकते हैं.