ramanand sagar son prem sagar says ramayana brought teachings of ramayana to mass ayodhya ram mandir inauguration dvy | दूरदर्शन का महाकाव्य रामायण…जिसने रामायण की सीख को जनमानस तक था पहुंचाया

रामायण का पहला एपिसोड 25 जनवरी 1987 को टेलीकास्ट हुआ था ,लेकिन पापाजी (रामानंद सागर) ने 1977 में ही इस पर काम करना शुरू कर दिया था. पापाजी ने तय कर लिया कि वह टीवी के लिए रामायण बनायेंगे,लेकिन उसके लिए फंड मिलना मुश्किल था. देश ही नहीं विदेश में भी उनके जानने वाले लोगों से हमने मदद मांगी ,लेकिन कहीं से भी एक रुपये की मदद नहीं मिली. ऊपर से लोगों ने कहा कि आप लोग का दिमाग़ ठीक है. टीवी पर मुकुट और मूंछ नहीं चलेगा,लेकिन पापाजी का पक्का विस्वास था कि उन्हें यह शो बनाना है, लेकिन फंड नहीं मिल रहे थे. मैंने पापाजी को राय देते हुए कहा कि रामायण बनाने से पहले उसी की तरह कोई शो बनाते हैं. हॉलीवुड में उस वक्त टेस्ट मार्केटिंग का एक फ़ंडा होता था. फ़िल्म रिलीज से पहले एक छोटे ग्रुप को दिखाते थे. उससे फिल्म का प्रमोशन हो जाता था. हमने टेस्ट मार्केटिंग के तौर पर सोमदत्त की बैताल पच्चीसी निकाली उससे जुडी शिक्षा हो या मर्यादा वह राम से ही जुडी थी. उसके लिए भी फाइनेंसर चाहिए था. उसी दौरान इमामी कम्पनी शुरू हुई थी. उसके मालिक आर एस अग्रवाल से मिला. उन्हें कांसेप्ट पसंद आया कि इससे बच्चों को शिक्षा और भारतीय संस्कार मिलेंगे लेकिन उन्होंने कहा कि वह एक लाख से ज़्यादा एक एपिसोड के लिए नहीं दे पाएंगे. बजट काम था इसलिए सागर विल्ला में ही हमने पूरी विक्रम बेताल शूट की और हमारा वह टेस्ट मार्केटिंग चल निकला. टीवी में मुकुट और मूंछ चलता है. यह साबित हो गया. विक्रम बेताल की सफलता ने पापाजी को एक अलग ही उत्साह से भर दिया था. विक्रम बेताल की सफलता की वजह से हमें रामायण के लिए फाइनेन्सर मिल गये.

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