Railways Train Protection System Kavach Braking Trial Successful Engine Stops At Red Signal – Amar Ujala Hindi News Live

railways train protection system Kavach braking trial successful engine stops at red signal

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– फोटो : अमर उजाला

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उत्तर मध्य रेलवे के आगरा डिविजन ने बताया है कि स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ के ब्रेकिंग सिस्टम का परीक्षण किया गया, जो सफल रहा। यह परीक्षण सेमी हाई स्पीड ट्रेन पर किया गया, जिसमें 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल रहा इंजन रेड सिग्नल पर अपने आप ब्रेक लगाकर रुक गया। कवच सिस्टम को रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (RDSO) ने विकसित किया है। यह सिस्टम आपातकालीन स्थिति में अगर ड्राइवर समय पर ब्रेक नहीं लगा पाता है तो खुद ट्रेन को ब्रेक लगाकर रोक सकता है। 

160 की स्पीड पर खुद ब्रेक लगकर रुका इंजन

भारतीय रेलवे ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अपने पूरे रेल नेटवर्क पर इस कवच सिस्टम को लागू करने की तैयारी कर रहा है। आगरा रेल डिविजन की पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तर मध्य रेलवे के डिप्टी चीफ सिग्नल एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर कुश गुप्ता की देखरेख में यह परीक्षण किया गया। इस परीक्षण के तहत कवच सिस्टम से लैस एक सेमी हाई स्पीड इंजन WAP-5 को पलवल-मथुरा सेक्शन पर 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ाया गया। इंजन के ड्राइवर को कहा गया था कि वह रेड सिग्नल पर ब्रेक ना लगाए। प्रशस्ति अग्रवाल ने बताया कि हम यह देखना चाहते थे कि क्या कवच सिस्टम रेड सिग्नल देखकर अपने आप ब्रेक लगाता है या नहीं?

 

WAP-5 इंजन पर किया गया सफल परीक्षण

परीक्षण के दौरान देखा गया कि रेड सिग्नल देखकर इंजन ने रेड सिग्नल से 30 मीटर दूर ही ब्रेक लगा दिए। इस दौरान सभी सेफ्टी पैरामीटर भी सही पाए गए। जिस इंजन पर परीक्षण किया गया, वह WAP-5 इंजन पैसेंजर कोच को 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से खींचने में सक्षम है और यही इंजन शताब्दी और गतिमान एक्सप्रेस जैसे प्रीमियम ट्रेनों में लगता है। अब नॉर्थ सेंट्रल रेलवे डिविजन जल्द ही पैसेंजर कोच सहित किसी इंजन पर भी यह परीक्षण करेगा। आगरा डिविजन ने मथुरा से पलवल के बीच 80 किलोमीटर के पूरे सेक्शन को कवच नेटवर्क से लैस कर दिया है। इसके तहत स्टेशन एरिया के रेलवे ट्रैक पर RFID टैग्स लगाए गए हैं। स्टेशन समेत कई जगहों पर स्टेशनरी कवच यूनिट इंस्टॉल की गई हैं और ट्रैक के पास टावर और एंटेना भी लगाए गए हैं। 

कवच प्रणाली से मिलेंगे कई फायदे

रेलवे के अनुसार, साउथ सेंट्रल रेलवे के तीन सेक्शनों पर करीब 1465 किलोमीटर के रूट पर पहले से ही कवच सिस्टम लागू है। हालांकि यहां पर अभी तक कवच का ट्रायल नहीं किया जा सका है क्योंकि इन ट्रैक पर स्पीड लिमिट लागू है। देश के अधिकतर सेक्शन पर अभी 130  किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से ही दौड़ सकती हैं। सिर्फ दिल्ली और आगरा के सेक्शन में ही ट्रेनें 160 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ सकती हैं क्योंकि साल 2016 में यहां स्पेशल ट्रैक बनाए गए थे। कवच प्राणाली से ना सिर्फ लोको पायलट्स सिग्नल को बेहतर ढंग से देख पाएंगे बल्कि खराब मौसम में भी ट्रेनों का संचालन बेहतर और सुरक्षित तरीके से हो सकेगा।  

 






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