सोनिया मिश्रा/ चमोली. पुदीने की खुशबू और स्वाद से हम भारतीय लोग भलीभांति परिचित हैं. चटनी बनाना हो या आम पना, पुदीना हर किसी के साथ मिक्स होकरअद्भुत स्वाद देता है और गर्मियों में के लिए पुदीना किसी रामबाण से कम नहीं है .पोषक तत्वों से भरपूर पुदीना विटामिन-सी का भी अच्छा स्रोत है. इसकी कई वैरायटी हैं, जिसमें पिपरमिंट और स्पीयरमिंट सबसे ज्यादा उपयोग में लाया जाता है. आयुर्वेद में पुदीने को वायुनाशक जड़ी-बूटी के रूप में देखा जाता है, जो सीने में जलन, मितली आदि में राहत देता है. इसके पत्ते को चबाकर खाने से पेट दर्द और आंतों की ऐंठन में आराम मिलता है.
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल के मुख्य फार्मसिस्ट एसएस राणा बताते हैं कि पुदीने की पत्तियां अपनी फ्रेश सुगंध और ठंडे तासीर के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं. आम इंसान की किचन से लेकर पांच सितारा होटलों की टेबल पर आपको पुदीने की पहुंच दिख जाती है. औषधीय गुणों से भरपूर पुदीना पाचन तंत्र को ठीक करने के साथ-साथ पेट से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करता है. यह पाचन तंत्र की मांसपेशियों को आराम पहुंचाने के साथ-साथ अपच की परेशानी को भी कम करता है. जिन लोगों को सांस की बदबू की परेशानी है, तो वह इसे च्युइंग गम के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं. यह नेचुरल तरीके से सांस की बीमारी से निजात दिलाने में भी कारगर हैं.
त्वचा को नई ऊर्जा प्रदान करता है पुदीना
एसएस राणा बताते हैं कि कुछ रिपोर्ट के अनुसार, पुदीने की सुगंध इतनी ज्यादा होती है कि वह दिमाग को भी एक्टिव कर देता है. जिसके कारण आपको फोकस और सकारात्मक रखता है. वहीं पुदीना एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है. यह शरीर के मुक्त कणों से लड़ने में सहायक होता है. पुदीने का इस्तेमाल कई सारे ब्यूटी प्रोडक्ट में भी होता है. यह त्वचा की कोशिकाओं को नई उर्जा प्रदान करता है. एंटिसेप्टिक होने के कारण इसका प्रयोग बॉडी क्लींजर, साबुन और बॉडी वॉश के रूप में होता है.
इन लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है पुदीना
एसएस राणा कहते हैं कि जब भी आप पुदीने के पत्ते का इस्तेमाल करें, तो इस बात का खास ख्याल रखें कि आप कितनी मात्रा में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं, क्योंकि कोई भी चीज ज्यादा मात्रा में खाना नुकसानदायक साबित हो सकता है. जिन लोगों के एसोफेजियल स्फिंक्टर में दिक्कत है, उन्हें पुदीना खाने से आराम मिल सकता है लेकिन एसिड रिफ्लक्स के लक्षण बढ़ सकते हैं. यह कुछ व्यक्तियों में त्वचा संबंधी प्रतिक्रिया या अन्य एलर्जी लक्षण पैदा होने का खतरा भी होता है.
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FIRST PUBLISHED : March 3, 2024, 15:35 IST
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