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सूर्यप्रकाश मिश्र@नवभारत
मुंबई: स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में महाराष्ट्र को विकसित राज्य माना जाता है, लेकिन एक जाने माने डॉक्टर को लगातार 15 साल (year) प्रयास (Struggle) करने के बाद उनके पैतृक गांव में प्राथमिक आरोग्य केंद्र (PHC) स्थापित किए जाने को मंजूरी मिली है। मुंबई से ठाणे के जाने माने इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विजय सुरासे (Dr Vijay Surase) द्वारा पिछले 15 वर्षों में 100 से अधिक पत्र लिखने, संबंधित विभागों के अनगिनत चक्कर लगाने और अदालत तक का दरवाजा खटखटाने के बाद अपने गांव को एक पीएचसी दिलाने का सपना पूरा हुआ है। उल्लेखनीय है कि औरंगाबाद जिले के दुर्गम देभेगांव (Debhegaon) में स्वास्थ्य सेवा की पहुंच एक चुनौती थी। डॉ सुरासे के गांव से 20 किमी से अधिक दूरी पर हतनूर में एक पीएचसी थी। यहां तक कि किसी दुर्घटना, सर्प दंश या अचानक मौत के मामले में पोस्टमार्टम के लिए भी, हतनूर पीएचसी में भेजा जाता रहा है।
2008 में शुरू हुआ प्रयास
अपने गांव के पहले कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विजय सुरासे को जटिल हृदय सर्जरी करने की तुलना में अपने पैतृक गांव, देभेगांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए मंजूरी प्राप्त करने में अधिक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा। उन्होंने यह प्रयास 2008 में 37 साल की उम्र में शुरू किया। महाराष्ट्र के राजभवन, एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट सहित कई सरकारी मेडिकल टीम में अपनी सेवाएं दे चुके डॉ विजय सुरासे ने बताया कि 15 साल के संघर्ष के बाद हाल ही में अपना अपना 53वां जन्मदिन खुशी के साथ मनाया। जब गांव को आखिरकार पीएचसी मिल गई। इसके लिए वे देभेगांव के पूर्व सरपंच सुरेश बोडखे के साथ अनशन पर भी बैठे। कोविड के दौरान, उनके गांव सहित कुछ पड़ोसी गांवों को स्क्रीनिंग से बाहर रखा गया था, क्योंकि ग्रामीण अस्पताल के डॉक्टर इलाज में व्यस्त थे। चूंकि हतनुर पीएचसी दूर थी, इसलिए किसी ने उनके गांव की सुध नहीं ली।
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माना सीएम शिंदे का आभार
जुपिटर अस्पताल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ सुरासे ने कहा कि मैंने अपने गांव में पीएचसी की आवश्यकता को देखते हुए अधिकारियों, मंत्रियों और नेताओं से फ़ॉलोअप जारी रखा। महाराष्ट्र के चार मुख्यमंत्रियों से मंजूरी हासिल करने का प्रयास किया, आखिरकार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के निर्देश पर उनके प्रधान सचिव विकास शंकर खड़गे ने अपनी मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ औरंगाबाद के पालक मंत्री, संदीपनराव भुमरे की सहायता के लिए डॉ. सुरासे ने उनका आभार माना।
35 हजार ग्रामीणों को लाभ
अपने गांव में पीएचसी के लिए 15 साल तक संघर्ष करने वाले डॉ सुरासे की दृढ़ता की तारीफ करते हुए जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अभय धनोरकर ने कहा कि हाल ही में स्वीकृत पीएचसी से 18 अतिरिक्त गांवों के 35,000 ग्रामीणों को लाभ होगा। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार से सम्मानित डॉ सुरासे ने अपने गांव के सरकारी स्कूल को भी स्मार्ट स्कूल में बदलने का कार्य किया है। उनकी इस पहल से सीख लेकर सरकार ने राज्य के अन्य स्कूलों को भी स्मार्ट स्कूल में तब्दील करने की योजना बनाई है।