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Parrot Fever | मंकी फीवर के बाद अब इस बीमारी की दस्तक ! जानें क्या है इसके लक्षण, अब तक 5 लोगों की गई जान

Parrot Fever, Health News

पैरेट फीवर (सोशल मीडिया)

नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: इन दिनों यूरोप में एक नई तरह की बीमारी पैरेट फीवर ( Parrot Fever)की दस्तक हुई है जिसकी चपेट में आने से 5 लोगों की मौत हो गई तो वहीं पर खतरा मंडरा रहा है। मंकी फीवर (Monkey Fever) के बाद इस तरह की बीमारी से लोगों में दहशत है। इसके अलावा अन्य देशों में इसके नए मामले मिल रहे है।

कैसी बीमारी हैं पैरेट फीवर

इस पैरेट फीवर बीमारी को सिटाकोसिस औपचारिक तौर पर कहा जाता है। यह एक तरह से ऐसा बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो क्लेमायडिया परिवार की बैक्टीरिया के संक्रमण से फैलता है। इस बैक्टीरिया के पनपने से पक्षियों में तोता समेत अन्य को संक्रमित करता है। अगर आप किसी तोता के संपर्क में आते है तो इस प्रकार की संक्रमण वाली बीमारी से बीमार हो सकते हैं इसका ख्याल रखना चाहिए। यहां पर संक्रमित पक्षी में बीमारी का असर नहीं दिखता है। 

जान लीजिए पैरेट फीवर के लक्षण

इस पैरेट फीवर बीमारी के लक्षण की बात की जाए तो यह संक्रमण से ही फैलती है इसमें संक्रमित पक्षी के संपर्क में आने, उनके पंखों या सूखे मल से कणों के कॉन्टैक्ट में आने से इस खतरा बढ़ता है। संक्रमित होने पर रोगियों में इस प्रकार के लक्षण नजर आते हैं जिन्हें आपको जान लेना चाहिए..

1- आमतौर पर हल्के होते है लक्षण

2- 14 दिनों में नजर आते है लक्षण 

3-बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, सूखी खांसी, बुखार और ठंड

4- निमोनिया

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कैसे होगा पैरेट फीवर का इलाज

इस पैरेट फीवर बीमारी का इलाज लक्षण नजर आने पर किया जा सकता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति में आमतौर पर एंटीबायोटिक्स और दूसरी दवाएं दी जाती हैं। इन दवाओं के बाद भी रोगी को आराम नहीं मिलता है तो ये निमोनिया, हार्ट  के वाल्व की सूजन, हेपेटाइटिस या न्यूरोलॉजिकल जैसी समस्या का खतरा हो जाता है। इसका इलाज डॉक्टर स्थिति देखते हुए करते है। 

1000 मरीजों में एक की होती है मौत

इस बीमारी के मामले यूरोप में नजर आने के बाद ऑस्ट्रिया में भी नजर आए है इसमें पैरेट मरीजों की संख्या में इजाफा देखने के लिए मिला है। इस बीमारी को लेकर WHO का कहना है कि पैरेट फीवर से 1000 मरीजों में एक की मौत हो जाती है। इस बीमारी का सबसे अधिक खतरा पालतू जानवर पालने वाले, मुर्गी पालन कर्मचारी, माली और पशु चिकित्सक को होता है। वही पर इस बीमारी को Low कैटेगरी में रखा गया है। 

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