Odisha Cash Haul:10 दिन बाद आयकर विभाग की छापेमारी समाप्त, 351 करोड़ मिलने जुड़ी रिपोर्ट Cbdt को भेजी गई – Odisha Cash Haul: I-t Dept Winds Off Raids After Ten Days; Sends Report To Cbdt

Odisha cash haul: I-T dept winds off raids after ten days; sends report to CBDT

कांग्रेस सांसद धीरज साहू
– फोटो : सोशल मीडिया

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कांग्रेस सांसद के परिवार के स्वामित्व वाली ओडिशा की एक डिस्टिलरी कंपनी और उससे जुड़ी कुछ इकाइयों के खिलाफ आयकर विभाग की छापेमारी शुक्रवार तड़के समाप्त हो गई। इस छापेमारी के दौरान अब तक का सबसे ज्यादा 351 करोड़ रुपये का नकद जब्त किया गया। आयकर विभाग के सूत्रों ने यह जानकारी दी।

आयकर विभाग की पिछली दो टीमें ओडिशा और झारखंड में एक-एक परिसर से रवाना हुईं और वे अपने साथ कई जब्त किए गए ‘आपत्तिजनक दस्तावेज’ और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से क्लोन किए गए डेटा ले गए। बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड (बीडीपीएल) और उससे जुड़ी इकाइयों के खिलाफ छापेमारी पिछले सप्ताह छह दिसंबर को शुरू की गई थी।

अधिकारियों ने बताया कि आयकर अधिकारियों ने 10 दिन तक चली तलाशी के दौरान वितरकों और कुछ हवाला ऑपरेटरों समेत कई इकाइयों के अलावा रांची में कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य धीरज प्रसाद साहू के पारिवारिक आवास पर भी छापे मारे गए। सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि यह तलाशी 15 दिसंबर को तड़के समाप्त हुई। 

अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्रीय जांच इकाई ने प्रक्रिया के तहत पूरी कार्रवाई की अंतिम मूल्यांकन रिपोर्ट दिल्ली में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को भेज दी है। सीबीडीटी कर विभाग के लिए प्रशासनिक निकाय है। न तो कंपनी और न ही साहू ने अब तक आयकर कार्रवाई पर कोई आधिकारिक बयान या प्रतिक्रिया जारी की है, जबकि भाजपा सहित विपक्षी दलों ने उन्हें अवैध नकद धन के लेनदेन के लिए दोषी ठहराया है। विभाग ने ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल में 30-34 परिसरों की तलाशी ली और इस अभियान के दौरान करीब तीन किलोग्राम सोने के आभूषण भी जब्त किए।  

आयकर अधिकारियों ने दावा किया है कि इन छापों के दौरान 351 करोड़ रुपये की ‘अब तक की सबसे अधिक’ नकदी जब्त की गई, जिसे कर विभाग ने कथित कर चोरी और ‘आउट ऑफ बुक’ लेनदेन के आरोपों पर शुरू किया था।

इस छापेमारी से पहले 2019 में कानपुर में जीएसटी इंटेलिजेंस की छापेमारी के दौरान एक व्यापारी के यहां से लगभग 257 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की की गई थी। वहीं जुलाई 2018 में तमिलनाडु में एक सड़क निर्माण फर्म के खिलाफ तलाशी के दौरान आयकर विभाग ने 163 करोड़ रुपये की नकदी का पता लगाया गया था।

विभाग ने इस अभियान के दौरान रांची में साहू के घर पर एक ग्राउंड स्कैनिंग व्हील वाली मशीन तैनात की, जिसके शीर्ष पर एक मॉनिटर था, ताकि सतह के नीचे कीमती सामानों की जांच की जा सके, जबकि मौके पर तीन दर्जन नोट गिनने वाली मशीनें लाई गईं, और भारी नकदी की गिनती के लिए विभिन्न बैंकों और उनके कर्मचारियों की मदद ली गई।    

अधिकारियों ने कहा कि गिनती की मशीनें कई बार विफल हो गईं क्योंकि उनका लगातार इस्तेमाल किया जा रहा था और यहां तक कि कई नोटों को मिट्टी में डाल दिया गया था, जिससे इन्फ्रारेड सेंसर अवरुद्ध हो गए थे, जिसके जरिए मुद्रा पर धागों को पढ़ा जाता है ताकि अंदर रखे गुच्छे का मिलान किया जा सके। सूत्रों ने बताया कि कई नोटों की गिनती दो या तीन बार की गई क्योंकि नोट साफ नहीं थे और टेलर (नोट गिनने वाले कर्मचारी) को सही आंकड़ा हासिल करने के लिए फिर से प्रक्रिया चलानी पड़ी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को इस भारी नकदी की बरामदगी को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए इसका जिक्र किया था। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में पार्टी सांसदों ने सोमवार को संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास प्रदर्शन किया था और आरोप लगाया कि छापेमारी के दौरान जब्त नकदी से साबित होता है कि कांग्रेस भ्रष्टाचार में ”आकंठ डूबी” है।

नड्डा ने कहा था, “यह सिर्फ आइसबर्ग की नोक है… सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जवाब देना होगा कि यह पैसा किसका है और इसे कैसे लूटा गया?” लोकसभा में भाजपा सदस्यों ने सोमवार को सदन में भी यह मुद्दा उठाया।” वहीं कांग्रेस ने आरोपी सांसद से दूरी बनाते हुए दावा किया है कि पार्टी का उनके कारोबार से कोई लेना-देना नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस किसी भी तरह से सांसद धीरज साहू के कारोबार से जुड़ी नहीं है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पिछले सप्ताह एक्स पर एक पोस्ट में कहा था, “केवल वही बता सकते हैं और उन्हें बताना चाहिए कि आयकर अधिकारियों को उनके यहां से इनती भारी मात्रा में नकदी कैसे मिली?”

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