Notice Period Rules: नौकरी करने के दौरान जब किसी को अच्छा मौका मिलता है तो वो मौजूदा कंपनी में रिजाइन करता है और दूसरी जॉब ज्वाइन कर लेता है. हालांकि रिजाइन करने के बाद नोटिस पीरियड भी सर्व करना होता है, अलग-अलग कंपनी के इसे लेकर अलग नियम होते हैं. नोटिस पीरियड एक महीने से लेकर तीन महीने तक का हो सकता है. यही वजह है कि नोटिस पीरियड को लेकर आपने सोशल मीडिया में कई तरह के मीम्स भी देखे होंगे. इसे लेकर सबसे बड़ा एक सवाल ये रहता है कि क्या पूरा नोटिस पीरियड सर्व करना जरूरी होता है? आज हम आपको इसी सवाल का जवाब दे रहे हैं.
क्या होता है नोटिस पीरियड?
दरअसल जब भी आप किसी कंपनी में नौकरी ज्वाइन करते हैं तो आपसे कई पन्नों का एक कॉन्ट्रैक्ट साइन कराया जाता है. इसी में एक पेज नोटिस पीरियड का भी होता है, जिसमें कंपनी ने साफ लिखा होता है कि आपको कितने महीने या दिनों का नोटिस पीरियड सर्व करना होगा. कंपनी का तर्क होता है कि वो इस पीरियड में नई हायरिंग करेंगे और आपकी जगह किसी दूसरे को ज्वाइन कराएंगे.
नोटिस पीरियड को लेकर हर ऑफिस में बहस होना आम बात है. कई कंपनियों में तीन महीने तक का नोटिस पीरियड होता है, ऐसे में सामने वाली कंपनी ज्वाइनिंग के लिए इतना वक्त नहीं देती तो एंप्लॉई पर दोनों तरफ से दबाव होता है. कई बार बॉस नोटिस पीरियड कम करने से साफ इनकार कर देता है. ऐसे में ये सवाल सामने आता है कि क्या नोटिस पीरियड सर्व किए बिना ही नौकरी छोड़ी जा सकती है?
कंपनी नहीं कर सकती है जबरदस्ती
सबसे पहले तो ये देख लें कि जिस पॉलिसी पर आपने साइन किए हैं उसमें नोटिस पीरियड की क्या शर्तें लिखी हैं. इन शर्तों का आपको पालन करना होता है. नोटिस पीरियड सर्व करना हर बार जरूरी नहीं होता है, लेकिन इससे आपको आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है. कई बार सैलरी रोक ली जाती है और बकाया भी नहीं दिया जाता. पॉलिसी में नोटिस पीरियड सर्व नहीं करने की भी शर्तें लिखी होती हैं. कोई कंपनी जबरन आपसे नोटिस पीरियड सर्व नहीं करवा सकती है. कई कंपनियों में इसके बदले छुट्टी एडजस्ट हो जाती हैं, वहीं कुछ कंपनियां पैसे लेकर नोटिस पीरियड माफ कर सकती हैं. कुछ कंपनियों में बाय आउट का भी रूल होता है.