Nawazuddin Siddiqui made his Telugu debut with ‘Saindhaav’, director writer spoke about the cast | नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने ‘सैंधव’से किया अपना तेलुगु डैब्यू: डायरेक्टर शैलेश कोलानु बोले- नवाज हर सीन में कुछ ना कुछ पागलपन लेकर आते थे

41 मिनट पहलेलेखक: उमेश कुमार उपाध्याय

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मकर संक्रांति के अवसर पर साउथ की चार फिल्में रिलीज हो रही हैं। उनमें से एक फिल्म ‘सैंधव’ है, जो 13 जनवरी को रिलीज हुई। ‘सैंधव’ फिल्म से नवाजुद्दीन सिद्दीकी तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू कर रहे हैं। उन्होंने अपना डायलॉग खुद डब किया है। 99 दिनों के शूटिंग शेड्यूल में नवाजुद्दीन ने 25 से 30 दिन शूट किया है। फिल्म मेकिंग के बारे में खास बातचीत में राइटर-डायरेक्टर शैलेश कोलानु बताते हैं-

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने 'सैंधव' से अपना तेलुगु डेब्यू किया।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने ‘सैंधव’ से अपना तेलुगु डेब्यू किया।

‘सैंधव’ का क्या मतलब होता है?
महाभारत में कौरव पक्ष का एक बड़ा शक्तिशाली वॉरियर सैंधव था। उसे वरदान मिला था कि वो एक दिन के लिए पांडव को रोक सकता है। उसने चक्रव्यूह के समय एक दिन के लिए पांडव को रोका था। महाभारत में ये निगेटिव कैरेक्टर है। अब तेलुगु में प्रचलित है कि जब कोई अच्छा कर रहा होता है, उस दौरान कोई बीच में पड़ता है, तब उसे कहते हैं कि सैंधव की तरह बीच में बार-बार क्यों आ रहा है। महाभारत में सैंधव अच्छाई को रोकता है, लेकिन ‘सैंधव’ फिल्म में हीरो पावरफुल है। वो बुराई को रोकता है। इसे ध्यान में रखते हुए मुझे लगा कि ‘सैंधव’ टाइटल अच्छा रहेगा।

‘सैंधव’ की क्या कहानी है?
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक ऐसी बीमारी है, जो इंडिया में काफी बड़ी प्रॉब्लम है। साल में लगभग तीन-चार हजार बच्चों को ये बीमारी हो रही है। इस बीमारी में एक इंजेक्शन लगाया जाता है, जिसकी कीमत 17 करोड़ रुपए है। आजकल बहुत सारे सोशल कैंप चलाए जाते हैं। इस मेडिसिन को यूएसए से इंपोर्ट करते हैं। इस मूवी की कहानी एक फादर की है, जो अपनी बेटी को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी से बचाना चाहता है। एक पिता अपनी बेटी के इलाज के लिए 17 करोड़ हासिल करने के लिए किस हद तक जाता है, उसकी इस राह में विलेन कैसे रोड़ा बनते हैं, यही फिल्म की कहानी है।

'सैंधव' फिल्म के डायरेक्टर शैलेश कोलानु हैं। इस फिल्म में नवाजुद्दीन के साथ वेंकटेश दग्गुबाती भी नजर आएंगे।

‘सैंधव’ फिल्म के डायरेक्टर शैलेश कोलानु हैं। इस फिल्म में नवाजुद्दीन के साथ वेंकटेश दग्गुबाती भी नजर आएंगे।

फिल्म में नार्थ-साउथ की बड़ी स्टार कास्ट है
कहानी की जर्नी में दिखाया गया है कि हीरो वेंकटेश दग्गुबाती से कैसे विलेन नवाजुद्दीन सिद्दीकी, मुकेश ऋषि, जिशु सेनगुप्ता आदि टकराते हैं। इन सबको हीरो कैसे रोकता है- यही कहानी का मेन प्लॉट है। फिल्म में तीन हीरोइन- श्रद्धा श्रीनाथ, रूहानी शर्मा, एंड्रिया जेरेमिया हैं, जो महत्वपूर्ण रोल प्ले कर रही हैं। सुपरस्टार आर्य कैमियो रोल प्ले कर रहे हैं। इस तरह साउथ और नॉर्थ को मिलाकर बड़ी स्टार कास्ट है। फिल्म में हर एक्टर के अपने-अपने कैरेक्टर का बहुत महत्व है। हम लोगों ने मूवी में अच्छा पॉइंट डिस्कस किया है कि 17 करोड़ के इंजेक्शन के लिए हमारे देश में क्या प्रॉब्लम है। इसका क्या समाधान हो सकता है। इस फिल्म के जरिए हम ये मैसेज ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।

फिल्म में नवाज ने तेलुगु में अपनी आवाज खुद डब की है
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने तेलुगु में अपनी आवाज खुद डब की है। उन्होंने पूरी डबिंग मात्र तीन दिन में कंप्लीट की। ये डबिंग मुंबई में स्थिति अंधेरी के एक स्टूडियो में हुई। फिल्म की शूटिंग काकीनाडा, हैदराबाद, वाइजैग, श्रीलंका आदि जगहों पर हुई थी। इन जगहों पर कुल 99 दिनों तक शूटिंग की गई। इसमें नवाज भाई का 25 से 30 दिनों का काम था। इसके अलावा उन्होंने तीन दिन डबिंग के लिए दिए थे। श्रीलंका में लगभग एक महीने शूटिंग की गई। वाइजैग और काकीनाडा मिलाकर 20 दिन शूट हुआ। हैदराबाद में भी 20 दिन शूट किया गया बाकी जगहों पर चार-चार दिनों तक शूट किया गया।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने फिल्म 'हड्डी' में पहली बार ट्रांसजेंडर का रोल निभाया था।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने फिल्म ‘हड्डी’ में पहली बार ट्रांसजेंडर का रोल निभाया था।

फिल्म में इमेजनरी (काल्पनिक) सिटी बनाई गई है
इस फिल्म के लिए हम लोगों ने एक इमेजनरी सिटी क्रीएट की है, जिसका नाम चंद्रप्रभा है। हमें कहानी के लिए एक सी-साइड सिटी चाहिए थी। फिल्म में बड़े-बड़े स्कैम होता रहता है। वाइजैग में इतना बड़ा स्कैम होना पॉसिबल नहीं है। ये रियलिटी से दूर हो जाता, इसलिए हमने चंद्रप्रभा नामक काल्पनिक सिटी बना दी। सारे लोकेशन पर शूट किया और उसे एडिट करके चंद्रप्रभा सिटी में बता दिया गया।

फिल्म में पांच एक्शन डायरेक्टर हैं
हालांकि फिल्म एक्शन से भरपूर है, लेकिन सारे एक्शन सीक्वेंस के पीछे एक इमोशनल कारण है। ऐसा नहीं है कि बिना किसी इमोशनल वजह के एक्शन है। ये सारे एक्शन एक पापा अपनी बेटी को बचाने के लिए कर रहा है। फिल्म में अलग-अलग एक्शन के लिए अलग-अलग एक्शन डायरेक्टर को लिया गया है। फिल्म में पूरे पांच एक्शन डायरेक्टर ने काम किया है। उनके नाम- राम लक्ष्मण मास्टर, पीटर हैंग्स, पृथ्वी, अंजी और सिलवा मास्टर हैं। माना कि फिल्म में जबरदस्त एक्शन सींस हैं, लेकिन इसके बावजूद दर्शकों का ध्यान पिता और बेटी की बॉन्डिंग की तरफ ही जाएगा।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' को टर्निंग पॉइंट मानते हैं।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ को टर्निंग पॉइंट मानते हैं।

फिल्म में किसी ने भी बॉडी डबल यूज नहीं किया है
फिल्म में तमिल हीरोइन एंड्रिया जेरेमिया का टॉम बॉय जैसा कैरेक्टर है। यह नवाज भाई के गैंग में रहती हैं। बहुत सारे एक्शन फाइट में उनका पार्ट है। वे गन पकड़कर बाइक चलाती हैं। उन्हें फिल्म के लिए काफी मिक्स मार्शल आर्ट सीखनी पड़ी। उन्होंने काफी फिजिकल ट्रेनिंग भी ली। एंड्रिया ने डेढ़-दो महीने के लिए चेन्नई में ट्रेनिंग ली। इसके अलावा चेन्नई और हैदराबाद में बहुत सारे एक्शन रिहर्सल किए हैं। फिल्म में बहुत एक्शन है, पर किसी ने डुप्लीकेट और बॉडी डबल का यूज नहीं किया है। यही कारण है कि सभी को फिजिकल ट्रेनिंग लेनी पड़ी।

सुर पकड़ने के लिए नवाजुद्दीन ने चार-पांच लड़कों से महीनों तक बात की
नवाजुद्दीन का कैरेक्टर ऐसा है कि वे तेलुगु स्टेट में रहते हैं, पर उन्हें ठीक से तेलुगु बोलनी नहीं आती है। उन्हें उर्दू बोलनी आती है। इसलिए नवाजुद्दीन की मुलाकात हैदराबाद के ऐसे चार-पांच दोस्तों से करवाई, जो चारमिनार की उर्दू लैंग्वेज बोलते हैं। जिस तरह से नॉर्थ में बोलते हैं कि आप क्या कर रहे हैं? उसी तरह से हैदराबाद में बोलेंगे कि क्या कर रहा है तू। ये थोड़ी टपोरी लैंग्वेज है। वे थोड़ा तेलुगु और बाकी उर्दू और टपोरी लैंग्वेज में बोलते हैं। इस तरह की लैंग्वेज सीखने के लिए नवाज का चार-पांच बच्चों से संपर्क करवाया था। नवाज कैरेक्टर के लिए दो-तीन महीनों तक इन बच्चों से बात किया करते थे। सुर पकड़ने के लिए उन्होंने चार-पांच बार बच्चों से मुलाकात भी की।

फिल्म लगभग 400 सिनेमाघर में रिलीज होगी
हालांकि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि नॉर्थ और देश के बाहर कितने सिनेमाघरों में फिल्म रिलीज हो रही है। लेकिन साउथ में लगभग 400 सिनेमाघरों में ‘सैंधव’ रिलीज होगी।

वेंकटेश श्रीलंका में कार से 10 घंटे सफर करके गए थे
श्रीलंका में शूटिंग के दौरान हमें कोलंबो से जाफना जाना था। लेकिन आखिर वक्त पर हमें पता चला कि फ्लाइट नहीं चल रही है। श्रीलंका के अंदर कहीं पर जाने के लिए कार ही साधन थी। अब कार से कोलंबो से जाफना तक का सफर यानी कि 10 घंटे का समय। मैं असमंजस में पड़ गया कि वेंकटेश दग्गुबाती को कैसे बताऊं कि 10 घंटे ट्रैवल करके दूसरी लोकेशन पर जाकर एक एक्शन सीक्वेंस शूट करना है। खैर, वेंकटेश को बताया कि हम लोगों को कार से ही जाना पड़ेगा, क्योंकि फ्लाइट नहीं चल रही है। बात सुनते ही वे तैयार हो गए। हमने 10 घंटे ट्रैवल किया। उस दौरान वे पुराने गाने सुन रहे थे और सीन देख रहे थे। उनसे बात करते-करते समय यूं ही बीत गया कि पता ही नहीं चला। वे बहुत प्रोफेशनल हैं।

हर सीन में नवाजुद्दीन कुछ न कुछ क्रैक (अलग) करते थे
नवाजुद्दीन के साथ ऑन सेट इंप्रोवाइजेशन किया है। नवाज और मैं सेट पर आधे घंटे पहले पहुंच जाते थे। सेट पर जाने के बाद उनसे बोलता था कि नवाज भाई इस सीन में एक पागलपन लेकर आओ, क्योंकि उनका कैरेक्टर बड़ा हाइपर वाला है। वे हर दिन सीन में कुछ न कुछ क्रैक करते थे। सच कहूं तो नवाजुद्दीन बहुत टैलेंटेड हैं।

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