नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: बच्चे की सेहत (Kids Health) के लिए खानपान से लेकर उसके स्वास्थ्य का काफी अच्छे से ध्यान रखना जरूरी होता है ऐसे में नवजात बच्चों को 6 महीने तक मां के दूध के साथ ही बीमारी से लड़ने के लिए टीकों की भी जरूरत होती है। इन आवश्यक टीकों के प्रति ही जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आज यानि 16 मार्च को नेशनल इम्यूनाइजेशन डे (National immunization day 2024) के तौर पर मनाया जा रहा है।
बच्चों को घेरती है ये बीमाारियां
नवजात बच्चों को कई बीमारियां घेरती है जिसकी वजह से कई बच्चों का बचपन छिन जाता है। इसमें पोलियो, खसरा, हेपेटाइटिस बी, चेचक, ट्यूबरक्लोसिस, इनफ्लुएंजा जैसी बीमारियां घेरती है। इस बीमारी से बचने के लिए वैक्सीन बहुत ही पावरफुल होती है जो इम्यून सिस्टम को बूस्ट करती है और शरीर को इन सभी बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार करती है।
कई तरीकों से होता है वैक्सीनेशन
बच्चे के जन्म से लेकर आज तक बच्चों के लिए कई तरह की वैक्सीन लगाना जरूरी है जहां पर गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए टीका लगाने की प्रक्रिया को इम्यूनाइजेशन यानी कि टीकाकरण कहते हैं। वैक्सीन एक मजबूत इम्यून सिस्टम शरीर को कई प्रकार की बीमारियों से प्रोटेक्ट करती है। इसे कई तरीकों से बच्चों को दिए जा सकते है इसमें इम्यूनाइजेशन इंजेक्शन, ओरल सप्लीमेंट और स्प्रे के रूप में भी हो सकता है।
यह भी पढ़ें
बहुत जरूरी और सुरक्षित होती है वैक्सीन
वैक्सीन की बात की जाए तो, यह यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रंस फंड (unicef) के अनुसार बच्चों को दी जाने वाली सभी वैक्सीन्स सुरक्षित मानी जाती है जो हजारों तरह की टेस्टिंग और क्लिनिकल ट्रायल से गुजरती हैं। इसके बाद ही इन्हें लगाने की अप्रूवल दी जाती है। इसे लेने के बाद लोगों में इसके साइड इफेक्ट भी देखने के लिए मिलते है जिनके बारे में कम ही जानकारी होती है, जो बीमारियों को जन्म देती है। यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रंस फंड (unicef) के अनुसार ऐसी ही कई खास वैक्सीन को लगाना जरूरी होता है ताकि बच्चों की सेहत अच्छी रहे।
1. बीसीजी वैक्सीन – जन्म से लेकर 1 साल के अंतर्गत।
यह बच्चों में होने वाले ट्यूबरक्लोसिस से बचाव का काम करता है।
2. हेपिटाइटिस बी वैक्सीन – जन्म के समय।
हेपिटाइटिस बी वैक्सीन बच्चों में हेपिटाइटिस बी वायरस के कारण होने वाले लीवर इन्फेक्शन से बचाव का काम करता है। यह वायरस लिवर कैंसर से लेकर अन्य तरह की गंभीर समस्यायों का कारण बन सकता है।
3. ओरल पोलियो वैक्सीन – जन्म के समय से लेकर 6, 10 और 14 हफ्तों के बच्चे को लगाया जाता है। इसके साथ ही 16 से 24 महीनों के बच्चों को इसकी बूस्टर डोज दिलवाना भी जरूरी है।
पोलियो वैक्सीन पोलियो वायरस से होने वाले बॉडी इन्फेक्शन से बचाव का काम करती है।
4. पेंटावेलेंट वैक्सीन – 6, 10 और 14 हफ्ते के बच्चों को लगवाया जाता है।
डिप्थीरिया, परट्यूसिस, टेटनस, हेपेटाइटिस बी, एचआईवी और निमोनिया जैसी गंभीर समस्याओं से बचाव का काम करता है।
5. रोटावायरस वैक्सीन – 6, 10 और 14 हफ्ते के बच्चों को लगवाया जाता है।
रोटावायरस वैक्सीन रोटावायरस इन्फेक्शन से होने वाली समस्या जैसे दस्त से बचाव का काम करता है।
6. एफआईपीवी वैक्सीन – इसके 2 डोज लगवाए जाते हैं। एक 6 हफ्ते पर और दूसरा 16 हफ्ते पर।
एफआईपीवी वैक्सीन को लकवा ग्रस्त पोलियो से बचाव के लिए लगवाया जाता है।
7. खसरा और रूबेला वैक्सीन – इसके दो डोज लगवाए जाते हैं। एक 9 से 12 महीने पर और दूसरा 16 से 24 महीने पर।
यह हसीन खसरा और रूबेला कि समस्या से बच्चों को बचाता है। खसरा और रूबेला जैसी समस्या का कोई उचित इलाज नहीं है। इसलिए इसके वैक्सीन को किसी कीमत पर स्किप न करें।
8. डीपीटी वैक्सीन – इसके दो डोज लगाए जाते हैं। पहला 16 से 24 महीने पर और दूसरा 5 से 6 साल पर।
इस वैक्सीन को डिप्थीरिया, परट्यूसिस और टेटनस से बचाव के लिए लगवाया जाता है।
9. टीडी वैक्सीन – इस वैक्सीन का डोज न केवल बच्चों को बल्कि प्रेग्नेंट महिलाओं को लगवाना भी जरूरी है।
बच्चों के लिए – इसके दो डोज लगते हैं। पहला 10 साल पर और दूसरा 16 साल पर।
प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए – पहला डोज प्रेगनेंसी के शुरुआती चरण में और दूसरा डोज पहले डोज के 4 हफ्तों के बाद।
टीडी वैक्सीन को टेटनस और डिप्थीरिया से बचाव के लिए लगवाया जाता है।
10. पीसीवी वैक्सीन – पहला डोज 6 हफ्ते पर, दूसरा डोज 14 हफ्ते पर और इसका बूस्टर डोज 9 महीने पर।
न्यूमोकोकल निमोनिया से बचाव के लिए इस वैक्सीन को लगवाया जाता है।
11. जेई वैक्सीन – इसके दो डोज लगवाए जाते हैं। पहला डोज 9 से 12 महीने पर दूसरा डोज 16 से 24 महीने पर।
जेई वैक्सीन जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस और ब्रेन फीवर से बचाव करता है।
इन बातों का रखें ख्याल
वैक्सीन या इम्यूनाइजेशन करने के दौरान कई बातों का ख्याल ऱखना जरूरी होता है जिसके बारे में जान लेना चाहिए।
1-नवजात शिशुओं का इम्यून सिस्टम पूरी तरह तैयार नहीं होता, जिस वजह से बच्चों में गंभीर बीमारी और इन्फेक्शन होने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में टीकाकरण इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है और शरीर को होने वाली बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार करता है।
2- टीकाकरण की कमी के कारण कुछ साल पहले तक बच्चे कम उम्र में ही बीमारियों का शिकार हो जाते थें। साथ ही कई बच्चे विकलांग हो जाते है।