
Akshata Murthy and Narayana Murthy
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इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायणमूर्ति हाल ही में युवाओं को देश के विकास के लिए अपना पूरा समय समर्पित करने और 70 घंटे के कार्य सप्ताह के अपने बयान के कारण काफी सुर्खियों में थे। दरअसल, उन्होंने इसी विचारधारा का पालन अपने युवावस्था में किया था। नारायणमूर्ति और सुधा मूर्ति ने हाल ही में अपनी प्रकाशित जीवनी ‘एन अनकॉमन लव: द अर्ली लाइफ ऑफ सुधा एंड नारायणमूर्ति’ में कंपनी इंफोसिस को चलाने और परिवार को आगे बढ़ाने के संघर्ष के बारे में बताया। उनकी व्यस्तता पर बेटी की प्रतिक्रिया का भी जिक्र किताब में किया गया है।
इंफोसिस को बढ़ाने में नारायण मूर्ति ने अपना पूरा समय किया समर्पित
इस किताब में बताया गया कि कैसे नारायणमूर्ति इंफोसिस को आगे बढ़ाने के लिए अपना पूरा समय काम में ही समर्पित करते थे, जबकि इस दौरान उनकी पत्नी सुधा मूर्ति ने बच्चों रोहन और अक्षता मूर्ति की परवरिश की। हालांकि, नारायणमूर्ति की व्यस्तता के कारण बच्चों को घर में अपने पिता की उपस्थिति की कमी महसूस होती थी। किताब के एक हिस्से में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि नारायणमूर्ति के काम में व्यस्त होने के कारण अक्षता हमेशा उन्हें याद किया करती थीं।
बेटी ने दादा को माना असली पिता
अक्षता मूर्ति जो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी हैं, ने एक बार बताया था कि उन्होंने अपने दादा को असली पिता माना है। बेटी अक्षता ने नारायणमूर्ति को अपना बोनस पिता कहा था। वहीं नारायणमूर्ति के बेटे रोहन मूर्ति ने भी एक बार अपने पिता से पूछा था कि वह अक्षता, रोहन और इंफोसिस में सबसे ज्यादा प्यार किसे करते हैं। इस पर नारायणमूर्ति ने रोहन और अक्षता का नाम लिया था।
बता दें कि हाल ही में नारायणमूर्ति ने देश के विकास के लिए युवाओं से हर हफ्ते 70 घंटे काम करने की अपील की थी। इंफोसिस के सह-संस्थापक ने बताया कि 40 वर्षों में उन्होंने खुद हर हफ्ते 70 घंटे से ज्यादा काम किया है। उन्होंने बताया कि वह प्रतिदिन 6:20 बजे ऑफिस में आते थे और रात के 8:30 बजे घर वापस जाते थे। हालांकि, उनके 70 घंटे काम करने के बयान ने कॉरपोरेट जगत में विवाद खड़ा कर दिया है। कर्मचारियों ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य, कम वेतन, नौकरी में कटौती जैसी समस्याओं के कारण वह हफ्ते में 70 घंटे काम नहीं कर सकते हैं।