22 मिनट पहलेलेखक: ईफत कुरैशी
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आज की अनसुनी दास्तान बेहद अलग है। ये किसी हिंदी सिनेमा की नामी अभिनेत्री नहीं बल्कि उस थिएटर आर्टिस्ट की कहानी है, जो ताउम्र जवाहरलाल नेहरू, दिलीप कुमार, राजा-महाराजाओं जैसे आला मुकाम लोगों से घिरी रही, जो भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे बेहतरीन फिल्म मुगल-ए-आजम का अहम हिस्सा होते-होते रह गई। वजह सिर्फ यही थी कि शहनाज शाही खानदान की थीं, जहां फिल्मों में आना तो दूर, फिल्में देखने की भी इजाजत नहीं होती थी।
शाही घराने में जन्मीं राजकुमारी शहनाज, हवेली में पलीं और सोने-चांदी की जरी के कपड़े पहनने वालीं शहनाज की जिद उन्हें पहले बॉम्बे ले आई और फिर थिएटर तक। बला की खूबसूरत शहनाज ने जब शाही घराने की परंपरा तोड़ते हुए थिएटर में काम किया तो देखने वालों का मजमा लगने लगा। कुछ लोगों में राजघराने की थू-थू हुई तो कोई स्टेज पर पहली बार एक शाही लड़की को सोने-चांदी के कपड़ों में देखकर देखता ही रह गया। आम जनता ही नहीं नामी फिल्ममेकर के.आसिफ भी एक झलक में ही उनके मुरीद हो गए। मुगल-ए-आजम में अनारकली बनाने की जिद में कई सीन उन पर ही फिल्माए, लेकिन जब घरवालों को इसकी भनक लगी, तो वही हुआ जिसका शहनाज को डर था। पति ने भी मारपीट करते हुए बच्चों से अलग कर दिया।
आज अनसुनी दास्तान में पढ़िए हवेली से मंच तक का सफर करने