Movie Review of Dange, Harshvardhan Rane, Nikita Dutta, Ehan Bhat and TJ Bhanu as lead characters. | मूवी रिव्यू- दंगे: बैकग्राउंड म्यूजिक और एडिटिंग पर काम अच्छा, लेकिन डायरेक्शन औसत; स्टारकास्ट ने भी निराश किया; हर्षवर्धन राणे थोड़े प्रभावशाली लगे

1 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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फिल्म दंगे 1 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। - Dainik Bhaskar

फिल्म दंगे 1 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई है।

हर्षवर्धन राणे, निकिता दत्ता और एहान भट्ट स्टारर फिल्म दंगे रिलीज हो गई है। एक्शन और इमोशनल ड्रामा इस फिल्म की लेंथ दो घंटे 34 मिनट है। दैनिक भास्कर ने फिल्म को 5 में से 2.5 स्टार रेटिंग दी है।

फिल्म दंगे का डायरेक्शन बिजॉय नेंबियर ने किया है। उन्हें फिल्म वजीर और शैतान जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है।

फिल्म दंगे का डायरेक्शन बिजॉय नेंबियर ने किया है। उन्हें फिल्म वजीर और शैतान जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है।

फिल्म की कहानी क्या है।
यह फिल्म कॉलेज लाइफ की कहानी दिखाती है। कभी बचपन के दोस्त रहे दो युवा जब एक ही कॉलेज में मिलते हैं, तब शुरू होती है खूनी लड़ाई। युवराज यानी एहान भट्ट के मन में बचपन से एक टीस रहती है। उसके साथ कुछ गलत हुआ रहता है। इसके लिए वो हर्षवर्धन राणे यानी जेवियर को गुनहगार मानता है। जब वो कॉलेज में जेवियर को देखता है, तो उसका गुस्से का ठिकाना नहीं रहता है।

कॉलेज में सुपर सीनियर होने के बावजूद जेवियर बार बार उससे माफी मांगने की कोशिश करता है। इन दोनों के बीच में ये खींचातनी फिल्म के अंत तक चलती है। कुछ पॉलिटिकल लोग इन दोनों की लड़ाई का फायदा उठाना चाहते हैं।

स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है?
फिल्म में हर्षवर्धन राणे का इंटेंस अवतार आपको पसंद आएगा। कॉलेज के सुपर सीनियर का स्वैग उनके ऊपर जंचता है। सनम तेरी कसम में एक इनोसेंट लवर बॉय का रोल करने वाले हर्षवर्धन इस फिल्म में ठीक अपोजिट नजर आए हैं। उनकी तुलना में एहान भट्ट बहुत ज्यादा लाउड नजर आए हैं। हालांकि एटीट्यूड से भरा उनका अंदाज कहीं कहीं पसंद आ सकता है। निकिता दत्ता भी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई हैं। सपोर्टिंग कास्ट ने तो सबसे खराब एक्टिंग की है।

फिल्म में हर्षवर्धन राणे का इंटेंस रोल दर्शकों को जरूर पसंद आएगा।

फिल्म में हर्षवर्धन राणे का इंटेंस रोल दर्शकों को जरूर पसंद आएगा।

डायरेक्शन कैसा है?
आपको अमिताभ बच्चन और फरहान अख्तर की फिल्म वजीर तो याद ही होगी। इस फिल्म का डायरेक्शन बिजॉय नेंबियर ने किया था। दंगे का डायरेक्शन भी इन्होंने ही किया है। बिजॉय की फिल्में टेक्निकली बड़ी करेक्ट होती हैं। इस फिल्म का पॉजिटिव पॉइंट यही है।

फिल्म का साउंडट्रैक, मिक्सिंग और विजुअल इफेक्ट काफी अच्छा है। हालांकि निरंतरता की भारी कमी है। डायरेक्टर फिल्म को दिलचस्प बनाए रखने में बिल्कुल विफल रहे हैं। कुछ-कुछ सीक्वेंस बहुत बोरिंग है। एक्शन सीक्वेंस को ओरिजिनल रखने के चक्कर में इरिटेटिंग बना दिया है। बैकग्राउंड स्कोर की वजह से क्लाइमैक्स थोड़ा देखने लायक हो जाता है।

फिल्म का म्यूजिक कैसा है?
फिल्म के गाने स्लो हैं और उतने खास नहीं लगे हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक ही है, जिसके दम पर फिल्म देखी जा सकती है। जब जेवियर अपने लड़कों को लेकर युवराज की टीम को मारने निकलता है, उस सीक्वेंस का BGM बहुत प्रभावशाली है।

फाइनल वर्डिक्ट, फिल्म देखें या नहीं?
फिल्म की कहानी बिखरी हुई है। एक्टर्स में भी जान नहीं है। हर्षवर्धन राणे ने थोड़ी बहुत मेहनत की है। उन्हें सपोर्टिंग कास्ट की तरफ से बिल्कुल मदद नहीं मिली है। यह फिल्म न तो पूरी तरह एक्शन थ्रिलर जॉनर में ठहरती है और न ही इमोशनल ड्रामा की कैटेगरी में। अगर आपके पास बहुत ही ज्यादा वक्त है, तभी इस फिल्म के लिए जा सकते हैं।

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