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पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) और पंजाब सरकार को पठानकोट स्थित चिंतपूर्णी मेडिकल कॉलेज के सभी 258 एमबीबीएस छात्रों को अन्य कॉलेजों में शिफ्ट करने का आदेश दिया है। इस संबंध में लुधियाना के 15 छात्रों सहित कम से कम 149 छात्रों ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। अदालत ने कॉलेज प्रबंधन द्वारा दायर याचिका सहित सभी 11 याचिकाओं का भी निपटारा कर दिया है।
पहली याचिका जुलाई 2023 में 51 छात्रों द्वारा दायर की गई थी और बाद में 65 छात्रों के एक समूह ने एक और याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया था कि वह एमबीबीएस शैक्षणिक सत्र 2021-22 और 2022-23 के छात्रों को पंजाब के किसी अन्य मान्यता प्राप्त, संबद्ध मेडिकल कॉलेज या बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (बीएफयूएचएस) से संबद्धता वाले किसी अन्य मेडिकल कॉलेज में ट्रांसफर करने का आदेश दे।
आपको बता दें कि चिंतपूर्णी मेडिकल कॉलेज लंबे समय से विवादों में बना हुआ है। वर्ष 2011 में शुरू हुए इस मेडिकल कॉलेज को पांच साल बाद ही 2016 में आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं कराने के कारण बंद कर दिया गया। लेकिन वर्ष 2021 में कॉलेज फिर से एमबीबीएस बैच के लिए दाखिले लेने की अनुमति प्राप्त करने में कामयाब रहा। यह अनुमति वर्ष 2022 में भी जारी रही। इसके बाद बुनियादी ढांचे और सुविधाओं की कमी के कारण एमबीबीएस एडमिशन की अनुमति फिर से वापस ले ली गई।
याचिकाकर्ता ने कहा कि मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस के लिए आवश्यक सुविधाएं व फैकल्टी उपलब्ध कराने में विफल रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि एनएमसी ने कॉलेज को दी गई मान्यता को रिन्यू करने से भी इनकार कर दिया है। एनएमसी ने निरीक्षण के बाद कॉलेज की मान्यता वापस ले ली थी। हाई कोर्ट ने सभी हितधारकों को 16 हफ्ते के भीतर छात्रों को शिफ्ट करने की प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है।