Manusmriti will not be taught in Delhi University Dharma Shastra Adhyayan syllabus removed from Sanskrit department ann

दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक अहम फैसला लिया है. इसके तहत अब किसी भी पाठ्यक्रम में मनुस्मृति की पढ़ाई नहीं कराई जाएगी. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने स्पष्ट किया कि संस्कृत विभाग के ‘धर्मशास्त्र अध्ययन’ सिलेबस को पूरी तरह से हटा दिया गया है, जिसमें मनुस्मृति को पहले recommended reading material के रूप में शामिल किया गया था.

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने दी यह जानकारी

विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि दिल्ली विश्वविद्यालय के किसी भी पाठ्यक्रम में मनुस्मृति की पढ़ाई नहीं कराई जाएगी. संस्कृत विभाग का ‘धर्मशास्त्र अध्ययन’ पाठ्यक्रम, जिसमें यह ग्रंथ अनुशंसित पठन सामग्री में शामिल था, को पाठ्यक्रम सूची से हटा दिया गया है.

छात्र संगठनों ने किया था सिलेबस का विरोध

यह निर्णय उस समय लिया गया, जब मनुस्मृति को विश्वविद्यालय के ग्रेजुएशन के  एक नए संस्कृत पाठ्यक्रम में शामिल किया गया. इस पर कई छात्र संगठनों और शिक्षकों ने विरोध दर्ज कराया था. विरोधियों का कहना था कि मनुस्मृति में वर्ण व्यवस्था और स्त्री-विरोधी विचारों को बढ़ावा दिया गया है, जो आज के सामाजिक परिवेश में अस्वीकार्य है.

यूनिवर्सिटी ने क्यों लिया यह फैसला?

विवादों के बीच छात्रों और शिक्षकों के प्रदर्शन व ज्ञापन के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस पर पुनर्विचार किया और विवादास्पद पाठ्य सामग्री को हटाने का निर्णय लिया. इस कदम का मकसद विश्वविद्यालय परिसर में समावेशी और प्रगतिशील शैक्षणिक माहौल बनाए रखना है.

कभी नहीं पढ़ाया जाएगा यह ग्रंथ

दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (SOL) में भी मनुस्मृति को पढ़ाने की उम्मीद अब खत्म हो गई है. विश्वविद्यालय ने यह सुनिश्चित किया है कि आने वाले समय में किसी भी कोर्स में इस ग्रंथ को न तो पढ़ाया जाएगा और न ही किसी तरह की सिफारिश की जाएगी. यह फैसला नीतिगत पहल के रूप में देखा जा रहा है, जो छात्रों की विविधता, सामाजिक न्याय और समतावादी मूल्यों को प्राथमिकता देने की दिशा में उठाया गया है. विश्वविद्यालय के इस निर्णय का कई सामाजिक संगठनों और शिक्षकों ने स्वागत किया है.

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