Makers Of Bhojpuri Film Rang De Basant & Imppa Write To Censor Board Chairman Prasoon Joshi Against Harassment – Entertainment News: Amar Ujala

गीतकार और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) अध्यक्ष प्रसून जोशी पर आरोप लगा है कि उनके कहने पर ही उस भोजपुरी फिल्म का नाम बदलने का निर्देश दिया गया है, जिसका नाम उनके लिखे हिट गानों वाली फिल्म ‘रंग दे बसंती’ पर रखा गया है। इस बारे में फिल्म निर्माताओं की संस्था इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (इम्पा) ने उन्हें पत्र भी लिखा है। फिल्म बनाने वाले बीते दो हफ्तों से सेंसर बोर्ड के मुंबई दफ्तर के चक्कर पर चक्कर काट रहे हैं, लेकिन सबका यही कहना है कि फाइल चेयरमैन सर के पास है।’




भोजपुरी फिल्म ‘रंग दे बसंती’ की रिलीज 22 मार्च को होली पर प्रस्तावित है। फिल्म के सेंसर सर्टिफिकेट के लिए 5 फरवरी को आवेदन किया गया और सेंसर बोर्ड की परीक्षण समिति ने 19 फरवरी को ये फिल्म देखने के बाद अपनी रिपोर्ट भी दे दी। लेकिन, फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट अब तक नहीं मिला है। निर्माता रोशन सिंह का कहना है कि सेंसर बोर्ड उन पर अपनी फिल्म का नाम बदलने के लिए दबाव डाल रहा है। इस बारे में सेंसर बोर्ड की मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्मिता वत्स शर्मा ने संपर्क करने के बाद भी जवाब नहीं दिया।

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फिल्म के निर्माता रोशन सिंह ने बताया, ‘सेंसर ऑफिस से फोन आया और फिल्म के शीर्षक को बदलने को कहा गया। सलाह दी गई कि चूंकि हिंदी में इस शीर्षक के नाम से  पहले फिल्म बन चुकी है, लिहाजा इस फिल्म का शीर्षक बदल दिया जाए।’ यहां गौरतलब ये है कि अब तक हिंदी फिल्मों के शीर्षक पर 100 से ज्यादा भोजपुरी फिल्मों का निर्माण हो चुका है। हाल ही में भोजपुरी फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ को भी सेंसर सर्टिफिकेट दिया गया।


भोजपुरी अभिनेता खेसारी लाल यादव की फिल्म ‘रंग दे बसंती’ के निर्माता रोशन सिंह भी यही कहते हैं कि इससे पहले हिंदी फिल्मों के शीर्षक पर बनी भोजपुरी फिल्म पर सेंसर बोर्ड ने कभी ऐतराज नहीं जताया तो उनकी फिल्म के शीर्षक को लेकर ऐतराज क्यों जताया जा रहा है। वह यह भी बताते हैं कि उन्हें फिल्म को यूए प्रमाणपत्र प्राप्त देने के लिए आवश्यक कुछ कट्स के बारे में सूचित किया गया था। ये काम पूरा करने के बाद जब उन्होंने सेंसर सर्टिफिकेट के लिए सेंसर बोर्ड के मुंबई कार्यालय में संपर्क किया तो बताया गया कि ‘फाइल चेयरमैन सर के पास है।’

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मुंबई से संचालित हिंदी, मराठी, भोजपुरी, गुजराती तमाम फिल्मों के निर्माताओं की अलग अलग संस्थाएं हैं। इन संस्थाओं के पास ही फिल्मों के नामों का पंजीकरण होता है और ये संस्थाएं आपस में बैठकें करके ये तय करती हैं कि किसी एक भाषा में पहले से उसी नाम की फिल्म तो नहीं बनी है। फिल्म निर्माताओं की संस्था इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने भी इस बारे में सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी को पत्र लिखा है। पत्र में साफ लिखा है कि अगर ये फिल्म तय तिथि को रिलीज नहीं हुई तो इसके चलते फिल्म निर्माता को मोटा नुकसान उठाना पड़ेगा।

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