
महाशिवरात्रि 2024
विस्तार
संपूर्ण ब्रह्मांड के पालनहार, सर्वसिद्धि के दाता और अकाल मृत्यु के हर्ता भगवान शिव की आराधना का महापर्व महाशिवरात्रि आठ मार्च को मनाया जाएगा। इस बार महाशिवरात्रि पर 72 साल बाद अद्भुत संयोग बन रहा है। शिवयोग, सिद्ध योग और चतुर्ग्रही योग बन रहा है। साथ ही इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है जो मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस महासंयोग में भगवान शिव की पूजा और आराधना काफी फलदायी होगा।
पंचांगों के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि आठ मार्च को है। महाशिवरात्रि पर व्रत रखा जाएगा। ज्योतिषविद विमल जैन और आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों में साल में 11 मास शिवरात्रि होती है। लेकिन, फाल्गुन कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि की शिवरात्रि महाशिवरात्रि के नाम से जानी जाती है। इस दिन निशा बेला में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग रूप में अवतरित हुए थे।
वहीं, प्रजापति राजा दक्ष की कन्या माता सती का विवाह भी भगवान शिव से हुआ था। इस दिन महादेव की तपस्या और पूजा से कठिन कार्य भी सरल हो जाते हैं। हर तरह के ग्रह आदि बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है। आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि 72 साल बाद तीन योग बन रहे हैं और शुक्र प्रदोष व्रत पड़ा है।
पुत्र की प्राप्ति के लिए दूध से करें अभिषेक
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की विविध नैवेद्यों से पूजा होती है। जिन्हें राशि का ज्ञान नहीं है, वह अपनी कामना के अनुसार रुद्राभिषेक करा सकते हैं। दूध से अभिषेक कराने पर पुत्र की, गन्ने से यश की, मधु से लक्ष्मी की, तीर्थ जल से मोक्ष की प्राप्ति की प्राप्ति होती है। जल से अभिषेक करने पर ज्वर आदि रोगों से शांति मिलती है।
चार प्रहर में विशेष पूजा
प्रथम प्रहर में भगवान शिव को दूध से अभिषेक, द्वितीय में दही से अभिषेक, तृतीय में शुद्ध देशी घी से अभिषेक और चतुर्थ प्रहर में शहद से अभिषेक किया जाएगा। शिव स्तुति, शिव सहस्रनाम, शिव तांडव स्तोत्र, शिव चालीसा, रुद्राष्टक, शिवपुराण आदि का पाठ करना चाहिए।
राशि के अनुसार करें पूजन
- मेष: देशी गाय के कच्चे दूध में शहद मिलाकर अभिषेक करें।
- वृष: दही से अभिषेक। सफेद पुष्प, फल और वस्त्र चढ़ाएं।
- मिथुन: गन्ने के रस से रुद्राभिषेक। धतूरा, हरा पुष्प, भांग व हरा फल चढ़ाएं।
- कर्क: दूध में शक्कर मिलाकर रुद्राभिषेक। सफेद वस्त्र, मिष्ठान्न व मदार का पुष्प चढ़ाएं।
- सिंह: मधु या तीर्थ मिश्रित गुड़ से अभिषेक। लाल पुष्प, वस्त्र और रोली अर्पित करें।
- कन्या: गन्ने के रस से अभिषेक। भांग, धतूरा, मंदार का पत्र व पुष्प चढ़ाएं।
- तुला: मधु से रुद्राभिषेक। भाग, मंदार पुष्प और सफेद वस्त्र चढ़ाएं।
- वृश्चिक: शहदयुक्त तीर्थजल से रुद्राभिषेक। लाल पुष्प, फल और मिष्ठान चढ़ाएं।
- धनु: गाय के दूध में केसर मिलाकर रुद्राभिषेक। पीला वस्त्र, फल, भांग व धतूरा चढ़ाएं।
- मकर: गंगाजल या शमी के रस से रुद्राभिषेक। शमी पत्र, भांग, धतूरा चढ़ाएं।
- कुंभ: दूर्वा या शमी के रस से रुद्राभिषेक। दूर्वा, शमी, मंदार पुष्प चढ़ाएं।
- मीन: केसर मिश्रित दूध से अभिषेक। हल्दी, केला और पीला पुष्प, फल व मिष्ठान चढ़ाएं।