Mahashivratri 2024 on 8 march know name of powerful weapon of lord shiva

Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल महाशिवरात्रि शुक्रवार, 08 मार्च 2024 को है. महाशिवरात्रि पर्व को लेकर ऐसी मान्यता है कि इसी दिन मां पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था. इसलिए इस दिन शिवभक्त व्रत रखकर भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं.

हिंदू धर्म से जुड़े प्राचीन ग्रंथों में कई प्रकार से दिव्यास्त्रों का वर्णन मिलता है. आदिशिव भगवान शिवजी के पास भी कई अस्त्र हुआ करते थे. जिनमें से कई अस्त्रों को उन्होंने देवताओं को दे दिए. भगवान शिव वैसे तो हमेशा अपने हाथों में त्रिशूल लिए नजर आते हैं. लेकिन इसके अलावा भी उनके पास बहुत अधिक शक्तिशाली अस्त्र थे, जिन्हें महास्त्र या दिव्यास्त्र कहा जाता है. आइये जानते हैं शिवजी के इन अस्त्रों के बारे में-

त्रिशूल: देवताओं को सभी अस्त्र देने के बाद शिवजी के पास केवल त्रिशूल बचा था. त्रिशूल का संबंध भगवान शिव के स्वरूप से भी. इसी अस्त्र से शिवजी ने कई दैत्य व दानवों का वध भी किया. शिवजी के त्रिशूल में सत, रज और तम ये तीन प्रकार की शक्तियां हैं.

पिनाक धनुष: भगवान शिव के अस्त्र में पिनाक धनुष भी था, जोकि महाप्रलयंकारी था. इन धनुष के कारण ही शिवजी का एक नाम पिनाकी पड़ा. कहा जाता है कि इस धनुष की टंकार से बादल तक फट जाते थे और धरती डगमगाने लगती थी. जब देवताओं का काल समाप्त हुआ तो पिनाक धनुष को देवताओं के हाथ सौंप दिया गया. कहा जाता है कि भगवान राम ने इस धनुष को भंग कर दिया था.

रुद्रास्त्र: यह शिवजी का महाविध्वंसक अस्त्र था. इसे चलाने पर 11 रुद्रों की सम्मलित शक्ति एक साथ प्रहार करती थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार, अर्जुन से इस अस्त्र को प्राप्त किया था. जब अर्जन स्वर्गलोक में थे तब असुरों के विरुद्ध युद्ध में इंद्र की सहायता कर रहे थे. इस युद्ध में जब देवता परास्त होने लगे तब अर्जुन ने रुद्रास्त्र से प्रहार किया और इसके केवल एक प्रहार में ही तीन करोड़ असुरों का वध कर दिया.

चक्र भवरेंदु: सभी देवी-देवताओं पास च्रक थे, जिनके अलग-अलग नाम भी हैं. शिवजी के चक्र का नाम भवरेंदु था. इसे छोटा लेकिन अचूक अस्त्र माना जाता था.

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