
अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार होंगे घाटी में चुनाव
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लोकसभा का यह चुनाव जम्मू-कश्मीर में कई मायनों में अहम है। बदले नक्शे और नई सियासी बिसात पर राजनीतिक दलों की इस चुनाव में परीक्षा होगी। अनुच्छेद 370 हटने के बाद हो रहे पहले बड़े चुनाव में रियासत की जनता केंद्र सरकार के फैसले पर भी मुहर लगाएगी। आतंकियों-अलगाववादियों पर शिकंजे के बीच जम्मू-कश्मीर में विकास के दावे कसौटी पर परखे जाएंगे। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा और इंडिया ब्लॉक का हिस्सा नेशनल कॉन्फ्रेंस के सामने 2019 में जीतीं सीटें बचाने की चुनौती होगी, वहीं पीडीपी और कांग्रेस के लिए यह चुनाव साख बचाने का भी सवाल है। घाटी में कमल खिलाने के भाजपा के दावे के बीच नई सीट अनंतनाग-राजोरी पर बड़ा सियासी इम्तिहान होगा। चुनाव की रणभेरी बजने से ठीक पहले पहाड़ियों, गुज्जर-बकरवालों और ओबीसी को आरक्षण के तोहफे ने इस संसदीय क्षेत्र में सियासी गर्माहट बढ़ा दी है।