एलजी मनोज सिन्हा
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उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद तमाम सुधारात्मक प्रयासों के चलते जम्मू-कश्मीर की जीडीपी पिछले चार साल में बढ़कर 2.64 लाख करोड़ तक पहुंच गई है। यह 2018-19 में 1.6 लाख करोड़ थी। सुधारों के परिणामस्वरूप प्रदेश अब विकास के पथ पर है। साथ ही सुशासन का राज और शांति है। 2005 से बिजली बकाये का 28 हजार करोड़ रुपये चुकाया गया है। यह बड़ी उपलब्धि है। सरकार शांति, प्रगति व समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है।
बजट पर रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश की आर्थिक स्थिति पहले से काफी बेहतर है। प्रशासन पूंजीगत खर्च को बढ़ाने तथा राजस्व खर्च को घटाने का हरसंभव प्रयास कर रहा है। यहां का राजस्व खर्च 80 हजार करोड़ रुपये है जिसका एक बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन पर खर्च हो जाता है। पूंजीगत खर्च 11 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 38 हजार करोड़ पहुंच गया है जो अच्छा संकेत है। इसमें 245 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने कहा कि चूंकि यह अंतरिम बजट था इस वजह से इसमें कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है। यह प्रधानमंत्री के नेतृत्व में पांचवां बजट था और इन पांच साल में सरकार ने कई सफलताएं हासिल की हैं जिसमें समग्र विकास, रोजगार सृजन तथा औद्योगिक विकास शामिल है। जम्मू कश्मीर के लोगों के आत्म सम्मान को लौटाने में सफलता मिली है। युवाओं को बेहतर अवसर मुहैया कराए गए हैं। किसानों, महिलाओं तथा गरीबों के जीवन स्तर में सुधार किया गया है।
उन्होंने कहा कि दशकों तक लोगों को लगे घाव पर मरहम लगाया गया है और भेदभाव समाप्त किया गया है। कहा कि तात्कालिक लक्ष्य इस फंड का उपयोग कर आर्थिक विकास को गति देना तथा इसे बहु आयामी बनाना है। यह बजट विकासोन्मुख है और इसका लक्ष्य अगले कुछ सालों में अर्थव्यवस्था को दोगुना करना है। उन्होंने कहा कि जीडीपी पर प्रशासन केंद्र के मंत्र का अनुसरण कर रहा है जिसमें जी का आशय सुशासन, डी का आशय विकास तथा पी का आशय बेहतर प्रदर्शन है।
उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में आर्थिक विकास इस पर केंद्रित है कि राजस्व व पूंजीगत खर्च को बढ़ाते हुए फिजूलखर्ची को कम करने पर है। इसमें प्रशासन को सफलता मिल रही है। उन्होंने कहा कि राजस्व प्राप्तियों में 2018-19 की तुलना में 92 प्रतिशत की वृद्धि के साथ यह 97861 करोड़ पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र की ओर से बजट में भी 51 फीसदी का इजाफा हुआ है। राजस्व प्राप्तियों में बढ़ोतरी तथा केंद्रीय सहायता अधिक मिलने की वजह से पूंजीगत खर्च के कुल जीडीपी के 15 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है।
जीएसटी धारकों की संख्या बढ़ी, आबकारी राजस्व 2400 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद
उप राज्यपाल ने कहा कि सुधारों के चलते पिछले चार साल में टैक्स राजस्व में 12 से 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। जीएसटी धारकों की संख्या दो लाख तक पहुंच गई है जबकि 2018 में यह 72 हजार थी। जीएसटी राजस्व में 51 फीसदी तक वृद्धि हुई है। आबकारी राजस्व तथा स्टांप ड्यूटी में भी खासी बढ़ोतरी हुई है। आबकारी राजस्व के रूप में 10 करोड़ रुपये मिलता था जो पिछले साल 1700 करोड़ तक पहुंच गया। इस साल 2400 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
जेके बैंक बदलाव का सबसे बड़ा उदाहरण
सिन्हा ने कहा कि पिछले चार सालों में बदलाव का सबसे बड़ा उदाहरण जेके बैंक है। बैंक के 1.4 करोड़ बैंक खाता धारक थे और 1200 करोड़ रुपये का नुकसान था। आज बैंक 1300 करोड़ रुपये के फायदे में हैं और वित्तीय वर्ष के अंत तक 1800 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। बैंक का एनपीए 11 प्रतिशत से गिरकर 4.3 प्रतिशत तक पहुंच गया है। 2019-20 में बैंक का शेयर 12.40 रुपये का था जो बढ़कर अब इस साल 144 रुपये हो गया है।
फिर किया आश्वस्त, गुज्जर-बकरवालों के 10 फीसदी आरक्षण में कोई कटौती नहीं
उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने एक बार फिर गुज्जर-बकरवालों को आश्वस्त किया है कि नए समुदायों के एसटी सूची में शामिल होने से उनके आरक्षण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। गुज्जर-बकरवाल समेत अन्य को मिल रहे 10 फीसदी आरक्षण में किसी प्रकार की कटौती नहीं होगी। उन्होंने संसद में स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण से संबंधित बिल तथा गद्दा ब्राह्मण, कोली, पाडरी तथा पहाड़ी समुदाय को एसटी सूची में शामिल करने संबंधी बिल के पास होने को ऐतिहासिक कदम बताया।
उन्होंने कहा कि यह इन समुदायों के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण फैसला है। यह पूछे जाने पर कि क्या प्रशासन निहित स्वार्थी तत्वों की ओर से माहौल बिगाड़ने की कोशिशों का किसी प्रकार से काट निकाल रहा है तो उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में किसी भी प्रकार से भाईचारे को नुकसान नहीं पहुंचने जा रहा है। कुछ लोग राजनीति करने के लिए हैं, जो राजनीतिक रोटियां सेकते हैं और कुछ लोग जनता के कल्याण के लिए काम करते हैं। दोनों अपना काम करते हैं और अंतत: यह सत्य है जो मौजूदा हालात है। गरीबों को पांच मरला जमीन देने के मामले में भी राजनीति की गई थी।
यूएन दफ्तर को हटाने पर विचार होगा
श्रीनगर में यूनाइटेड नेशन मिलिट्री आब्जर्वर का दफ्तर शिफ्ट किए जाने संबंधी पत्रकारों के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसे देखा जाएगा। उनसे यह पूछा गया था कि जम्मू-कश्मीर अब पूरी तरह से भारत का हिस्सा हो गया है, आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति है और भारत का झंडा सब जगह फहरा रहा है तो क्या ऐसी स्थिति में सोनावर स्थित यूएन दफ्तर को शिफ्ट करने की कोई योजना है।