मोहित शर्मा/करौली:- करौली की महिला पुलिस थाने में कार्यरत सब इंस्पेक्टर मंजू फौजदार आज शहर ने अपना नाम चर्चित कर चुकी हैं. भरतपुर के छोटे से गांव से आने वाली मंजू फौजदार करौली महिला थाने की 18वीं और दूसरी महिला सब इंस्पेक्टर हैं. पूर्वी राजस्थान में उनका का नाम दबंग महिला थानेदारों में आता है. साल 2014 में सब इंस्पेक्टर बनने वाली मंजू फौजदार की कामयाबी से पहले की एक ऐसी दु:ख भरी कहानी है, जिसमें उन्होंने तमाम मुश्किलों का सामना किया.
उन्होंने छोटे से गांव से आने के कारण गांव के पंच – पटेलों के तानों का भी रोजाना सामना किया. इसकी मुख्य वजह यह रही कि बचपन में ही उनके पिता का साया सर से उठ गया और जवानी में इकलौते भाई की एक्सीडेंट में मौत हो गई. इसके बाद तो मंजू का पूरा परिवार एक बार पूरी तरह टूट सा गया और फिर यहीं से मंजू फौजदार की कामयाबी की कहानी शुरू हुई, जिसके बाद लगातार तीन सरकारी नौकरी हासिल कर चौथी बार मंजू 2014 थानेदार बनी.
जन्म के 1 साल बाद हुई पिता की मौत
राजस्थान के भरतपुर जिले की कुम्हेर तहसील के बैलारा कलाँ गांव से आने वाली मंजू फौजदार बताती हैं कि मेरे जन्म के ठीक 1 साल बाद ही पिता की मृत्यु हो गई. पिताजी की मृत्यु के बाद मेरे परिवार में केवल मैं, बड़ी बहन और मां थी और उस समय हमारी मां प्रेग्नेंट थी. पिता की मौत के 2 महीने के बाद हमारे घर छोटे भाई का जन्म हुआ. इसके बाद परिवार का गुजारा पिता से मिलने वाले 1000 रुपए पेंशन और खेती-बाड़ी से चलता था. मंजू के पिता RAC में कांस्टेबल के पद पर थे.
2006 में इकलौते भाई की हो गई मौत
बचपन में पिता की मौत के बाद 2006 में मंजू के इकलौते भाई की भी मौत एक एक्सीडेंट में हो गई. भाई की मौत के बाद मंजू का पूरा परिवार टूट सा गया. उस वक्त मंजू अपनी स्नातक बीए द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही थी. 2 साल तक मंजू का पूरा परिवार बेसुध सा रहा. फिर धीरे-धीरे मंजू ने अपने आप को संभाला और अपनी पढ़ाई शुरू कर दी. फिर यहीं से मंजू की कामयाबी की कहानी शुरू हुई.
मंजू का पहला सेलेक्शन अपनी बहन के साथ ही 2011 में कांस्टेबल के रूप में राजस्थान पुलिस के टोंक जिले और उनकी बहन का सवाई माधोपुर जिले से हुआ. जयपुर में ट्रेनिंग के दौरान ही उनकी बड़ी बहन का सेलेक्शन एलडीसी में भी हो गया और इसके बाद मंजू ने भी बहन के साथ नादानी में कांस्टेबल की नौकरी छोड़ दी. लगातार कंपटीशन एग्जाम देने के बाद और कांस्टेबल की नौकरी छोड़ने के बाद मंजू का चयन साल 2013 फॉरेस्ट गार्ड में हो गया. गार्ड की भी नौकरी मंजू ने 3 महीने ही की. 2013 में ही उनका चयन टीचर के पद पर भी हो गया. 8 महीने टीचर की नौकरी करने के बाद मई 2014 में ही राजस्थान सब इंस्पेक्टर का रिजल्ट जारी हो गया और इसमें भी मंजू ने सफलता हासिल की. इसके बाद उन्होंने 14 मई 2014 को राजस्थान सब इंस्पेक्टर ज्वाइन कर लिया. मंजू अपनी सर्विस के 10 साल पूरे कर चुकी हैं. फिलहाल वह करौली के महिला थाने में थानेदार के रूप में सेवाएं दे रही हैं.
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युवाओं को दिए टिप्स
लोकल 18 से खास बातचीत में मंजू फौजदार ने खासकर बच्चियों के लिए कुछ टिप्स दिए हैं. युवाओं से और विशेषकर बच्चियों से उनकी अपील है कि यह बहुत गोल्डन टाइम है. करीब 20 से 25 साल की उम्र का टाइम हमें पूरी तरह पढ़ाई को दे देना चाहिए और लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पढ़ाई में समर्पित होकर पूरी तरह से उसमें जुट जाए. अपना स्वर्णिम भविष्य बनाएं और फिर अपनी जिंदगी के सपने पूरे करें.
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FIRST PUBLISHED : February 15, 2024, 14:31 IST