Laapataa Ladies Movie Review; Aamir Khan | Kiran Rao | मूवी रिव्यू- लापता लेडीज: किरण राव का डायरेक्शन कमाल; कहानी में दम, स्टारकास्ट की एक्टिंग भी बेहतर

मुंबई9 घंटे पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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आज हम किरण राव की डायरेक्शन वाली फिल्म लापता लेडीज का रिव्यू करेंगे। सामाजिक मुद्दे को उठाती इस फिल्म की लेंथ 2 घंटे 2 मिनट है। दैनिक भास्कर ने फिल्म को 5 में से 3.5 स्टार रेटिंग दी है।

फिल्म की कहानी क्या है?
फिल्म की कहानी एक ग्रामीण इलाके से शुरू होती है। गांव में शादियों का सीजन चल रहा है। दो युवक अपनी दुल्हनों को लेकर ट्रेन में चढ़ते हैं। दोनों दुल्हनों के चेहरे पर घूंघट है, जिसकी वजह से उनका चेहरा नहीं दिख रहा है। सफर खत्म होने के बाद दोनों दुल्हनें नीचे उतरती हैं और कहीं लापता हो जाती हैं।

एक युवक ‘दीपक’ गलती से दूसरी दुल्हन ‘पुष्पा’ को अपने घर ले आता है। उसकी असल पत्नी ‘फूल’ वहीं स्टेशन पर ही रह जाती है। दुल्हन शायद घूंघट नहीं लगाती तो गायब नहीं हुई रहतीं। फिल्म का ताना-बुना इसी मानसिकता के आधार पर लिखा गया है।

फिल्म कल यानी एक मार्च को रिलीज हो रही है।

फिल्म कल यानी एक मार्च को रिलीज हो रही है।

स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है?
जिस युवक की पत्नी लापता हो जाती है, उस किरदार का नाम दीपक है। एक्टर स्पर्श श्रीवास्तव ने यह किरदार निभाया है। उनका किरदार काफी प्रभावशाली है। पुष्पा के रोल में प्रतिभा रांटा ने अपने रोल के साथ जस्टिस किया है। फूल के किरदार में नितांशी गोयल का काम सबसे लाजवाब है। रवि किशन हमेशा की तरह प्रभावशाली लगे हैं।

फिल्म का डायरेक्शन कैसा है?
किरण राव अपनी फिल्मों में सामाजिक मुद्दों को बहुत गंभीरता और संजीदगी से उठाती रही हैं। इस फिल्म में भी पैट्रियार्की और महिलाओं के सामान्य मुद्दों को उन्होंने बहुत सिनेमाई अंदाज में दिखाने की कोशिश की है, इसमें वो सफल भी रही हैं। उन्होंने सभी एक्टर्स से उनका बेस्ट निकलवाया है।

मंगलवार को फिल्म की स्क्रीनिंग रखी गई थी। सलमान खान, सनी देओल और करण जौहर समेत कई सेलेब्स फिल्म देखने पहुंचे थे।

मंगलवार को फिल्म की स्क्रीनिंग रखी गई थी। सलमान खान, सनी देओल और करण जौहर समेत कई सेलेब्स फिल्म देखने पहुंचे थे।

फिल्म का म्यूजिक कैसा है?
फिल्म के गाने ऐसे नहीं हैं, जिस पर चर्चा की जाए। जो भी गाने हैं, वो सीन और सीक्वेंस के हिसाब से जंचते हैं।

फाइनल वर्डिक्ट, फिल्म देखें या नहीं?
यह फिल्म आप बिल्कुल देख सकते हैं। ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की असल स्थिति क्या होती है, यह जानने के लिए इस फिल्म के लिए जरूर जाना चाहिए।

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