कोविड 19 महामारी और लॉक डाउन के बैकग्राउंड पर बनी निर्देशक शुवेंदु राज घोष की फिल्म ‘कुसुम का बियाह’ काफी रियलिस्टिक है. एक सच्ची घटना से प्रेरित होकर बनी इस फिल्म की कहानी में दिलचस्पी भी है. इसे सिनेमाघरों में देखने से पहले इसका ये रिव्यू जरूर पढ़ें.
फिल्म: कुसुम का बियाह
कलाकार: सुजाना दार्जी, लवकेश गर्ग, राजा सरकार, सुहानी बिस्वास, प्रदीप चोपड़ा, पुण्य दर्शन गुप्ता, रोज़ी रॉय
निर्देशक: शुवेंदु राज घोष
निर्माता: प्रदीप चोपड़ा, बलवंत पुरोहित
रनटाइम: 1 घण्टे 40 मिनट
रेटिंग : 4 स्टार्स
कहानी: कोरोना वायरस के बढ़ते मामले को देखते हुए जब लॉकडाउन लगाया गया था तो कई परिवार बुरी तरह फंस गए थे. यह फिल्म बिहार से झारखंड जा रही एक बारात के ऐसी स्थिति में फंस जाने की सच्ची घटना पर बेस्ड है. लॉकडाउन के दौरान दो राज्यों के बॉर्डर पर कुसुम की बारात फंस जाती है. इस रियल इंसिडेंट को बड़े ही एंटरटेनिंग ढंग से इस फिल्म के द्वारा दर्शाया गया है. जब बहुत सारी परेशानी के बाद फिल्म के नायक सुनील की शादी तय हो जाती है तो परिवार के लोग बहुत खुश होते हैं. लेकिन शादी के दिन अचानक देश भर में लॉक डाउन लग जाता है. अब ऐसे हालात में क्या होता है यही फिल्म का सार है.
अभिनय: फिल्म के सभी कलाकारों ने प्रभावी अभिनय किया है. निर्देशक शुवेंदु राज घोष का काम भी सराहनीय है. फिल्म ‘कुसुम का बियाह‘ में कुसुम की शीर्षक भूमिका सिक्किम की सुजाना दार्जी ने बहुत ही रियल ढंग से निभाई है वहीं लवकेश गर्ग ने कुसुम के पति के रोल में जान डाल दी है. निर्माता प्रदीप चोपड़ा ने भी फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. प्रदीप चोपड़ा के अभिनय में बहुत स्वाभिकता हैं. एक गरीब परिवार के मुखिया के किरदार को उन्होंने पर्दे पर जीवंत कर दिया हैं एक दृश्य में वह अपनी बहु हो उनके कंगन बेचने से माना करते हैं यह दृश्य बहुत मार्मिक बन पड़ा हैं इनके अलावा राजा सरकार, सुहानी बिस्वास, पुण्य दर्शन गुप्ता, रोज़ी रॉय भी अहम किरदारों में दिखाई देते हैं.
फाइनल टेक: ऐसी कहानी को पर्दे पर इन्होंने बखूबी पेश किया है. कई सीन जहां आंखों में नमी ले आते हैं वहीं कई बार हंसी भी आ जाती है. निर्देशक ने फिल्म के द्वारा दर्शकों को पूरी तरह बांध कर रखा है. फिल्म की कहानी, पटकथा और संवाद लेखक विकाश दुबे और संदीप दुबे हैं जबकि इसके गीतकार संगीतकार भानु प्रताप सिंह हैं. फिल्म के कार्यकारी निर्माता चंदन साहू, डीओपी सौरव बनर्जी, एडिटर राज सिंह सिधू हैं. सीमित बजट और संसाधनों में भी कैसे एक अच्छी कहानी को पर्दे पर प्रस्तुत किया जा सकता है इसके लिए आपको फिल्म कुसुम का बियाह देखना चाहिए.