Khaleel Ahmed IPL 2024 Wickets; Delhi Capitals Team Bowler Khaleel Success Story | टीम से ड्रॉप होने पर फिटनेस की कीमत पता चली: खलील अहमद बोले- पंत पहले से ज्यादा निडर, कॉन्फिडेंट और मैच्योर होकर लौटे

नई दिल्ली21 मिनट पहलेलेखक: राजकिशोर

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दिल्ली कैपिटल्स के तेज गेंदबाज खलील अहमद का मानना है कि फास्ट बॉलर के लिए फिटनेस सबसे जरूरी है। स्किल सेकंडरी ऑप्शन है।

26 साल के इस गेंदबाज ने कहा- ‘जब मैं टीम इंडिया से ड्रॉप हुआ, तो मुझे फिटनेस की कीमत पता चली।’ खलील ने आखिरी इंटरनेशनल मैच 2019 में खेला था। पंत की वापसी पर खलील कहते हैं कि वे पहले से ज्यादा निडर, कॉन्फिडेंट और मैच्योर होकर लौटे हैं।

खलील इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2024 के टॉप-5 विकेट टेकर बॉलर्स में शामिल हैं। खलील दिल्ली की ओर से 6 विकेट ले चुके हैं। खलील ने दैनिक भास्कर से अपने करियर, पंत की वापसी पर बात की।

भास्कर के सवालों पर खलील अहमद के जवाब

सवाल- डोमेस्टिक में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, IPL भी अच्छा जा रहा है। लेकिन लंबे समय से टीम इंडिया में मौका नहीं मिला? जवाब- जब मैं भारतीय टीम से ड्रॉप हुआ तो महसूस हुआ कि वापसी के लिए क्या करना है, क्या सुधार करना है। अपनी बॉडी को कैसे मेंटेन करना है। जब मैं टीम इंडिया में नहीं था, तब मुझे काफी बुरा लग रहा था, लगा कि मैं कैसे बेहतर बॉलर बनूं, कैसे फिर इंडिया के लिए खेलूं।

जब आप इंडिया के लिए ब्लू जर्सी में खेलते हैं, तो उसकी फीलिंग ही अलग होती है। आपको अलग ही गर्व महसूस होता है। फिर जब आप भागते-भागते रुक जाते हो, तब आपको छोटी-छोटी चीजों की अहमियत के बारे में पता चलता है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ, उस दौर में मैंने अपने आपको काफी ग्राइन्ड किया है।

सवाल- ड्रॉप होने के बाद खुद को कैसे बेहतर बनाया?
जवाब-
फास्ट बॉलर के लिए लाइफ में सबसे ज्यादा जरूरी रहती है उसकी बॉडी। उसके बाद स्किल्स सेकंडरी ऑप्शन है। मैंने खुद को काफी फिट किया है। अपनी बॉडी पर काफी वर्कलोड डाला, जिससे मैं बेहतर फास्ट बॉलर बन सकूं। अपने ट्रेनर के साथ फिटनेस पर काम किया, ताकि मैं लंबे समय तक खेल सकूं। मुझमें शुरू से कॉन्फिडेंस था कि अगर मैं लंबे समय तक खेलता रहूंगा तो अच्छे स्पेल्स अपने आप आएंगे। आप खेलते हो तो आप सुधर जाते हो। आप हमेशा 10 विकेट नहीं लेते हो, आपको कभी एक विकेट ही मिलता हैं और कभी विकेट भी नहीं मिलता।

जब मैं खेलता था, विकेट नहीं मिलते तो मैं सोचता था कि गेंद को कैसे बेहतर फेंक सकता था। मैं स्विंग पर कैसे मास्टरी कर सकता हूं। उसके लिए मैं क्या कर सकता हूं। हर पिच पर गेंद अलग-अलग बिहेव करता है। हर बैट्समैन का अलग खेलने का स्टाइल होता है। जब मैंने खेला तो यह सब चीजों को जाना। जब मैं टीम से बाहर था तो इस नॉलेज के आधार पर अपनी गेंदबाजी को सुधारने पर काम किया। मैंने स्किल्स पर काम किया और फिटनेस पर काम किया।

सवाल- भारतीय सिलेक्टर्स लंबे समय से अच्छा फास्ट बॉलर तलाश रहे हैं, खुद के कितने चांस देखते हैं?
जवाब-
मेरे सामने जो भी मैच आया, चाहे वो डोमेस्टिक हो या प्रैक्टिस मैच, मैंने हमेशा यही सोचकर खेला है कि यहां अपना बेस्ट यानी 100 परसेंट दूंगा। खुद को पूरा झोंक दूंगा। जब आप फ्यूचर के बारे में सोचते हो, तो प्रेजेंट से हट जाते हो। मेरा माइंड सेट है, चाहता हूं कि मैं प्रेजेंट में रहूं। अपना कल बेहतर बनाने के लिए आज के दिन मैं क्या अच्छा कर सकता हूं। मैंने इंडिया के लिए खेला है। जब आप बॉल को लेकर भागते हो और लोग इंडिया-इंडिया चिल्लाते हैं, उसकी फीलिंग अलग ही होती है। मैंने उसे महसूस किया है। मेरा लक्ष्य फिर उसी फीलिंग को महसूस करना है। उसके लिए जो भी काम करना होगा करूंगा। मेरा टारगेट इंडिया के लिए खेलना ही है। लेकिन यह अपने हाथ में नहीं है।

सवाल- आखिरी टी-20 इंटरनेशनल 2019 में खेला था, क्या भारतीय टीम मैनेजमेंट से टी-20 वर्ल्ड कप के लिहाज से कुछ दिशा-निर्देश दिए हैं?
जवाब –
मुझसे फिटनेस को लेकर पूछा गया था कि मैं कितना फिट हूं। ऐसा नहीं है कि मेरी स्किल्स को लेकर किसी को कभी सवाल रहा हो, लेकिन एक फास्ट बॉलर के लिए फिटनेस काफी महत्वपूर्ण रही है। मैंने फिटनेस पर हमेशा काम किया है। डोमेस्टिक मैचों में खेलने को लेकर कहा गया था।

मैंने इस सीजन सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी, और रणजी ट्रॉफी से पहले प्रैक्टिस मैच तक खेले। वर्कलोड बढ़ने से मेरी फिटनेस बढ़ी। उन लोगों को भी शायद यही देखना था कि मैं कितना लंबा खेल सकता हूं और कितना फिट रह सकता हूं।

सवाल – खुद में सुधार लाने के लिए किससे सलाह लेते हैं?
जवाब –
मैं जब टीम इंडिया से बाहर हुआ और बॉलिंग पर काम किया, तो काफी पूर्व क्रिकेटरों का सहयोग मिला। इसी वजह से बेहतर कर पा रहा हूं। हर समय सभी के पास टाइम नहीं होता है, हालांकि जहीर खान सर और इरफान भाई को जब भी टाइम मिलता है, उनसे बॉलिंग पर बात करता हूं।

काम आपको ही करना होता है, लेकिन यंग एज में आपको नहीं पता होता है कि किस राह पर जाना है। ऐसे में गेम के लिजेंड जिन्होंने रास्ते को पार कर लिया है, आपको गाइड करते हैं तो आपका रास्ता आसान हो जाता है। जब भी ये लोग अवेलेबल होते हैं तो बात करते हैं और मुझे इनसे बात करके बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

सवाल- जहीर-इरफान से क्या टिप्स मिले?
जवाब-
उनको कभी ऐसा लगा नहीं कि मेरी तकनीक को लेकर उन्हें कोई दिक्कत है, इसलिए उन्होंने हमेशा माइंडसेट को लेकर बात की है। कभी कुछ-कुछ छोटी चीजों पर बात हो जाती है, जैसे रनरअप को लेकर हैं।

एक लेवल पर आपका स्ट्रॉन्ग माइंडसेट काफी जरूरी हो जाता है। आपको मैच के दौरान अलग-अलग परिस्थितियों में क्या करना है। इन चीजों पर उनसे बात हो जाती है। जिसका मुझे फायदा भी मिला।

सवाल- DC के कप्तान पंत एक्सीडेंट के बाद वापसी कर रहे हैं। उनमें क्या बदलाव दिखे?
जवाब-
मैं और ऋषभ अंडर-14 से साथ खेल रहे हैं। हमने बचपन से ही काफी क्रिकेट खेला है। हम-दोनों के बीच काफी अच्छी बॉन्डिंग हैं। मैंने उन्हें काफी नजदीक से देखा है।

अब वे काफी मैच्योर लग रहे हैं। पंत ने फिटनेस पर बहुत काम किया है। उनके अंदर एक अलग ही एनर्जी नजर आ रही है। जिस तरह से वे बैटिंग कर रहे हैं। वे नेट्स पर भी काफी एफर्ट डालते हैं। विकेटकीपिंग के दौरान ज्यादा डाइव लगा रहे हैं। वे मेरे वाइड बॉल पर भी डाइव लगाकर गेंद को पकड़ रहे हैं। वह कुछ भी होल्ड नहीं कर रहे हैं। वे पूरी ताकत लगा रहे हैं।

ओवरऑल ऋषभ अलग लेवल पर दिख रहे हैं। इससे पता चल रहा है कि वह क्रिकेट को कितना प्यार करते हैं। सही मायने में कहूं तो वे पहले से काफी ज्यादा फियरलेस (निडर), कॉन्फिडेंट और मैच्यौर दिख रहे हैं।

सवाल- पोटिंग और गांगुली जैसे दिग्गज टीम के साथ हैं। ड्रेसिंग रूम के अनुभव हमशे साझा कर सकते हैं?
जवाब-
रिकी पोंटिंग वर्ल्ड कप विनिंग कैप्टन है। उन्होंन ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी की, जब टीम टॉप पर थी। वह जब भी आपके सारउंडिंग या ड्रेसिंग रूम में रहते हैं तो काफी मजा आता है। वो फील नहीं होने देते कि वे रिकी पोंटिंग हैं, जो ऐसे समय में टीम को हैंडल किया, जब उनकी ऑस्ट्रेलिया पीक पर थी। वह हमेशा फिल कराते हैं कि आप टीम के लिए महत्वपूर्ण हो।

वे हर प्लेयर को इज्जत देते हैं और हर प्लेयर को समझते हुए उसके अंदाज में बात करते हैं और उससे प्यार करते हैं। पोंटिंग के पास गजब का नॉलेज है। उनके साथ खेलकर काफी मजा आता है। उनके अंदर अब भी काफी एनर्जी है। दादा के बारे में तो सब जानते हैं कि उनका इंडियन क्रिकेट में क्या योगदान है। जब ऐसे लोग आपके साथ रहते हैं तो आपको सीखने को काफी कुछ मिलता है। इन दोनों के साथ टाइम स्पेंड करना ही लाइफ के बड़े मोमेंट हैं।

सवाल-आप बचपन में जब क्रिकेट खेलने जाते थे तो आपके पिता जी काफी पिटाई करते थे, बेल्ट से भी आपकी पिटाई हुई है, अब आप जब इतने बड़े स्टार खिलाड़ी बन गए हैं तो क्या कहते हैं?
जवाब- अब भी मार देते हैं। बाप-बाप ही होता है। कभी भी थप्पड़ पड़ सकता है। मेरे पिता ने हमेशा मुझे ऐसा ही रखा है। आज अगर उनका थप्पड़ नहीं पड़ता, तो शायद मैं इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाता और आप मेरा इंटरव्यू नहीं करते।

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