Kerala African Swine Fever Outbreak; How It Spreads? ASF Symptoms | सेहतनामा- केरल के त्रिशूर में स्वाइन फीवर के मामले: ये स्वाइन फ्लू से अलग कैसे; इंसानों में जानवरों-पक्षियों से कौन सी बीमारियां फैलती हैं

3 दिन पहलेलेखक: गौरव तिवारी

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केरल के त्रिशूर जिले में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के केस मिले हैं। यह सुअरों के बीच फैलने वाली बीमारी है, जो बहुत संक्रामक है। यह फार्म में रह रहे सुअर और जंगली सुअर दोनों को प्रभावित कर सकती है। इसे लेकर पूरे जिले में अलर्ट जारी कर दिया गया है। जिस फार्म में संक्रमित सुअर मिला है, उसके 10 किलोमीटर के आसपास के रेडियस (परिधि) को सर्विलांस एरिया बना दिया गया है। इसके अलावा डिसइन्फेक्शन के इंतजाम भी किए गए हैं।

खबर सामने आने के बाद आसपास के इलाके में पोर्क (सुअर का मांस) की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। सुअरों के मूवमेंट पर रोक है और सुअरों के खाने की चीजें भी इन्फेक्टेड एरिया से कहीं और नहीं ले जाई जा सकती हैं। इस बात का डर है कि यह संक्रमण इंसानों तक पहुंचकर कोई मुश्किल या नई महामारी न खड़ी कर दे।

हालांकि यह राहत की बात हो सकती है कि ब्रिटिश एग्रीकल्चर, इनवायरमेंट और रूरल अफेयर्स के मुताबिक, अफ्रीकन स्वाइन फीवर स्वाइन फ्लू से अलग बीमारी है और यह सुअरों से इंसानों में नहीं फैलती है।

आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों की। साथ ही जानेंगे कि-

  • जानवरों की कौन-सी बीमारियां इंसानों को प्रभावित करती हैं?
  • इन बीमारियों से किसे ज्यादा खतरा है?
  • इनके इन्फेक्शन से बचने के क्या उपाय हैं?

जानवरों के साथ रची-बुनी है इंसानों की जिंदगी

इंसानों की जिंदगी इस तरह रची-बुनी हुई है कि हम हर दिन किसी-न-किसी तरह जानवरों के संपर्क में आते हैं। अगर हम दूध, दही, पनीर, अंडा या मांस में से कुछ भी अपने खाने में शामिल कर रहे हैं तो इसका सीधा कनेक्शन पशुओं से है क्योंकि इन सभी फूड आइटम्स का सोर्स पशु ही हैं। ऐसे में अगर हमारा सोर्स संक्रमित है तो यह हमें भी संक्रमित कर सकता है।

इसके अलावा कई बार पशुओं या पक्षियों के काटने, कहीं लार टपकाने से भी कई बीमारियां इंसानों में फैल सकती है। इसे जूनोसिस कहते हैं।

पशुओं के साथ नजदीकी के कारण उन्हें होने वाली बीमारियां आसानी से इंसानों के बीच फैल जाती हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं कि कौन-कौन सी बीमारियां हैं, जो जानवरों से इंसानों में फैलती हैं।

ये बीमारियां फैलती कैसे हैं

जूनोटिक डिजीज कई माध्यमों से फैल सकती हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं:

  • इसके अलावा ट्रैवलिंग भी वजह हो सकती है। बाइक चलाते समय, नाव में घूमते समय या खुली हवा का आनंद लेते हुए भी हम संक्रमित हो सकते हैं।
  • चिड़ियाघर भी जूनोटिक बीमारियों के संक्रमण का बड़ा जरिया हो सकते हैं।
  • खेतों में काम कर रहे किसान और पशुपालन कर रहे लोग गोबर आदि के संपर्क में आ सकते हैं। यह कई जूनोटिक बीमारियों का कारण बन सकता है।
  • पालतू जानवरों में किलनी और पिस्सू जैसे कीड़े हो सकते हैं, जो हमें संक्रमित कर सकते हैं।

अगर किसी को कोई जूनोटिक डिजीज है तो क्या करें

  • अगर किसी को कोई जूनोटिक डिजीज है तो जल्द-से-जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
  • अगर किसी जानवर के पंजे से खरोंच लगी है या उसने काट लिया है तो सुनिश्चित करें कि अपने साथ उस जानवर की भी पशुचिकित्सक द्वारा पूरी तरह से जांच की जाए। यह भी पक्का करना जरूरी है कि उसे सभी जरूरी वैक्सीन लगवाए गए हैं या नहीं। इसके अलावा उन्हें रेबीज या दूसरी जूनोटिक डिजीज तो नहीं है।
  • यदि आपको किसी कीड़े ने काट लिया है तो पहले उसकी तस्वीर क्लिक कर लें। कीड़े के काटने के बाद किसी तरह के लक्षण सामने आ रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें। डॉक्टर को कीड़े की तस्वीर दिखाएं, इससे इलाज में मदद मिलेगी।

जूनोटिक डिजीज से अधिक खतरा किसे है

यूं तो जूनोटिक डिजीज आम हैं। इससे कोई भी संक्रमित हो सकता है, लेकिन कुछ लोगों को इनके संक्रमण से खतरा अधिक होता है। कुछ लोगों में अधिक गंभीर प्रतिक्रियाएं और लक्षण देखने को मिल सकते हैं। अगर हम या हमारे जानने वाले इस लिस्ट का हिस्सा हैं तो उन्हें तुरंत मेडिकल हेल्प की जरूरत होती है।

जूनोटिक डिजीज से बचाव के लिए क्या करें

जूनोटिक बीमारियां पूरी दुनिया में हर जगह फैली हुई हैं। हालांकि, ज्यादातर देश जानवरों और कीड़ों से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए निरंतर काम कर रहे हैं। मजबूत फूड सेफ्टी रूल्स बनाए गए हैं, ताकि हमारे फूड आइटम्स के जरिए कोई जूनोटिक डिजीज होने की संभावना कम हो जाए।

इसके साथ अगर हम कुछ जरूरी नियम बना लें और उन्हें नियमित रूप से फॉलो करें तो ज्यादातर जूनोटिक बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।

हम निम्नलिखित तरीके फॉलो कर सकते हैं:

  • किसी जानवर के संपर्क में आए हैं तो उसके बाद हाथ जरूर धोएं।
  • किसी भी जानवर की बाइट और खरोंच से बचें।
  • मच्छर, पिस्सू और किलनी को दूर रखने के लिए कीट प्रतिरोधी या अन्य तरीकों का उपयोग कर सकते हैं।
  • अपने पालतू जानवरों का टीकाकरण अवश्य करवाएं। इसके अलावा उन्हें नियमित रूप से हर साल पशुचिकित्सक के पास ले जाएं।
  • अपने पालतू जानवरों के लिए उपयुक्त पिस्सू और टिक निवारकों के बारे में पशुचिकित्सक से बात करें।
  • जब आप जानवरों को संभाल रहे हों या उनके निकट संपर्क में हों तो इस दौरान न खाएं, न पिएं और न ही अपनी आंखों या मुंह को छुएं।
  • यदि हम किसी ऐसे जानवर का ख्याल रख रहे हैं, जो बीमार है तो दस्ताने और मास्क जरूर पहनें।
  • उन सभी क्षेत्रों को साफ-सुथरा जरूर रखें, जहां हमारे पालतू जानवर रहते हैं।
  • जंगल में या किसी फार्म हाउस में बीमार दिखने वाले किसी भी जानवर को न पकड़ें और न ही उसके पास जाएं।
  • अगर फार्म हाउस में या बाड़े में कोई जानवर बीमार हो गया है तो उसे दूसरे जानवरों से अलग रखें और तुरंत पशु चिकित्सक से परामर्श लें।
  • खाना बनाने और परोसने में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। खाना पकाने से पहले सभी कच्चे प्रोडक्ट्स को अच्छे से धुल लें। खाना ठीक से पकाएं ताकि संभावित माइक्रोऑर्गेनिज्म नष्ट हो जाएं।

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