Kalashtami will be celebrated on 18th June know the method of worship

Kalashtami 2025: आषाढ़ के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर कालाष्टमी का व्रत पूजन भी है. सप्तमी तिथि पर कालाष्टमी को लेकर कंफ्यूजन है. 18 या 19 जून को व्रत करें इसको लेकर असमंजस की स्थिति है लेकिन इसका उत्तर दृक पंचांग में उपलब्ध है. जिसके अनुसार कालाष्टमी 18 जून को ही मनाई जाएगी. बुधवार के दिन कोई अभिजीत मुहूर्त नहीं है. इस दिन राहुकाल का समय सुबह 12:22 से दोपहर 02:07 तक रहेगा. 18 जून को बुधवार का दिन, कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का भी योग रहा है.

कालाष्टमी का व्रत मुहूर्त 

पंचांगानुसार, 18 जून को दोपहर 1 बजकर 33 मिनट से आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ होगी जो 19 जून को सुबह 11 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी. कालाष्टमी की पूजा शाम में होती है, इसलिए व्रत 18 जून को रखा जाएगा. कालाष्टमी का व्रत सप्तमी तिथि के दिन भी हो सकता है. धार्मिक मूलग्रन्थ के अनुसार जिस दिन अष्टमी तिथि रात्रि को प्रबल होती है उस दिन इसका व्रत किया जाना चाहिए.

कालाष्टमी के लिए व्रत के दिन का चयन करने के लिए दृक पंचांग सुनिश्चित करता है कि प्रदोष के बाद कम से कम एक घटी के लिए अष्टमी प्रबल होनी चाहिए. कालाष्टमी भगवान कालभैरव को समर्पित है. इस दिन भगवान भैरव की पूजा करने से भय, बाधा, और शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है. विशेषकर रात्रि में भैरव चालीसा, भैरव स्तोत्र या ओम कालभैरवाय नमः मंत्र का जाप करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं. भगवान काल भैरव को उड़द दाल, काले तिल, और मिठाई का भोग लगाएं साथ ही कालाष्टमी के दिन, काले कुत्ते को भोजन कराना भी शुभ माना जाता है, क्योंकि कुत्ते को काल भैरव का वाहन है.

कालाष्टमी का व्रत मंत्र 

वेदों में बुधवार के दिन व्रत रखने का प्रावधान है. आप चाहे तो सुख-शांति बुद्धि, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य बनाए रहने के लिए बुधवार के दिन व्रत भी रख सकते हैं, लेकिन इस व्रत की शुरुआत किसी माह के शुक्ल पक्ष के बुधवार से ही कर सकते हैं, यह व्रत 7, 11 या 21 बुधवार तक रखा जाता है. वहीं व्रत रखने के लिए आप सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर गणेश मंदिर में जाकर भगवान गणेश की पूजा करें. उन्हें हरी मूंग और दूर्वा चढ़ाएं. इसके अलावा, आप ॐ गं गणपतये नमः या ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः मंत्र का जाप भी कर सकते हैं, साथ ही भागवत पुराण का पाठ करना शुभ माना जाता है. भगवान गणेश को हलवा, बेसन के लड्डू या पंजीरी का भोग लगाएं और पूरे दिन निराहार रहें या फलाहार करें.

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