पारिवारिक पृष्ठभूमि
अपने जमाने के दिग्गज अभिनेता के. एन. सिंह का जन्म 1 सितंबर 1908 को देहरादून (उत्तराखंड) में हुआ था। छह भाई बहनो में के एन सिंह सबसे बड़े थे। के एन सिंह का पूरा नाम कृष्ण निरंजन सिंह था। इनके पिता चंडी प्रसाद सिंह एक जाने-माने क्रिमिनल लॉएर थे। लखनऊ से हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद के एन सिंह देहरादून आ गया। उनके पिता चाहते थे कि के. एन. सिंह जल्द से जल्द अपने पैरों पर खड़े हों। उन्होंने कई काम किए, कभी लाहौर जा कर प्रिंटिग प्रेस स्थापित की, तो कभी राजों रजवाड़ों को पालने के लिये जंगली जानवर सप्लाई किए तो कभी चाय बागान में काम करने वालों के लिए खास तरह के जूते बनवाए, लेकिन के. एन. सिंह का किसी काम में मन नहीं लगता था।
वकालत से हो गया मोहभंग
अपने पिता के सलाह पर के एन सिंह ने वकील बनने की सोची। के एन सिंह लंदन जाकर बैरिस्टर की पढाई करना चाह रहे थे। एक बार वह अपने पिता के साथ कोर्ट गए। कोर्ट में बैठकर उन्होंने देखा कि एक मुजरिम जिसने कत्ल किया था उसे बचा लिया गया। उस मुजरिम को बचाने वाला कोई और नहीं बल्कि उनके पिता चंडी प्रसाद सिंह ही थे। यह अन्याय देखकर के एन सिंह का वकालत से मोह भंग हो गया।
देहरादून से चले गए कोलकाता
के. एन. सिंह एथलीट भी थे और अच्छी खासी वेटलिफ्टिंग किया करते थे। उस समय वह बर्लिन ओलंपिक के लिए चुने गए थे। उनका मन आर्मी भी ज्वाइन करने का था। उनकी एक बहन की शादी कोलकाता में हुई थी। उनकी अचानक तबियत खराब हो गयी। तो उनकी देखभाल के लिए के. एन. सिंह को भेज दिया गया। उनके कोलकाता जाने की बात सुनकर देहरादून में उनके एक दोस्त नित्यानंन्द खन्ना ने उन्हें पृथ्वीराज कपूर के नाम एक पत्र दिया। पृथ्वीराज उन दिनों कोलकाता में रह कर फिल्मों में व्यस्त थे और नित्यानंद उनके फुफेरे भाई थे।
फिल्मों में पहला ब्रेक
कोलकाता जाने के बाद पृथ्वीराज कपूर ने के. एन. सिंह की मुलाकात निर्देशक देबाकी बोस से करवाई। देबाकी बोस उन दिनों कोलकाता में न्यू थियेटर्स की फिल्में निर्देशित करते थे।देबाकी बोस ने के एन सिंह को अपनी फिल्म सुनहरा संसार में छोटा सा किरदार निभाने का मौका दिया। यह फिल्म 1936 में रिलीज हुई थी। ‘सुनहरा संसार’ के बाद के एन सिंह ने न्यू थियेटर्स में 150 के मासिक वेतन पर फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। कोलकाता में की गई फिल्मों में उनकी अदाकारी से चर्चे मुंबई तक होने लगे।