Japan to launch world’s first wooden satellite to combat space pollution | जापान ने दुनिया का पहला लकड़ी का सैटेलाइट बनाया: इससे स्पेस में कचरा कम होगा, अमेरिकी रॉकेट से जल्द लॉन्चिंग की तैयारी

15 घंटे पहले

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जापान ने वुडन सैटेलाइट बनाया है। जल्द इसे लॉन्च किया जाएगा। -(रिप्रेजेंटेशनल इमेज) - Dainik Bhaskar

जापान ने वुडन सैटेलाइट बनाया है। जल्द इसे लॉन्च किया जाएगा। -(रिप्रेजेंटेशनल इमेज)

जापान के वैज्ञानिकों ने दुनिया का पहला वुडन सैटेलाइट बनाया है। ब्रिटिश मीडिया ‘द गार्डियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया का पहला लकड़ी से बना सैटेलाइट जल्द अमेरिकी रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। इसकी तैयारियां की जा रही है।

क्योटो यूनिवर्सिटी के एयरोस्पेस इंजिनियर्स ने इसे बनाया है। इसका नाम लिग्रोसैट रखा गया है। इससे अंतरिक्ष में होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सकेगा। जिस लकड़ी से यह बना है वो आसानी से टूटती नहीं है।

नासा ने स्पेस जंक (अंतरिक्ष के कचरे) से जुड़ी यह रिप्रेजेंटेशनल इमेज जारी की थी।

नासा ने स्पेस जंक (अंतरिक्ष के कचरे) से जुड़ी यह रिप्रेजेंटेशनल इमेज जारी की थी।

मंगोलियाई लकड़ी का इस्तेमाल हुआ
स्पेस में कई देशों की सैटेलाइट्स हैं। ये एक समय के बाद खुद नष्ट हो जाते हैं। इसके टुकड़े अंतरिक्ष में ही मंडराते रहते हैं। लेकिन कुछ टुकड़े धरती पर गिर जाते हैं। जो कई बार तबाही ला सकते हैं।

इस कचरे से बचने और अंतरिक्ष में स्पेस पॉल्यूशन कम करने के लिए जापान के वैज्ञानिकों ने लड़की का सैटेलाइट बनाया है। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस सैटेलाइट को मंगोलियाई लकड़ी से बनाया गया है। ये स्थिर होती है और टूटती नहीं है।

लकड़ी बायोडिग्रेडेबल होती है
क्योटो यूनिवर्सिटी के इंजिनियर कोजी मुराता ने कहा- लकड़ी बायोडिग्रेडेबल होती है। यानी पर्यावरण के अनुकूल होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो बायोडिग्रेडेबल चीजें नेचुरल तरीके से प्रकृति में मिलकर नष्ट हो जाती हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचातीं। इसे ध्यान में रखते हुए लकड़ी का सैटेलाइट बनाया गया है।

अभी जो सैटेलाइट्स बनाई जा रही हैं वो मेटल से बनी होती हैं।

अभी जो सैटेलाइट्स बनाई जा रही हैं वो मेटल से बनी होती हैं।

लड़की के सैटेलाइट की जरूरत क्यों…
क्योटो यूनिवर्सिटी के अन्य इंजिनियर ताकाओ दोई ने कहा- मेटल से बनी सैटेलाइट्स स्पेस में तबाह हो जाती हैं। इसके टुकड़े और कई बार धरती पर वापस आती हुए पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही जल जाते हैं। इनके जलने पर छोटे एल्युमिना कण बनाते हैं। ये कण ऊपरी वायुमंडल में कई सालों तक मौजूद रहते हैं। इसका बुरा असर पृथ्वी के पर्यावरण पर पड़ता है।

मेटल सैटेलाइट ओजोन लेयर के लिए खतरा
‘द गार्डियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, अनुमान है कि आने वाले समय में सालाना 2 हजार से ज्यादा अंतरिक्ष यान (स्पेसक्राफ्ट) लॉन्च किए जाएंगे। इनसे ऊपरी वायुमंडल में भारी मात्रा में एल्यूमीनियम जमा होने की संभावना है। ये बड़ी समस्या पैदा कर सकता है।

कुछ रिसर्च में दावा किया गया है कि इससे ओजोन लेयर भी कमजोर हो जाएगी। ओजोन लेयर पृथ्वी को सूरज की खतरनाक अल्ट्रावायलेट रे से बचाती है।

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